समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिला में नागपंचमी का त्योहार (festival of nagpanchami) बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यहां सांपों का मेला (Snake Fair on Nag Panchami in sitamarhi) भी लगता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि नागपंचमी के दिन भगत तंत्र-मंत्र के जरिए विषैले से विषैले सांपों का जहर निकाल देते हैं. पूजा करने के बाद इन सांपों को फिर से इन्हें पानी में छोड़ दिया जाता है. इन सांपों से छोटे-बड़े सभी लोग इस तरह खेलते हैं, जैसे ये कोई खिलौना हो. इस दौरान नदी के तट पर सभी लोग सांपों को दूध पिलाकर पूजा करते हैं.
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मंत्र की शक्ति से उत्पन्न होता है सांपः समस्तीपुर से करीब 23 किलोमीटर दूर सिंधिया घाट पर नागपंचमी के दिन ये अनोखा मेला लगता है. क्या बच्चे, क्या बूढे, हर किसी के हाथों में, गले में सांप होते है. मेले में कोई सांप को कुछ खिलाते हुए दिख जाएगा और कोई सांपों के साथ खेलते हुए दिख जाएगा. नागपंचमी के दिन भगत लोग नाग की पूजा धूमधाम से करते हैं. स्थानीय लोग नदी में डुबकी लगाकर जहरीले सांप को निकालते हैं और लोगों के हाथ में दे देते हैं. यदि सांप किसी को काट ले तो उसकी मौत भी हो सकती है, लेकिन नागपंचमी के दिन सांप किसी को नहीं काटता, क्योंकि ये सांप मंत्र की शक्ति से उत्पन्न किया हुआ होता है. ये दावा भगत का है. इस नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
"नागपंचमी के दिन हजारों की संख्या में लोग सिंघिया घाट पर इस मेला को देखने आते हैं. ये मेला 300 बरस से इसी तरह धूम धाम से लगता आ रहा है. आज के दिन हर लोग सांपों को खिलौना समझ कर खेलते हैं. लेकिन सांप इनको नहीं काटता. आप देख सकते हैं कैसे लोग सांप के मुंह में अंगुली दे रहे हैं लेकिन उन्हें कुछ नहीं हो रहा. इन सांपों को मंत्र की शक्ति से उत्पन्न किया जाता है"- भगत
श्रावण मास की पंचमी को लगता है मेलाः आपके बता दें कि नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा और कालसर्प योग से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं. श्रावण मास की पंचमी पर यहां बड़े धूमधाम से जहरीले सांपों का मेला लगता है. सिंधिया घाट का ये मेला तीन सौ सालों से ज्यादा वक्त से लगातार जारी है. नागपंचमी के दिन सांपों को पकड़ने की प्रथा कई पीढ़ियों से चली आ रही है. मान्यता है कि बरसों पहले ऋषि कुश का सांप बनाकर पूजा करते थे. लेकिन अब लोग असली सांप पकड़कर पूजा करते हैं.