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पूर्णिया: पूरे बिहार में लागू होगी 'दीदी की रसोई' की सेवाएं, सीएम नीतीश खुद हैं मुरीद

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Published : Jan 11, 2021, 11:09 PM IST

पूर्णिया के सदर अस्पताल में जीविका दीदियों की ओर से शुरू 'दीदी की रसोई' क्या है और सीएम से लेकर लोगों के बीच इसकी इतनी तारीफ क्यों हो रही है. इस सवाल के तलाश में ईटीवी भारत की टीम पूर्णिया सदर अस्पताल पहुंची. जहां 'दीदी की रसोई' संचालित करने वाली जीविका दीदियों से बात की.

पूर्णिया
पूर्णिया

पूर्णिया: 'दीदी की रसोई' जहां रोगियों के लिए स्वच्छ, स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार की निःशुल्क सेवा दी जाती है. स्वाद ऐसा की खुद सीएम नीतीश कुमार 'दीदी की रसोई' की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. इसी का नतीजा है कि 'दीदी की रसोई' मॉडल को अब पूरे बिहार में लागू किया जाएगा. जिसकी घोषणा खुद सीएम नीतीश कुमार ने की है.

दीदी की रसोई में कार्यरत दीदियां
दीदी की रसोई में कार्यरत दीदियां

पूरे बिहार में लागू होगा मॉडल
जीविका दीदियों ने बताया कि धमदाहा दमगारा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश कुमार सदर अस्पताल में आकाश जीविका द्वारा संचालित दीदी की रसोई में काम करने वाली दीदियों से मिले थे. दीदी की रसोई की खूबियां जानकर वे बेहद खुश हुए. वहीं, खुले मंच से जीविका दीदियों के कार्यों की सराहना और फिर पूर्णिया सदर अस्पताल के 'दीदी की रसोई' के तर्ज पर सभी जिलों में इसे लागू करने की घोषणा भी की जो कि उनके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है.

'सीएम नीतीश कुमार ने दीदी की रसोई की सभी दीदियों से बातचीत की. उन्होंने रसोई के बारे में जानकारी ली. जिसके बाद उन्होंने दीदी की रसोई की तारीफ की. सीएम नीतीश कुमार ने पूरे बिहार में दीदी की रसोई के मॉडल को लागू करने की बात कही'- किरण देवी, सदस्य, दीदी की रसोई

2019 से जारी है रसोई की सेवाएं
2019 से जारी है रसोई की सेवाएं

2019 से जारी है रसोई की सेवाएं
'दीदी की रसोई' के अहम सदस्य रसोई प्रमुख कृष्ण देव प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि सीमांचल और कोसी का केंद्र बिंदु होने के कारण सदर अस्पताल में पूर्णिया के अलावा अररिया, किशनगंज, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पश्चिम बंगाल के दक्षिणी मिदनापुर और नेपाल के लोग बेहतर इलाज के लिए आते हैं.

जिले के सदर अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों की आए दिन खाने की गुणवत्ता को लेकर मिलने वाली शिकायत आम सी हो गई थी. जिसके बाद खाना बनाने से लेकर परोसने तक की सारी जिम्मेदारी आकाश जीविका 'दीदी की रसोई' को सौंप दिया गया. जिसके बाद 2019 से अब तक दीदी की रसोई अपनी सेवाएं दे रहा है.

दीदी की रसोई
दीदी की रसोई

'सदर अस्पताल में पहले मरीजों को खाना बाहर से दिया जाता था, बाहर में आने वाले खाने की गुणवत्ता से मरीज आए दिन शिकायत करते थे. जिसके बाद खाने की जिम्मदारी दीदी की रसोई को दो दी गई, अब रसोई की गुणवत्ता और स्वाद के मुरीदज सीएम नीतीश कुमार भी हैं'- सावित्री कुमारी, सदस्य, दीदी की रसोई

पूरी तरह प्रोटेक्टेड होता है खाना
जीविका दीदी ने बताया कि मरीज अब बेहतर इलाज के साथ-साथ स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन का आनंद उठा रहे हैं. जीविका दीदियों की ओर से बने हुए खाने में स्वच्छता मानकों का खास ख्याल रखा जाता है. खाना स्वच्छ, सुरक्षित और ताजा रहे इसके लिए एक सिक्योर रोलिंग कंटेनर होता है. जिसमें खाने की पौष्टिकता बरकरार रहती है. खाना पूरी तरह स्वच्छ और साथ ही गर्म रहता है. जीविका दीदियां हेयर और माउथ मास्क के साथ ही ग्लब्स लगाकर खाने को मरीजों के बीच परोसती हैं.

मरीजों के लिए खाना होता है तैयार
मरीजों के लिए खाना होता है तैयार

कोरोना काल में भी जारी रही सेवाएं
जीविका दीदी कहती हैं कि दीदी की रसोई में कुल 15 महिला जीविका दीदियां कार्य कर रही हैं. जिम्मेदारी बड़ी थी लिहाजा कोरोना काल में भी रोजाना आम दिनों की तरह ये सेवाएं जारी रही. वे पूर्व से ही सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता मानकों का ख्याल रखती रही थी. बस थोड़ा सतर्क रहना था. यह एक सेवा है जिससे कोई रोगी भूखा न रह जाए, इसलिए कोरोना काल में भी जीविका दीदियों की सेवाएं जारी रही.

'सदर अस्पताल में मिलने वाला खाने का स्वाद घर के स्वाद जैसा ही है. खाने की गुणवत्ता बाहर मिलने वाले खाने से कहीं गुना अच्छी है'- शशि कुमार सिंह, मरीज के परिजन

दीदी की रसोई का हर कोई मुरीद
दीदी की रसोई का हर कोई मुरीद

सीएम की प्रशंसा से गदगद दीदियां
सीएम नीतीश कुमार की प्रशंसा को रसोई दीदियां अपनी मेहनत का फल मानती हैं. सीएम की प्रशंसा उनके लिए एक मेडल जैसा है. इससे सभी जीविका दीदियों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. उनके लिए ये गर्व का विषय है कि अब सभी जिलों में पूर्णिया के तर्ज पर 'दीदी की रसोई' खोली जाएंगी. जिससे जुड़कर घर बैठीं सैकड़ों जीविका दीदियों की एक अच्छी नौकरी की तलाश खत्म हो जाएगी.

'हम पिछले दो सालों से दीदी की रसोई चला रहे हैं. रसोई में साफ-सफाई और खाने की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है. मरीजों की पसंद का ध्यान रखना भी हमारा पहला मकसद है'- कृष्ण देव प्रसाद, प्रमुख, दीदी की रसोई

'दीदी की रसोई' के मुरीद सीएम

स्वाद ऐसा की खाए बिन रहा न जाए
वहीं, अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज बताते हैं कि पहले जब कोई मरीज यहां एडमिट होता था, तो उसे घर से खाना मंगवाने की परेशानी उठानी पड़ती थी. हालांकि 'दीदी की रसोई' की शुरुआत के बाद मरीजों की यह बला भी टल गई. दीदी की रसोई का खाना स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. अब ना पैसे बाहर खर्च करने पड़ते हैं और ना ही यहां से किसी अन्य अस्पताल की शरण में जाना पड़ता है. सुबह में चाय नाश्ते और फल दिए जाते हैं. हर दिन का मेन्यू अलग होता है. वहीं, जिसने भी 'दीदी की रसोई' का स्वाद चखा वह शायद ही फिर इसका स्वाद भूलता है.

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