राम मंदिर के लिए निकाले गए रथ के थमने की कहानी, जब लालू के आदेश पर हुई थी आडवाणी की गिरफ्तारी

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Published : Nov 8, 2019, 6:14 PM IST

Updated : Nov 8, 2019, 6:20 PM IST

समस्तीपुर जिला राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई रथ यात्रा से जुड़े उस पन्ने को अपने गर्भ में समेटे हुए है, जिसने देश की सरकार को गिरा दिया था. लालू यादव के एक बड़े आदेश के बाद जो हुआ उससे बीजेपी ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई.

समस्तीपुर: अयोध्या के राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर कुछ ही दिनों में बड़ा फैसला सुना दिया जाएगा. वहीं, राम मंदिर निर्माण के समर्थन में शुरू की गई रथ यात्रा से जुड़ी घटना गवाह बिहार का समस्तीपुर जिला रहा है. इस मुद्दे पर फैसले की घड़ी नजदीक है. ऐसे में उस घटना के गवाह रहे लोगों की यादें ताजा हो गई हैं.

समस्तीपुर जिला राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई रथ यात्रा से जुड़े उस पन्ने को अपने गर्भ में समेटे हुए है, जिसने देश की सरकार को गिरा दिया था. लालू यादव के एक बड़े आदेश के बाद जो हुआ उससे बीजेपी ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई. उस समय सरकार में लालू यादव भी साझीदार थे.

यहां से हुई थी आडवाणी की गिरफ्तारी
यहां से हुई थी आडवाणी की गिरफ्तारी

आडवाणी की गिरफ्तार का आदेश
दरअसल, बीजेपी के लौह पुरुष माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को राममंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने की खातिर सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की थी. आडवाणी की ये यात्रा राज्य-दर-राज्य होते हुए 30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या जानी थी, जहां वह मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए होने वाली 'कारसेवा' में शामिल होने वाले थे. लेकिन जैसे ही 25 अक्टूबर 1990 को आडवाणी की रथ यात्रा बिहार के समस्तीपुर पहुंची, तो प्रदेश के तत्कालीन सीएम लालू यादव के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

देखिए खास रिपोर्ट

गेस्ट हाउस से हुई थी गिरफ्तारी
लालू यादव के आदेश पर आडवाणी को जिले के अतिथि गृह से गिरफ्तार किया गया. आडवाणी की गिरफ्तारी की ठान चुके लालू यादव ने उनकी गिरफ्तारी उस समय करवायी, जब सारे कार्यकर्ता जा चुके थे. ऐसा कहा जाता है कि देर रात करीब दो बजे लालू यादव ने पत्रकार बनकर उन्हें फोन किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई. वहीं, लालू यादव ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें डर था कि समर्थकों के बीच गिरफ्तारी से बवाल हो सकता है.

कोर्ट परिसर
कोर्ट परिसर

क्या बोले प्रत्यक्षदर्शी...
ईटीवी भारत ने उस समय के प्रत्यक्षदर्शी और रथ यात्रा में शामिल रहे लोगों से जब बात की तो उन्होंने घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. लोगों का कहना है कि लालू यादव का लिया गया फैसला असंवैधानिक था. राम मंदिर निर्माण सभी लोग चाहते थे. अब कोर्ट का फैसला जो कुछ भी आता है, उसका हम स्वागत करेंगे. कुछ ने आडवाणी की गिरफ्तारी को प्रजातंत्र की हत्या बताया. वहीं, एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी बताया कि आडवाणी की गिरफ्तारी गैर कानूनी तरीके से हुई थी.

समस्तीपुर जिला समाहरणालय
समस्तीपुर जिला समाहरणालय

आयोध्या- भूमि विवाद पर फैसला
आयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर जल्द फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यों वाली बेंच इस मामले पर जल्द फैसला सुना सकती है. वहीं, इस फैसले को लेकर देश भर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है. बात करें समस्तीपुर की, तो यहां भी प्रशासन अलर्ट पर है.

Intro:राममंदिर पर बड़ा फैसला कुछ दिनों में सामने होगा , लेकिन इसी मंदिर को लेकर चले एक बड़े आंदोलन के रथ को , इसी जिले के राह ने रोका था । एक बार फिर जिले के जेहन में दशकों पहले की वह घटना ताजा हो गयी है ।


Body:राम मंदिर निर्माण को लेकर 90 का वह दशक , जब सोमनाथ से रथ लेकर निकले बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ इसी जिले में रोक दिया गया ।अयोध्या में राम-जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल पर राममंदिर निर्माण के लिए , समर्थन पर निकले रथ को इसी जिला मुख्यालय में 23 अक्टूबर 1990 में रोक दिया गया । यही नही उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को जिले के गेस्ट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया । बहरहाल एक बार फिर राम मंदिर मामले पर ऐतिहासिक वक्त आया है । पूरे देश मे इसको लेकर एक अलग ही माहौल है । लेकिन जिले में घटित उस वक्त के घटना के साक्षी रहे लोगों का मानना है की , 90 में राममंदिर निर्माण को लेकर चले रथ को जिस तरह रोका गया , वह असवैंधानिक था ।

बाईट - वैधनाथ ठाकुर , रामचंद्र मिश्र , अवधेश कुमार राय , प्रत्यक्षदर्शी । ( आडवाणी गिरफ्तारी )


Conclusion:गौरतलब है की , उस दौर में जिले के बहूतरे लोग थे , जो इस आंदोलन के हिस्सा थे । जाहिर सी बात है , राम मंदिर मामले पर जब ऐतिहासिक वक्त आया है तो , उनके जेहन में मंदिर को लेकर जिले की वह घटना ताजी हो गयी है ।

ब्रीफ क्लोजिंग पीटीसी ।
Last Updated :Nov 8, 2019, 6:20 PM IST
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