UP चुनाव: क्या BJP के लिए रामविलास पासवान का विकल्प बनेंगे जीतनराम मांझी, योगी को दिलाएंगे दलितों का वोट?

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Published : Aug 5, 2021, 9:01 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 10:58 PM IST

जीतनराम मांझी

अमित शाह और जेपी नड्डा से जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की मुलाकात और संतोष सुमन की पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर बीजेपी से हम नेताओं को इतनी तरजीह क्यों मिल रही है. क्या बीजेपी यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में दलित मतदाताओं को साधने के लिए मांझी में संभावना तलाश रही है?

पटना: दलित वोट बैंक को साधने में जुटी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए सबसे मजबूत किला उत्तर प्रदेश है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) वाराणसी से लोकसभा चुनाव भी लड़ते हैं. ऐसे में यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) को फतह करने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है. इसी कोशिश में हम प्रमुख जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) से भी नजदीकी बढ़ाई जा रही है.

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बिहार के राजनीतिक दल भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं. जेडीयू ने जहां 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, वहीं दलित नेता जीतन राम मांझी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

देखें रिपोर्ट

पिछले कुछ दिनों से जीतन राम मांझी और बीजेपी बीजेपी के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं. गृह मंत्री अमित शाह, अध्यक्ष जेपी नड्डा और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने जीतनराम मांझी और मंत्री संतोष सुमन (Santosh Suman) के साथ मुलाकात की. जहां मांझी ने एक मांग पत्र सौंपते हुए दलितों के हित में कदम उठाने की गुजारिश की.

वहीं, पिछले सोमवार को संतोष सुमन ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से भी मुलाकात की. तब ये तो नहीं स्पष्ट हो पाया कि दोनों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बात बनी की नहीं, लेकिन हम नेता की बातों से ये साफ पता चल रहा था कि मुलाकात अच्छी रही.

बदलते राजनीतिक घटनाक्रम ने सबको चौंका दिया है, क्योंकि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय नहीं मिला लेकिन लेकिन जीतन राम मांझी के पुत्र और बिहार सरकार के लघु सिंचाई मंत्री संतोष मांझी को प्रधानमंत्री ने मिलने का वक्त दे दिया.

एलजेपी संस्थापक रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन के बाद जीतनराम मांझी बिहार में बड़े दलित नेता हैं. उनके बहाने बीजेपी यूपी में भी दलित वोट को साधना चाहती है. उत्तर प्रदेश में 21% आबादी दलितों की है. 60 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां दलित वोटों की बहुलता है.

दलित वोट बैंक पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) का एकाधिकार रहा है, लेकिन बीजेपी मांझी के रूप में दलित चेहरे को अपने खेमे में शामिल करना चाहती है. मांझी और पशुपति पारस के बहाने पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह ही दलितों की असली हिमायती हैं.

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उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर अबतक हम पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेताओं से उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं. पार्टी प्रवक्ता विजय यादव कहते हैं कि जीतनराम मांझी देश के बड़े दलित नेता हैं. हमारे नेता उत्तर प्रदेश में संगठन को मजबूत कर रहे हैं. बीजेपी के साथ अगर हमारा गठबंधन हुआ तो हम योगी आदित्यनाथ के हाथ को मजबूत करेंगे.

"अगर बीजेपी के साथ हमारा गठबंधन होता है तो निश्चित तौर पर हम योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए मेहनत करेंगे, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर देखेंगे कि हम किसके साथ जाएंगे"- विजय यादव, प्रवक्ता, हम

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि जीतन राम मांझी के साथ हमारा बिहार में गठबंधन है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अगर वे हमारे साथ आते हैं तो हम लोग उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं.

बीजेपी खेमे से मांझी की बढ़ती नजदीकियों पर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि बीजेपी रामविलास पासवान के बाद उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक को साधने के लिए दलित चेहरे को अपने साथ लाना चाहती है. इसी क्रम में उनके शीर्ष नेता जीतन राम मांझी और संतोष मांझी से मुलाकात कर रहे हैं. वे कहते हैं कि संभव है कि यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें दलित चेहरे के तौर पर अपने फोल्डर में पर शामिल कर लें.

Last Updated :Aug 5, 2021, 10:58 PM IST
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