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आज पैरोल पर जेल से बाहर आ सकते हैं आनंद मोहन, समर्थकों की बढ़ी उम्मीद

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Published : Nov 4, 2022, 8:03 AM IST

पूर्व सांसद आनंद मोहन
पूर्व सांसद आनंद मोहन

पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan in Saharsa Jail) को 15 दिनों की पैरोल मिली है, लेकिन अब तक को वो जेल से बाहर नहीं आ सके हैं. जिसे लेकर उनके समर्थकों और परिवार में मायूसी है. हालांकि आज उनके जेल से बाहर आने की पूरी उम्मीद है.

सहरसाः अपनी पुत्री सुरभि के शुभलग्न और 97 वर्षीय मां गीता देवी के बिगड़ रहे स्वास्थ्य के कारण डीएम हत्यांकाड में सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan) को 15 दिनों की पैरोल मिली है, लेकिन अब तक वो जेल से बाहर नहीं आ सके हैं. हालांकि उनके पारिवारिक सदस्य और समर्थक बुधवार से ही इसके लिए प्रयासरत हैं. जेल सूत्रों के अनुसार कागजातों की कमी के कारण वो गुरुवार को भी बाहर नहीं निकल सके. उधर कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि सराकर ने उपचुनाव से ठीक एक दिन पहले उन्हें जेल से पैरोल पर छोड़ना सही नहीं समझा, विपक्ष के सवालों से बचने के लिए पैरोल पर उनकी रिहाई को दो दिनों के लिए टाल दिया गया. अब आज यानी शुक्रवार को उनके (Anand Mohan Release Today from Saharsa Jail) बाहर आने की उम्मीद है.

2007 से ही सहरसा मंडल कारा में बंदः दरअसल पूर्व सांसद आनंद मोहन वर्ष 2007 से ही सहरसा मंडल कारा में बंद हैं. लगभग पंद्रह साल से जेल में बंद आनंद मोहन को पहली बार पैरोल मिली है. बुधवार को जेल गेट, कचहरी और गंगजला स्थित उनके आवास पर समर्थकों की गहमागमी रही. समर्थक इस उम्मीद में थे कि वो जेल से बाहर आएंगे लेकिन देर शाम तक तकनीकी बाधा दूर नहीं के कारण उनकी रिहाई टल गई. उनके जेल से बाहर आने को लेकर इंटरनेट मीडिया पर दिन भर चर्चा होती रही. वहीं उनके पुत्र सह शिवहर विधायक चेतन आनंद ने अपने फेसबुक पेज पर समर्थकों से किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं देने का अनुरोध किया था. वहीं, जेल के प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि शाम पांच बजे तक पूरे कागजात जेल प्रशासन का उपलब्ध नहीं करवाया जा सका इसलिए उनकी रिहाई नहीं हो पायी. वहीं कयास ये भी लगाए गए जा रहे हैं कि विपक्ष के सवालों से बचने के लिए उपचुनाव से ठीक एक दिन पहले उन्हें छोड़ना सरकार ने सही नहीं समझा, जिसकी वजह से ये देरी हुई.

पूरी कर ली है उम्रकैद की सजाः आपको बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या मामले में उन्होंने पहले ही उम्रकैद की सजा पूरी कर ली है. इसके अलावा आचार संहिता उल्लंघन के 31 साल पुराने मामले में भी वह पहले ही बरी हो चुके हैं. सहरसा के जिलाधिकारी आनंद शर्मा ने जानकारी दी है कि जेल आईजी द्वारा सहरसा जेल सुपरिटेंडेंट को एक पत्र जारी किया गया है. इसमें आनंद मोहन को रिहा करने का निर्देश दिया गया है. आनंद मोहन ने पैरोल पर रिहाई के लिए अर्जी दी थी. बताया था कि वे अपनी बेटी के इंगेजमेंट में शामिल होना चाहते हैं और बूढ़ी मां को देखना चाहते हैं.

क्या है डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड? दरअसल, मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. ये घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रही थी. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब थी.

मौत की सजा पाने वाले पहले सांसद हैं आनंद मोहनः इस मामले में निचली अदालत ने 2007 में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी . बताया जाता है कि आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हुए, जिन्हें मौत की सजा मिली थी. हालांकि, दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. डीएम हत्याकांड में वे सजा पहले ही पूरी कर चुके हैं.

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