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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ महापर्व संपन्न

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Published : Apr 8, 2022, 8:16 AM IST

चैती छठ महापर्व संपन्न
चैती छठ महापर्व संपन्न

चार दिवसीय चैती छठ महापर्व (Four Days Chaiti Chhath Mahaparv) शुक्रवार की सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया. छठ घाटों पर छठी मईया के गीत से माहौल छठमय बना रहा. व्रतियों ने भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देकर सुख-शांति की कामना की. पढ़ें पूरी खबर..

छपरा: बिहार के सारण में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय चैती छठ महापर्व संपन्न (Chaiti Chhath Puja End) हो गया है. इस दौरान छठ व्रतियों ने 36 घंटों तक निर्जला उपवास रखकर भगवान भास्कर की आराधना की और देश, समाज और परिवार के सुख-शांति और समृधि की कामना की. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को काफी उल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान छठ के गीतों से पूरा इलाका छठमय रहा.

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चैती छठ महापर्व संपन्न: छठ पर्व को बिहार का महापर्व कहा जाता है. यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है. एक कार्तिक माह में और दूसरे चैत महीने में. इसे चैत्र छठ पूजा के नाम से जाना जाता है. चैती छठ महापर्व चार दिनों तक चलता है. इस पूजा के पहले दिन छठ व्रती नहाए खाए के साथ ही पूजा की शुरुआत करती हैं. इस दिन अरवा चावल और चने की दाल के साथ ही कद्दू की सब्जी बनाई जाती है. इसके अगले दिन साठी चावल की खीर और रोटी बनाई जाती है. यही मुख्य प्रसाद होता है. इस प्रसाद के खाने के बाद छात्रवृत्ति लगभग 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं.

चार दिनों तक चलता है चैती छठ: षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है और सप्तमी तिथि को उदयाचल गामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाता है. छठव्रतियों द्वारा भगवान भास्कर को नदी तालाबों और पोखरों के जल में खड़ा होकर शाम और सुबह के समय अर्घ्य दिया जाता है. इस महापर्व में मौसमी फलों, ठेकुआ और खजूर का प्रसाद बना कर उसे सूप में रखकर भगवान को अर्पित किया जाता है और शाम में अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध दिया जाता है.

उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने साथ छठ पर्व संपन्न: रात में कोशी भराई का कार्य संपन्न हुआ और उसके बाद सुबह उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही इस चार दिवसीय छठ महापर्व का अनुष्ठान का समापन हो गया है. यह व्रत अपने आप में कठिन और काफी तप वाला व्रत माना जाता है. सारण में इस पर्व में लोगों ने तालाबों और नदियों में जाकर प्रथम अर्घ्य अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दिया और इसी के साथ ही संध्या अर्घ्य का कार्यक्रम संपन्न हुआ. उसके बाद शुक्रवार की सुबह उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो गया.

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