लापरवाही : रोहतास के एक स्कूल में एक ही विषय के 14 टीचर तैनात.. 9 साल से चल रहा खेल

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Published : Apr 8, 2022, 1:36 PM IST

Social science teacher

बिहार में शिक्षा विभाग की कार्यशैली अक्सर सवालों के घेरे में रहती है. इस बार विभाग के अधिकारियों के द्वारा की गई लापरवाही का खामियाजा छात्रों और पूरे स्कूल को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल, रोहतास में बिहार शिक्षा विभाग की लापरवाही (Bihar Education Department) के चलते एक ही विषय के 14 शिक्षकों को एक मॉडर्न स्कूल में पदस्थापित (14 teachers of same subject posted in Rohtas) किया गया है. विभाग की इस तरह की लापरवाही के कारण बच्चों को हिंदी और उर्दू के पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर कई सवाल उठ रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

रोहतास: बिहार के स्कूल-कॉलेजों की दशा किसी से छिपी नहीं है. शिक्षा में सुधार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाख बातें कर लें. तमाम योजनाएं लागू कर लें. लेकिन नतीजा धाक के तीन पात साबित हो रहे हैं. राज्य में कई ऐसे स्कूल हैं जिन्हें शिक्षकों की कमी के चलते बंद करना पड़ता है. लेकिन अब प्रदेश सरकार के शिक्षा व्यवस्था की कलई खुद सरकारी विद्यालय ही खोल रहे हैं. ताजा मामला रोहतास जिले के नोखा में स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय गढ़नोखा (Higher Secondary School Garh Nokha Rohtas) से है. यहां बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते एक ही विषय के 14 शिक्षकों को एक स्कूल में पदस्थापित किया गया है. यह लापरवाही आज की नहीं बल्कि पिछले 8-9 साल पहले की है, लेकिन आज तक विभाग के किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली. ताकि जिन स्कूलों को शिक्षकों की जरूरत है, उन्हें वहां भेजा जाए.

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दअरसल, नोखा के इस विद्यालय में भवन तो है, लंबा चौड़ा परिसर भी है. इसे मॉडर्न स्कूल भी बनाया गया है ताकि शिक्षा के तमाम बेहतर उपाय किए जाए. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि इस विद्यालय में बिहार शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण समाजिक विज्ञान के 14 शिक्षकों की पदस्थापना की गई है. वर्ष 2013-14 में नोखा नगर पंचायत द्वारा किए गए नियोजन में यह सब गड़बड़ झाला किया गया. ऐसे सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि विभाग के किसी अधिकारी ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया?

हिंदी और उर्दू के शिक्षकों का अभाव: इस पूरे मामले के संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक कुमार रितेश बताते हैं कि विद्यालय में हिंदी और उर्दू के शिक्षकों का अभाव है. वहीं सामाजिक विज्ञान के 14 शिक्षक (Social Science Teacher) यहां पदस्थापित है. जिसमें से 13 शिक्षक लगातार उपस्थित भी हैं और बच्चों को पठन-पाठन करवा रहे हैं. लेकिन किन परिस्थितियों में इस स्कूल में एक विषय के इतने शिक्षक तैनात किए गए हैं. इस पर वह कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.

एक शिक्षक कई महीनों से हैं अनुपस्थित: बता दें कि सामाजिक विज्ञान के दो शिक्षकों का पद सृजित है. लेकिन वर्ष 2013 में 8 और 2014 में 6 समाजिक विज्ञान के शिक्षकों को इसी विद्यालय में भेज दिया गया. उसमें से फिलहाल एक शिक्षक बिना सूचना के कई महीनों से अनुपस्थित हैं. वहीं तीन अन्य शिक्षकों को विभाग ने विभिन्न सरकारी कार्यालय में डिप्टेशन पर भेजा है.

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366 छात्रों के करियर से खिलवाड़: बता दें कि विद्यालय में शिक्षकों की कुल स्ट्रेंथ 24 हैं. वहीं कुल 366 छात्र फिलहाल यहां पठन-पाठन कर रहे. इस प्रकार एक ही विद्यालय में एक ही विषय के इतने शिक्षक की पदस्थापना पर कोई भी सक्षम अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्रों के करियर से शिक्षा विभाग खिलवाड़ कर रहा है. हालांकि, जिला शिक्षा पदाधिकारी को इस पूरे मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कहा कि यह नियम के विरुद्ध है. मामले की जानकारी ली जा रही है.

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