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हाल-ए-बिहार: अस्पताल में जवान बेटे को पीठ पर लादकर घूमती रही मां, नहीं मिला स्ट्रेचर-व्हीलचेयर

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Published : Dec 13, 2021, 5:58 PM IST

Patients Are Not Getting Facilities In Sasaram
Patients Are Not Getting Facilities In Sasaram

बिहार के जिला मुख्यालय सासाराम के सदर अस्पताल में एक 56 वर्षीय मां अपने 32 साल के बेटे को पीठ पर लेकर डॉक्टर के पास पहुंची. बताया जा रहा है कि अस्पताल से महिला को व्हील चेयर और स्ट्रेचर (Patients Are Not Getting Facilities In Sasaram ) मुहैया नहीं कराई गई थी. पढ़ें पूरी खबर..

रोहतास: बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं (Health System Of Bihar) बेहतर होने के दावे किए जाते हैं, लेकिन अक्सर इसपर सवाल उठते हैं. एक बार फिर से कोरोना संक्रमण की आशंकाओं के बीच अस्पतालों में मुक्कमल इंतजामों के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन अस्पतालों में इंतजामों की सासाराम सदर अस्पताल में ही पोल खुल गई है. एक 56 वर्षीय मां प्रमिला देवी अपने 32 साल के बेटे योगेश चौधरी को कंधे पर उठाकर (Mother Reached To Doctor With Son On Back) इस वार्ड से उस वार्ड में घूमती नजर आई. इस दौरान अस्पताल के कई कर्मचारियों ने देखकर इस महिला को नजरअंदाज कर दिया.

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वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एक मां अपने बेटे को बिना स्ट्रेचर और व्हील चेयर के अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल परिसर में डॉक्टर के पास ले जा रही है. जानकारी के मुताबिक नोखा इलाके के कदवा का रहने वाला विकलांग युवक योगेश चौधरी मजदूरी कर अपना जीवन यापन करता है. पिछले दिनों मजदूरी कर घर लौटने के दौरान वह साइकिल से गिर गया. गिरने के कारण योगेश को पैर में गंभीर चोट आई और पैर फ्रैक्चर हो गया.

सासाराम सदर अस्पताल का हाल

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ऐसी स्थिति में प्रमिला देवी किसी तरह से अपने जख्मी विकलांग बेटे को नोखा से सदर अस्पताल सासाराम लेकर पहुंची. फिर सासाराम आकर ऑटो से उतरने के बाद उसे किसी तरह अपने पीठ पर टांग कर अस्पताल पहुंची. अस्पताल पहुंचने के बाद भी महिला के बेटे के लिए स्ट्रेचर और व्हील चेयर का प्रबंध न हो सका.

इसके बाद भी इस मां ने हार नहीं मानी और बेटे को छोटे बच्चे की तरह पीठ पर लेकर घूमती रही. इतना ही नहीं, अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भी उसे कुछ इसी तरह घूमते देखा गया. यहां तक की वार्ड से अस्पताल के एक्सरे रूम तक जाने के लिए भी अस्पताल संवेदनहीन बना रहा. थक हारकर महिला ने अपनी पीठ पर ही बेटे को उठाकर एक्सरे रूम तक पहुंचाया. लेकिन किसी स्वास्थ्य कर्मी ने स्ट्रेचर या व्हील चेयर से उसकी मदद नहीं की, जबकि अस्पताल में तमाम तरह के उपस्कर उपलब्ध हैं.

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बहरहाल एक जवान विकलांग बेटे को कंधे पर लेकर घूमती मां की यह तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि, बच्चा कितना भी बड़ा हो जाए वो मां के लिए हमेशा बच्चा ही रहता है. बेटे का किसी तरह से इलाज हो जाए और वह ठीक हो जाए, बस प्रमिला यही चाहती है. लेकिन इस तस्वीर ने एक बार फिर से बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है.

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