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Year Ender 2021: सेहत पर मंडराता रहा खतरा, कोरोना से लेकर अंखफोड़वा कांड तक ने बढ़ाई विभाग की चुनौती

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Published : Dec 27, 2021, 6:03 AM IST

Year Ender 2021
Year Ender 2021

साल 2021 (Year Ender 2021) का अंत होने वाला है. नया साल नई उम्मीदें और नई आशाएं लेकर आए, इसी उम्मीद में लोग साल 2022 का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि अगर साल 2021 को पीछे मुड़कर देखें तो एक बात जिसने लोगों को डराकर रखा, वह है कोरोना वायरस का खौफ. कोरोना के साथ ही कुछ और बड़े मामलों से सरकार जूझती रही. पढ़ें ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट

पटना: साल 2021 स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी चुनौती (Bihar Health Department Faced Challenges In 2021) भरा रहा. साल की शुरुआत से अंत तक विभाग पर कोरोना (Corona in bihar) का असर बना रहा. इस साल स्वास्थ्य विभाग के लिए कुछ उपलब्धियां भी रही तो, विभाग के कुछ कारनामों ने बिहार की छवि पर बट्टा लगाया. कोरोना से लेकर मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड तक से महकमा परेशान रहा.

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कोरोना का खौफनाक मंजर: साल 2021 में अप्रैल और मई का महीना प्रदेशवासियों और स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी बुरा रहा. अप्रैल और मई के महीने में प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर (Corona Second Wave In Bihar) का विकराल रूप देखने को मिला. इस दौर में प्रदेश में हजारों लोगों ने कोरोना से अपनी जानें गवाईं. मरीजों का इलाज करने के क्रम में सैकड़ों चिकित्सक भी कोरोना काल के शिकार बने और दिवंगत हुए.

2021 में स्वास्थ्य विभाग की चुनौतियां

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कोरोना की दूसरे लहर में देशभर में बिहार में सर्वाधिक 142 चिकित्सकों की मौतें हुईं. दूसरे लहर के दौरान प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई और अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो गई. गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की कमी हो गई. ऐसे में ऑक्सीजन के अभाव में ऑक्सीजन बेड की तलाश करते करते कई मरीजों ने दम तोड़ दिया. इस दौड़ में श्मशान घाटों पर लाशों की कतारें लग गई. कुछ समय के भीतर ही श्मशान में लाशों की कतार लगने लगी, शव जलाने वाले भी कम पड़ गए. सामान्य दिनों में जहां श्मशान घाटों पर प्रतिदिन 18 से 20 लाशें जलती थी वहीं, अप्रैल और मई के महीने में श्मशान घाटों पर ये आंकड़ा 100 तक पहुंच गया.

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बक्सर में मानवता शर्मसार: वहीं 10 मई 2021 को बक्सर (Dead Bodies Floating In Ganga River At Buxar) जिले से सामने आई एक तस्वीर ने मानवता को शर्मसार करके भी रख दिया. चौसा में लाशों का अंबार मिला. लगभग एक किलोमीटर के दायरे में गंगा नदी में लाशें बिखरी हुई थी. महादेवा घाट पर इन लाशों को कुत्ते नोंचकर खा रहे थे. इस मामले में अधिकारियों ने बताया था कि, लाशें गंगा जी के किनारे लगी हुई हैं. इसलिए एक अनुमान लगाया जा रहा है कि, लाशें बह कर आई हैं. कहा ये भी गया कि, कोरोना संक्रमित होने के कारण लाशों को गंगा के हवाले कर दिया गया. इस घटना में इंसान नहीं बल्कि इंसानियत का जनाजा उठा था.

Year Ender 2021
2021 की भयावह यादें

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विभाग ने उठाए बड़े कदम: जब देशभर में 16 जनवरी से कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की गई तो, बिहार देश भर में पहला ऐसा राज्य बना जिसने अपने सभी आम नागरिकों के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था निशुल्क की. बाद में केंद्र सरकार ने बिहार की पहल पर अमल करते हुए देशभर में टीकाकरण की व्यवस्था निशुल्क की.

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हालांकि साल 2021 में स्वास्थ्य विभाग के लिए कुछ उपलब्धियां भी रहीं. पीएमसीएच के 96वें फाउंडेशन डे के मौके पर अस्पताल को 5400 करोड़ की लागत से 5445 बेड का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने का सौगात मिला. इसके लिए काम भी शुरू हो गया. संक्रमण के दूसरे लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था जिस प्रकार चरमराई उसके बाद सरकार ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने पर विशेष बल दिया.

प्रदेश के सभी पीएचसी और सीएचसी में 2-2 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगाए गए, इसके अलावा सभी पीएचसी और सीएचसी में 5-5 ऑक्सीजन बेड तैयार किए गए. दूसरी लहर में चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ की भी कमी रही. ऐसे में इस कमी को दूर करने के लिए प्रदेश में लंबे समय बाद 6338 एमबीबीएस चिकित्सकों की बहाली निकाली गई और 9233 एएनएम और हजारों स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली की गई.

कोरोना के दौरान आयुष चिकित्सा के सफलताओं को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में आयुष चिकित्सकों की कमी दूर करने का निर्णय लिया और इसके लिए 3270 आयुष चिकित्सकों के पदों की वैकेंसी निकाली है, इसके लिए जनवरी 2022 तक बहाली की पूरी प्रक्रिया पूरी होनी है.

साल 2021 में कोरोना संक्रमण का विकराल रूप देखने को मिला, इसलिए सरकार ने संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए अधिक से अधिक जांच पर बल दिया और प्रतिदिन डेढ़ लाख से दो लाख की संख्या में कोरोना जांच किए गए. कोरोना का आरटीपीसीआर टेस्ट अधिक से अधिक करने के लिए प्रदेश में 10 लैब स्थापित किए गए.

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2021 में ऑक्सीजन की किल्लत: इसके अलावा संक्रमण के दूसरे लहर में जिस प्रकार ऑक्सीजन की किल्लत (Lack Of Oxygen In Bihar) का सामना करना पड़ा, उसको देखते हुए प्रदेश के सभी 9 मेडिकल कॉलेजों में क्रायोजेनिक और पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए. इसके अलावा सभी जिलों को मिलाकर प्रदेश भर में कुल 122 ऑक्सीजन प्लांट तैयार कर लिए गए.

सभी जिलों के सदर अस्पताल और विभिन्न जगहों पर पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए. प्रदेश में कोरोना के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान में भी प्रदेश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की. 1 मई से 18 प्लस के सभी लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की गई. उसके बाद से प्रदेश भर में 31 दिसंबर तक 6 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया. टीकाकरण इस लक्ष्य से कई गुना अधिक कर लिया गया. साल के अंत तक प्रदेश में टीकाकरण का कुल आंकड़ा 10 करोड़ के आसपास पहुंच गया. ऐसे में घनी आबादी होने के बावजूद भी बिहार ने कोरोना को अधिक से अधिक टीकाकरण और अधिक से अधिक जांच के माध्यम से कंट्रोल किया.

मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड: हालांकि साल के अंत में मुजफ्फरपुर में 24 नवंबर को हुए आई हॉस्पिटल मामले (Muzaffarpur Eye Hospital Case) ने स्वास्थ्य विभाग की छवि देश और दुनिया भर में धूमिल की. मुजफ्फरपुर में इस दिन एक जांच शिविर में निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा एक ही सत्र में 65 आंख के ऑपरेशन कर दिए गए. ऐसे में सभी मरीजों के आंखों में इंफेक्शन फैल गया और इस वजह से 25 से अधिक मरीजों के आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई.

कई लोगों के आंख निकालने पड़े. वहीं 2 मरीजों की अधिक इंफेक्शन होने के कारण मौत भी हो गई. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने जांच कमेटी का गठन किया. लेकिन 2021 दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक कमेटी का फाइनल रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुआ.

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अब डरा रहा ओमीक्रोन: साल के अंत तक कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने फिर से स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दी और साल 2021 का अंत स्वास्थ्य विभाग ने ओमीक्रोन से निपटने की तैयारियों के साथ किया. साल के अंत में प्रदेश के सभी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट का मॉक ड्रिल कराके यह देखा गया कि, सभी सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं या नहीं. यह सुनिश्चित किया गया कि, कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां पूरी तरह मुस्तैद रहे और दूसरे लहर जैसा तांडव प्रदेश में फिर से ना देखने को मिले.

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