'लोक कवि भिखारी ठाकुर के परिवार को क्या मिला ?' घर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग अब तक अधूरी

author img

By

Published : Dec 18, 2020, 7:30 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 7:36 PM IST

भिखारी ठाकुर

भिखारी ठाकुर के परिवार वाले अपनी पहचान की मांग कर रहे हैं. उनके प्रपौत्र की बहू की मानें, तो सरकार ने भिखारी ठाकुर के नाम पर जो कुछ दिया है, उससे लोगों का भला हुआ है. लोग उन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन भिखारी ठाकुर के परिवार को क्या मिला? ये कोई नहीं पूछता...

सारण : भोजपुरी के शेक्सपियर और लोक कवि कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर को बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर दियारा गांव में हुआ. जिस लोककवि ने अपनी रचनाओं के जरिए भोजपुरी को पूरे विश्व में एक पहचान दी, अफसोस कि उसके अपने बिहार ने ही उन्हें उपेक्षित कर दिया. आलम ये है कि आज तक उनके घर को राष्ट्रीय स्मारक तक घोषित नहीं किया जा सका है.

समाज में मौजूद कुरीतियों पर किया प्रहार
भिखारी ठाकुर के लोकगीतों के केंद्र में न सत्ता थी और ना ही सत्ता पर काबिज रहनुमाओं के लिये चाटुकारिता भरे शब्द. जिंदगी भर उन्होंने समाज में मौजूद कुरीतियों पर अपनी कला और संस्कृति के माध्यम से कड़ा प्रहार किया. लोककवि के नाम और उनकी ख्याति को अपनी राजनीति का मापदंड बनाकर वोट बैंक भुनाने वाले राजनेताओं ने भिखारी ठाकुर के गांव के उत्थान को लेकर यूं तो कई वादे किए, लेकिन वे सभी मुंगेरी लाल के हसीन सपनों की तरह हवा-हवाई साबित हुए. यही कारण है कि सरकारी उदासीनता ने भिखारी ठाकुर की रचनाओं और उनकी प्रासंगिकता को एक बार फिर संघर्ष के दौर में लाकर खड़ा कर दिया है.

देखें ये रिपोर्ट

'भिखारी ठाकुर के नाम पर लोग क्या कुछ नहीं कर रहे हैं. सब कमा खा रहे हैं. हम उनका विरोध नहीं करते हैं. उनके नाम पर सड़कें और आश्रम बना है, तो वो समाज के लिए हैं लोगों के लिए है. लेकिन भिखारी ठाकुर के परिवार को देखने और सुनने वाला कोई नहीं है. सरकार को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए. परिवार के सदस्यों को नौकरी देनी चाहिए. हमारी पहचान खोती जा रही है.' - तारा देवी, भिखारी ठाकुर के प्रपौत्र की बहू

रचनाओं ने लोगों के मन में बनायी खास जगह
बिदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोर, पिया निसइल, जैसी कई रचनायें हैं जिसने न सिर्फ लोगों के मन में एक खास जगह बनायी, बल्कि समाजिक कुरीतियों पर भी कड़ा प्रहार कर आंदोलन की एक नयी राह खड़ी की. वर्तमान में बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने भी बाल-विवाह, दहेज प्रथा और नशामुक्ति जैसी सामाजिक कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने के लिए मुहिम छेड़ रखी है.

लोक कवि का पैतृक गांव आज भी विकास के लिए संघर्षरत
भिखारी ठाकुर ने अपने दौर में जीवंत रचनाओं के जरिए, जिस बेबाकी से सामाजिक बुराइयों की ओर ध्यान खींचा,अगर पिछली सरकारें उस ओर नजर-ए-इनायत करतीं तो शायद भोजपुरी और लोककवि दोनों ही सामाजिक सरोकार के सबसे बड़े प्रणेता और पथ प्रदर्शक बन कर उभरते. जिस भिखारी ठाकुर ने सदियों पूर्व ही समाज को एक नयी चेतना दी थी आज उनके गांव, परिवार और दुर्लभ रचनाओं को सहेजने के लिए सिवाए खोखली घोषणाओं के कुछ नहीं. आज भी लोककवि का पैतृक गांव कुतबपुर दियारा विकास के लिए संघर्षरत है.

Last Updated :Dec 18, 2020, 7:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.