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अब टैब और ब्रेल किट से पढ़ेंगे दिव्यांग, पूर्णिया का साकिर बना योजना का पहला लाभार्थी

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Published : Sep 5, 2019, 10:10 AM IST

Updated : Sep 5, 2019, 10:18 AM IST

बायसी प्रखण्ड में रहने वाले दिव्यांग मो. साकिर की तरह ही बेहद जल्द सूबे के बाकी दिव्यांग बूढ़े हो चुके ब्रेललिपि के बजाए एक बड़े स्क्रीन वाले टैब, अत्याधुनिक किट और हाई टेक सॉफ्टवेयर पर पढ़ाई कर खुद को सामान्य बच्चों की तरह स्किल्ड और एडवांस्ड बना सकेंगे.

टैब और ब्रेल किट से पढ़ेंगे दिव्यांग

पूर्णिया: सूबे के दिव्यांग बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह स्मार्ट और स्किलफूल बन सकें, इसलिए बिहार के शिक्षा महकमे ने ऐसे बच्चों के लिए एक अनूठी पहल की है. यहां के बायसी प्रखण्ड में रहने वाले दिव्यांग मो. साकिर की तरह जल्द ही सूबे के बांकी दिव्यांग बूढ़े हो चुके ब्रेललिपि के बजाए एक बड़े स्क्रीन वाले टैब, अत्याधुनिक किट और हाईटेक सॉफ्टवेयर पर पढ़ाई कर खुद को सामान्य बच्चों की तरह स्किल्ड और एडवांस्ड बना सकेंगे.

राज्य सरकार की इस नई तकनीक का असल मकसद दिव्यांगों के पाठ्यवस्तु को सरल बनाना है. बता दें कि 90 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में साकिर अव्वल रहा था. प्रदेश में टैब और ब्रेल किट पाने वाले साकिर पहले लाभार्थी बनें. वहीं, बहुत जल्द बिहार शिक्षा परियोजना के इस पहल का लाभ जिले के 10 अन्य छात्रों को भी मिलने वाला है.

अब टैब और ब्रेल किट से पढ़ेंगे शाकिर

जानें टैब और ब्रेल किट की खूबियां
टैब और ब्रेल किट की विशेषताओं पर गौर करें तो टैब में मौजूद फीचर्स और अपडेटेड सॉफ्टवेयर में पाठ्यक्रमों के साथ ही पाठ्य सामग्री के बदलाव की तकनीक डेवलप है. आसान शब्दों में समझें तो बच्चे जैसे-जैसे अगली कक्षा की ओर बढ़ते जाएंगे. यह टैब खुद को अपडेट कर लेगा. मसलन कक्षा 7 उत्तीर्ण कर आठवीं में जाने पर टैब में मौजूद पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री अपडेट होकर ऑडियो फॉर्मेट में मौजूद होगी. इसके साथ ही टैब में कई हाईटेक फीचर्स और अत्याधुनिक स्टडी सॉफ्टवेयर भी होंगे. जिसकी सहायता से दिव्यांग बच्चे किसी भी टॉपिक को आसानी से और पहले से कहीं ज्यादा अधिक समय तक स्मरण में रखेंगे.

Purnea
टैब और किट लेते दिव्यांग शाकिर

होनहार साकिर से ईटीवी की खास बातचीत
बायसी के डांगरा पंचायत स्थित एक सरकारी स्कूल की कक्षा आठवीं में पढ़ रहे मो. साकिर से ईटीवी भारत ने बातचीत की. दरअसल दोनों आंखों से दिव्यांग होनहार मो. साकिर चयनित परीक्षा में पहले स्थान पर रहे थे. जिसके बाद वे सरकार की इस योजना का लाभ लेने वाले पहले छात्र बन गए हैं. लिहाजा साइट सेवर्स और एसएसए के सहयोग से प्रदान की गई टैब और ब्रेल किट पाकर साकिर खासे उत्साहित दिखे.

Purnea
ईटीवी भारत से बातचीत करते शाकिर

क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, एसएसए संभाग प्रभारी प्रेम कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि मो. साकिर को टैब, किट और पेपर दिए गए हैं. जिससे वह अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे. उन्होंने कहा कि वीआई कीट मिलने के बाद साकिर के लिए पढ़ाई पहले से सरल और सुलभ होगी. वीआई बच्चों की सुनने की क्षमता अधिक होती है. जिससे वह जो कुछ भी कैच करेंगे. वे उनके मस्तिष्क में छप से जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसका असल मकसद दिव्यांग बच्चों में स्मार्ट शिक्षा का अलख जगाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है.

Purnea
जानकारी देते एसएसए संभाग प्रभारी
Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive story।

सूबे के दिव्यांग बच्चे सामान्य बच्चों की तरह स्मार्ट और स्किलफूल बन सके लिहाजा बिहार के शिक्षा महकमे ने ऐसे बच्चों के लिए एक अनूठी पहल की है। लिहाजा यहां के बायसी प्रखण्ड में रहने वाले दिव्यांग मो. साकिर की तरह ही बेहद जल्द सूबे के बाकी दिव्यांग बूढ़े हो चुके ब्रेललिपि के बजाए एक बड़े स्क्रीन वाले टैब ,अत्याधुनिक किट और हाई टेक सॉफ्टवेयर पर पढ़ाई कर खुद को सामान्य बच्चों की तरह स्किल्ड और एडवांसड बना सकेंगे। राज्य सरकार की इस नई तकनीक का असल मकसद दिव्यांगों के पाठ्यवस्तु को सरल बनाना है।


Body:टैब व ब्रेल किट पाने वाला पहला बच्चा साकिर.....

दरअसल दिव्यांग साकिर ऐसा पहला बच्चा है जिसे बिहार के शिक्षा महेकमे की ओर से जिले के समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में टैब व अत्याधुनिक ब्रेल किट दी गयी है। जिसके बाद पुरानी ब्रेल लिपि के बजाए अब 13 वर्षीय होनहार साकिर टैब , अत्याधुनिक ब्रेल संसाधन व हाईटेक सॉफ्टवेयर की मदद से आगे की अपनी पूरी पढ़ाई सरकार की ओर से प्रदान की गई इसी टैब से पूरी करेगा।


90 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में अब्बल रहा था साकिर...


दरअसल इन सब से पहले बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से पिछले साल मार्च में स्पर्श प्रशिक्षण मूल्यांकन करवाया गया था। 90 दिनों तक चलने वाले इस मूल्यांकन कार्यक्रम का आयोजन आवासीय प्रशिक्षण आरक्षी मध्य विद्यालय में किया गया था।
जिसके तहत जिले भर से आंखों से दिव्यांग कुल 21 बच्चों को विशेष कौशल ( ब्रेल ,टेलर ,फ्रेम ,अवेक्स) की परीक्षा ली गईं थी। जिसके सवार्धिक स्कोरर साकिर बने थे। यह चयन परीक्षा 3 महीने यानी जून तक चली थी। जिसे साइट सेवर्स ने संचालित किया था।


10 अन्य बच्चों को भी मिलेगा योजना का लाभ...


दरअसल एजुकेशन एक्सपर्ट भी यह कुबूल करते हैं कि स्मार्ट एजुकेशन के मद्देनजर आंखों से दिव्यांग बच्चों के लिए ब्रेल लिपि वर्तमान समय में बूढ़ी हो चुकी है। जिसे देखते हुए बिहार शिक्षा परियोजना की पहल पर किट साइट सेवर्स और एसएसए के सहयोग से दिव्यांग बच्चों के लिए टैब व ब्रेल किट तैयार कर दृष्टिबाधित छात्रों को दिया जाना है। बेहद जल्द बिहार शिक्षा परियोजना के इस पहल का लाभ जिले के 10 अन्य छात्रों को भी मिलने वाला है। सके लिए दृष्टिबाधित छात्रों को किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा।


जानें टैब व ब्रेल किट की खूबियां...

टैब व ब्रेल किट की विशेषताओं पर गौर करें तो टैब में मौजूद फीचर्स व अपडेटेड सॉफ्टवेयर में पाठ्यक्रमों के साथ ही पाठ्य सामग्री की बदलाव की तकनीक डेवलप है। आसान शब्दों में समझें तो बच्चे जैसे-जैसे अगली कक्षा की ओर बढ़ते जाएंगे। यह टैब खुद को अपडेट कर लेगा। मसलन कक्षा 7 उत्तीर्ण कर आठवीं में जाने पर टैब में मौजूद पाठ्यक्रम व पाठ्य साम होकर ऑडियो फॉर्मेट में मौजूद होगी। वहीं इसके साथ ही टैब में कई हाई टेक फीचर्स व अत्याधुनिक स्टडी सॉफ्टवेयर होंगे। जिसकी सहायता से दिव्यांग बच्चे बेहद आसानी से किसी भी टॉपिक को पहले से कहीं ज्यादा बेहतर व अधिक समय तक स्मरण में होगी।


होनहार साकिर से ईटीवी की खास बातचीत...


लिहाजा बायसी के डांगरा पंचायत स्थित एक सरकारी स्कूल के कक्षा आठवी में पढ़ रहे मो साकिर से ईटीवी भारत ने एक्सक्लूसिव बातचीत की। दरअसल दोनों आंखों से दिव्यांग होनहार मो साकिर चयनित परीक्षा में पहले स्थान पर रहे थे। जिसके बाद वे सरकार की इस योजना का लाभ लेने वाके पहले छात्र बन गए हैं। लिहाजा साइट सेवर्स और एसएसए के सहयोग से प्रदान की गई टैब व ब्रेल किट पाकर साकिर खासे उत्साहित दिखे।


क्या कहते हैं अधिकारी....

वहीं एसएसए संभाग प्रभारी प्रेम कुमार ने ईटीवी भारत से एक्ससीलुसिव बातचीत में बताया कि मो साकिर अब टैब , किट व पेपर दी गई है जिससे वे अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे। उन्होंने कहा कि वीआई कीट के बाद साकिर के लिए पढ़ाई पहले से सरल और सुलभ होगी। वीआई बच्चों की सुनने की क्षमता अधिक होती है। जिससे वह जो कुछ भी कैच करेंगे। वे उनके मस्तिष्क में छप से जाएंगे। उन्हीने कहा कि इसका असल मकसद दिव्यांग बच्चों में स्मार्ट शिक्षा का अलख जगाकर समाज के बढ़ रहे मुख्य धारा से जोड़ना है।






Conclusion:
Last Updated : Sep 5, 2019, 10:18 AM IST
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