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Bihar politics: बिहार की राजनीतिक गलियारे में फिर निकला 'DEAL' का जिन्न

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Published : Jan 25, 2023, 7:36 PM IST

JDU deal with RJD
JDU deal with RJD

जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी नेतृत्व पर सबसे बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आखिर आरजेडी के साथ क्या डील हुई है, इसका जल्द खुलासा ( JDU deal with RJD) होना चाहिए. उनके इस आरोप के बाद सियासी गलियारे में हलचल बढ़ा दी. पढ़िये, इसे लेकर राजद, भाजपा या फिर राजनीतिक विश्लेषक क्या कह रहे हैं.

बिहार की राजनीति में हलचल.

पटना: बिहार की राजनीति गलियारे में इस वक्त एक शब्द हर पार्टी के नेता की जुबान पर है और वह है ( JDU disclose deal with RJD) 'डील'. दो अक्षरों के इस शब्द ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. सत्ता पक्ष इस पर कुछ भी खुलकर बोलना नहीं चाहता, जबकि बीजेपी लगातार निशाना साध रही है. बिहार की राजनीति में इस डील की धमक नयी नहीं है. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही यह शब्द जिन्न की तरह बिहार की राजनीति में चिपक गया है.

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उपेंद्र कुशवाहा.
उपेंद्र कुशवाहा.

उपेंद्र के बयान पर बवालः राजद के साथ हुई कथित डील के बारे में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान के बाद राज्य की राजनीति में उफान आ गया. गत 24 जनवरी को उपेंद्र कुशवाहा ने बयान दिया कि महागठबंधन में जाने से पहले राजद के साथ क्या डील हुई है, नीतीश कुमार सबको बताएं. हम उनसे इस डील के बारे में जानना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि बीते दिनों से नीतीश कुमार कमजोर पड़े हैं. उन्हें जानबूझकर कमजोर करने की साजिश की जा रही है. इसके पहले वह जब कमजोर हुए थे तो हम हमेशा उनके साथ खड़े रहे थे. उपेंद्र कुशवाहा ने इस बात का भी जिक्र किया था कि आजकल राजद के लोग एक डील की बात कर रहे हैं, हम उनसे इस डील के बारे में जानना चाहते हैं.

राजद ने बताया क्या हुई थी डील: डील या नो डील की बात पर राजद के प्रवक्ता स्पष्ट तरीके से कुछ भी नहीं कह रहे हैं. पार्टी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव कहते हैं, बीजेपी भी महागठबंधन बनने के बाद पूछ रही है कि डील क्या हुआ है? हमारे गठबंधन के घटक दलों के साथी भी पूछ रहे हैं कि डील क्या हुआ है? मैं डंके की चोट पर कह रहा हूं कि बीजेपी मुक्त भारत और बीजेपी मुक्त बिहार बनाने की डील हुई है. इस डील के साथ ही हम महागठबंधन में शामिल भी हुए हैं. संविधान और लोकतंत्र को बचाना हमारा धर्म है. इस मुद्दे पर जब जदयू की तरफ से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो किसी भी जदयू प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर बोलने के लिए तैयार नहीं हुए. प्रवक्ताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इससे मुद्दे पर पार्टी प्रवक्ता के तौर पर वह बयान नहीं दे सकते हैं.

शक्ति सिंह यादव.
शक्ति सिंह यादव.

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बीजेपी बार बार उठा रही सवालः इस डील के मसले पर प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी बार-बार सवाल उठा रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विरोधी दल के नेता विजय सिन्हा कहते हैं, डील के बारे में उनकी पार्टी के लोग क्यों नहीं बता रहे हैं? आम जनता जान रही है कि बड़े भाई और छोटे भाई के बीच में एक को प्रधानमंत्री बनाने और दूसरे को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखाया गया है. प्रधानमंत्री का सपना कांग्रेस ने तोड़ दिया. अब उनको लग रहा है कि कम से कम मुख्यमंत्री बने रहे. जिनको सीएम बनने का सपना दिखाया गया है, वह बेचैन हो रहे हैं. इन दोनों की महत्वाकांक्षा में बिहार का विकास ठप हो गया है.

...तो सरकार ही नहीं बनतीः वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी कहते हैं, उस दौर में अगर डील नहीं हुई होती तो यह सरकार ही नहीं बनती. राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं की तरफ से जिस तरीके से लगातार पोल खोला जा रहा है कि डील हुई थी. स्वयं प्रदेश अध्यक्ष ने यह पोल खोला था. जब सरकार बनी थी, तब जदयू कार्यालय के सामने एक बड़ा पोस्टर लगा हुआ था और नीतीश कुमार को उनकी पार्टी ने पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया था. राजद ऑफिस के सामने भी बोर्ड लगा हुआ था, जिसमें तेजस्वी सीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट किए गए थे. लालू प्रसाद तो नीतीश को लेकर दिल्ली भी गए थे.

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उठ रहे हैं सवालः कौशलेंद्र कहते हैं कि महागठबंधन में अभी तेजस्वी के पास 119 विधायक हैं. जदयू के पास 45 विधायक हैं. उस हालात में तेजस्वी ने इनके साथ इसलिए सरकार बनाई थी ताकि आने वाले वक्त में यह पीएम पद के लिए देश में जाएं और तेजस्वी को बिहार की गद्दी सौंप दें. सुधाकर सिंह ने भी नाइटवॉचमैन की बात कही थी. जगदानंद सिंह ने भी कहा था. सवाल तो बड़ा खड़ा होता है कि आखिर डील हुई तो क्या हुई?

जगदानंद के बयान से मची थी खलबलीः गत वर्ष सितंबर में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एक बयान दिया था. मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि 2023 में तेजस्वी यादव बिहार के सीएम होंगे. नीतीश कुमार उनको जिम्मेदारी सौंपेंगे. हालांकि उनका यह भी कहना था नीतीश कुमार 2023 में केंद्र की राजनीति की लड़ाई लड़ेंगे. नीतीश कुमार बिहार तेजस्वी यादव के हाथों में सौंप देंगे.

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नीतीश के बयान से मिला था बलः आरजेडी के साथ डील या नो डील की बात को तब और बल मिला था, जब पिछले साल दिसंबर माह में सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम नालंदा जिले में 410 करोड़ रुपए की लागत से बने एक डेंटल कॉलेज के उद्घाटन समारोह में पहुंचे थे. वहीं पर लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि तेजस्वी यादव को आगे बढ़ा रहे हैं. इनके लिए अभी जितना करना था, वह तो कर दिया. लेकिन इनको और भी आगे बढ़ाना है. हालांकि इस मामले पर सीधे न बोलते हुए तब तेजस्वी ने कहा था कि पूरे बिहार के लोग एकजुट हो जाइए. आने वाली लड़ाई अब नागपुर से है.

बीजेपी ले रही चुटकीः राजद और जदयू के बीच कशमकश की बातों पर चुटकी लेते हुए राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा ने जो मुद्दा उठाया है, उसका जवाब नीतीश कुमार को देना चाहिए. स्वयं नीतीश कुमार ने कहा है कि 2025 का नेतृत्व तेजस्वी करेंगे तो डील तो हुई है. महागठबंधन के घटक दल हम के अध्यक्ष और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जो बोल रहे हैं वही जानते हैं कि क्यों बोल रहे हैं? महागठबंधन में कोई मतभेद नहीं है. जहां तक हम लोगों की जानकारी है कि महागठबंधन बनने से पहले आरजेडी के साथ नीतीश कुमार की कोई डील नहीं हुई है. हालांकि उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा पर तंज कसते हुए यह भी कहा था कि अंगूर खट्टे हैं.


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