समस्तीपुरः मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मुजौना गांव में आजकल एक अलग ही चर्चा है. इस गांव की एक लड़की विज्ञान के बलबुते लड़का बन गई है. बेंगलुरु में एरोनॉटिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत समस्तीपुर की सौम्या 18 वर्षो बाद अपने पैतृक गांव लड़का बनकर लौटी है. सौम्या अकेले नहीं बल्कि अपनी दुल्हन के साथ आई है. गांव में हर कोई लड़की से लड़का बने समीर को एक झलक देखने के लिए उत्सुक है.
सर्जरी के बाद बनी लड़का
दरअसल, जाने माने वरिष्ठ पत्रकार व लेखक डॉ लक्ष्मीकांत सजल की दो बेटियों में बड़ी बेटी सौम्या थी. जो बैंगलुरू में एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एरोनॉटिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत है. लेकिन सौम्या का मन और तन एक दूसरे से विपरीत था. बचपन से ही उसे लड़कों के कपड़े व अन्य चीजें पसंद थी. उम्र के साथ ही यह अंतर बढ़ता चला गया. आखिरकार सौम्या इसी साल सेक्स चेंज सर्जरी के जरीये लड़की से लड़का बन गई.
'विज्ञान के बलबूते हुए उसका ये पूर्वजन्म'
सौम्या से समीर बनने के इस सफर को उसने साझा करते हुए बताया कि विज्ञान के बलबूते हुए उसके इस पूर्वजन्म में परिवार व ऑफिस के सभी लोगों का साथ मिला. बैंगलुरू के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन के नेतृत्व में जेंडर चेंज करने की लंबी प्रक्रिया के बाद 22 जून 2019 को सौम्या का सेक्स चेंज किया गया. एक बेहतर सर्जरी के जरिये आज वह अपने आप को बदल सका. यही नहीं सौम्या से समीर बनने के बाद उसने इसी महीने बैंगलुरू में पूरे हिन्दू रीति रिवाज के साथ ब्याह भी रचाया है.
समीर के स्वागत में जुटे घर के लोग
समीर भारद्वाज ने बताया कि उसकी पत्नी भी एक बड़े मल्टीनेशनल कंपनी में एरोनॉटिकल इंजीनियर है. समीर ने बताया कि आज वह अपनी पत्नी के साथ काफी खुश है. शादी करके एक अर्से बाद गांव लौटे समीर व उसकी पत्नी के स्वागत में घर के लोग जुटे हुए हैं. समीर की मां ने कहा कि जन्म तो उसने बेटी को दिया था. लेकिन अब वह उनका बेटा है. साथ ही उनके परिवार को एक अच्छी बहू भी मिल गई.