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पटना में किसानों को आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण, पशु एवं मत्स्य प्रशिक्षण सह शोध संस्थान का उठा रहे लाभ

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Published : Dec 28, 2021, 10:46 AM IST

पटना के मसौढ़ी में किसानों को तकनीक से लैस कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पशु एवं मत्स्य प्रशिक्षण सह शोध संस्थान से जुड़कर बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हो रहे हैं. पढ़ें खबर...

तकनीक से लैस कृषि का प्रशिक्षण
तकनीक से लैस कृषि का प्रशिक्षण

पटनाः राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान जयपुर के द्वारा पटना के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार की ओर बढ़ावा देने के साथ ही आत्मनिर्भर (Training For Farmers To Became Aatmnirbhar) बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. पटना के मसौढ़ी इलाके में पशु एवं मत्स्य प्रशिक्षण सह शोध संस्थान में प्रशिक्षण के साथ ही किसानों को रोजगार भी मुहैया करवाई जा रहा है.

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कृषि कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉक्टर एन विजयलक्ष्मी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उन्होंने किसान को खेती के साथ पशुपालन को आधुनिकीकृत करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए किसान खेती के साथ-साथ बकरी पालन, मुर्गी और मछली पालन (Animal and Fisheries Training In masaurhi) की तरफ भी रुख करें. इससे न सिर्फ किसानों की स्थिति मजबूत होगी बल्कि वे दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं.

किसानों को आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण

भारत सरकार के स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम के तहत अब हर युवा, किसान, महिलाएं, स्वावलंबी बनने की राह पर चल पड़े हैं. मसौढ़ी अनुमंडल के बेलदारीचक स्थित पशु एवं मत्स्य प्रशिक्षण सह शोध संस्थान किसानों को इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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आयोजित कार्यक्रम के मौके पर ग्रामश्री हॉट के सीईओ आस्था सिंह ने कहा कि इस संस्थान में लोगों को प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें रोजगार के प्रति प्रेरित किया जाता है. उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में यह पहला ऐसा संस्थान है जो सरकार के दीन दयाल उपाध्याय कौशल विकास योजना के साथ अन्य योजनाओं के तहत इन्हें तकनीकी कृषि का ज्ञान देता है. यहां प्रशिक्षण के बाद किसानों को सर्टिफिकेट भी दिया जाता है ताकि वह अपना रोजगार कर सके.

बड़ी संख्या में लोग भी इस कार्यक्रम से जुड़कर योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. वे भी अब समझने लगे हैं कि पारंपरिक खेती में ज्यादा मुनाफा नहीं है. लिहाजा तकनीक से लैश कृषि के साथ अन्य माध्यमों की ओर रुख कर रहे हैं.

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