ETV Bharat / state

Sawan Somwar 2023: 3 हजार साल पुराना हैं डेहरी झारखंडी महादेव मंदिर, यहां ताड़का ने की थी भगवान शिव की पूजा

author img

By

Published : Aug 7, 2023, 2:09 PM IST

रोहतास में प्राचीन झारखंडी महादेव मंदिर
रोहतास में प्राचीन झारखंडी महादेव मंदिर

रोहतास में सावन के पवित्र महीने में प्राचीन झारखंडी महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ गई है. इस मंदिर को लेकर लोगों में खास मान्यता है कि यहां पूजा करने से महादेव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

रोहतास में प्राचीन झारखंडी महादेव मंदिर

रोहतास: बिहार के रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन के नदी के तट पर झारखंडी महादेव मंदिर स्थित है. इस मंदिर को लेकर बताया जाता है कि यहां काफी प्राचीन शिवलिंग है, जो लगभग तीन हजार साल पुराना है. जिसकी पूजा अर्चना करने के लिए राज्य के अन्य जिलों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. ऐसे में खासकर सावन की सोमवारी में यहां लोगों की भारी भीड़ जुटती है और भक्तिमय माहौल हो जाता है.

पढ़ें-Sawan Somvar 2023: सावन के पांचवे सोमवार पर बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, हर-हर महादेव के लगे जयकारे

क्या है मंदिर का इतिहास: दरअसल डेहरी के पास स्थित झारखंडी मंदिर काफी प्रसिद्ध है. पूर्व मध्यकालीन काले पत्थरों से बनी मूर्तियां इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को प्रसिद्धि दिलाती है. शावर जनजातियों के आराध्य देव भगवान शिव हैं. जिनकी कालांतर में यहां शासन व्यवस्था थी. वहीं 1865 में यहीं से विश्वविख्यात सोन नहर की प्रणाली निकली है. झारखंडी महादेव के प्रसिद्ध मंदिर में चतुर्भुज लघु स्तंभ मंदिर के प्राचीन कुएं पर खुदाई के दौरान मिले थे जो यहां अवस्थित है जिसकी श्रद्धालु पूजा करते हैं.

ताड़का ने की थी यहां पूजा: मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां पर ताड़का ने भी आकर पूजा की थी, जिसके बाद वह बक्सर गई थी. वह बताते हैं कि यहां प्राचीन शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालु बिहार के अलावा अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित कई जगहों से पहुंचते हैं. यहां भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. सोमवारी को झारखंडी मंदिर में पूजा करने आई श्रद्धालु तनीषा बताती है कि इस मंदिर में मान्यता है कि जो भी मनोकामना मांगी जाए वह पूर्ण हो जाती है.

"झारखंडी मंदिर का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व भी रहा है, यह सिद्ध पीठ है. जहां कभी विंध्य पर्वत पर चेरो और खरवार जातियों का शासन रहा था. वह शिव के भक्त थे. यहां उस समय एक विशाल मन्दिर था जो बाद में मुगल शासन के समय में तहस नहस हो गया था."- सुरेंद्र तिवारी, स्थानीय

"यह काफी खास जगह इसलिए भी है क्योंकि यहां पर ताड़का ने भी आकर भोलेनाथ की पूजा की थी, जिसके बाद वह बक्सर गई थी. श्रद्धालु बिहार के अलावा अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित कई जगहों से यहां प्राचीन शिवलिंग के दर्शन के लिए पहुंचते हैं."-रवि प्रकाश ओझा, मंदिर के पुजारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.