पूर्णिया: कोरोना में बदली महेन्द्रपुर उच्च विद्यालय की तस्वीर, ट्रेन की लुक में दिख रहा स्कूल

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Published : Sep 1, 2020, 9:29 PM IST

ट्रेन के डिब्बे जैसा स्कूल

कोरोना संक्रमण के दौरान बंद पड़े स्कूलों के प्रति बच्चों का आकर्षण जगाने के लिए पूर्णिया में अनोखी कवायद की गई है. इस सरकारी विद्यालय की ट्रेन की शक्ल में रंगाई-पुताई की गई है.

पूर्णिया: कोरोना के कारण बीते कई महीने से सभी विद्यालयों में ताले लटके हुए हैं. ऐसे में बच्चों को बंद पड़े स्कूलों के खुलने और क्लास की घंटी बजने का इंतजार है. स्कूलों के खुलते ही बच्चों को कोरोना के उबाऊ माहौल से एक इतर एहसास कराने के लिए पूर्णिया में अनोखी पहल की गई है. जिले की एक स्कूल की दीवार को ट्रेन के डिब्बों की खूबसूरत शक्ल में ढाला गया है. एक नजर में हर किसी को यही लगेगा कि वह किसी प्लेटफार्म पर खड़ा है.

दरसअल लॉकडाउन और अनलॉक के समय का सही इस्तेमाल करते हुए यह अनूठा प्रयास किया गया. जिला मुख्यालय से करीबन 25 किलोमीटर दूर महेन्द्रपुर के विक्रमपुर स्थित उच्च विद्यालय में दीवारों और खिड़कियों को ट्रेन के डिब्बों के लुक में सजाया गया है. यहां आने पर ऐसा लगता है मानों कैंपस कोई स्टेशन हो और कक्षाएं किसी खूबसूरत रेल यात्रा पर होने का एहसास कराती हैं.

पूर्णिया का महेन्द्रपुर उच्च विद्यालय
पूर्णिया का महेन्द्रपुर उच्च विद्यालय

रेल यात्रा पर होने का एहसास
वहीं, विद्यालय में अब क्लास बेल की बजाए बच्चों की प्यारी छुक-छुक करती ट्रेन की सवारी की धुन सुनाई देगी. जिसके बजते ही बच्चे पहले की तरह कक्षाओं में चले आएंगे. खास बात यह है कि यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ ही यातायात के नियमों की जानकारी दी जाएगी. कुछ रोज पहले ही सीएम नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विद्यालय का उदघाटन किया था.

पाठ्यक्रम आसान बनाएगा सफर
वहीं स्काउट गाइड की छात्रा इशार खातून और फातमा कहती हैं कि उन्हें तो सिर्फ विद्यालय के खुलने का इंतजार है. सभी ने स्कूल और ट्रेन की यात्रा को बहुत मिस किया है. स्कूल और कक्षा में कदम रखते ही उन्हें किसी रेल के सफर पर होने का एहसास होगा. पढाई मनोरंजक होगी. लिहाजा पाठ्यक्रम ही वस्तु को पहले से बेहतर तरीके से समझने में आसानी होगी.

'स्कूल आने पर खिलेंगे बच्चों के चेहरे'
विद्यालय के प्राचार्य प्राण मोहन झा बताते हैं कि कोरोना काल ने बच्चों की छुट्टियां बर्बाद कर दी. वे घरों में कैद हो गए. न कहीं बाहर जा पाए और न ही यात्रा कर सके. लिहाजा बच्चे बड़ी ही बेसब्री से विद्यालय खुलने की राह देख रहे हैं. ऐसे में बच्चों के जहन से कोरोना का उबाऊपन भगाने के साथ ही पढ़ाई के प्रति बच्चों में लगाव जगाया जा सके इसके लिए यह पहल की गई है. बता दें कि सरकारी विद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर और पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार से जुड़े बेहतर प्रयोगों के लिए प्रधानाध्यापक प्राण मोहन झा को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

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