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तेज प्रताप ने 'जनता दरबार' की घोषणा कर इरादे किए साफ, बढ़ी लालू की मुश्किल

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Published : Aug 21, 2021, 7:36 AM IST

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तेजस्वी यादव की पकड़ अब पार्टी पर ज्यादा मजबूत है और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह मजबूती से तेजस्वी के पक्ष में खड़े हैं. ऐसे में अब लालू प्रसाद यादव ही तेज प्रताप के भविष्य को लेकर फैसला कर सकते हैं और सबकी नजर भी अब उसी पर है.

पटना: बिहार में प्रमुख विपक्षी दल और विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने पार्टी और परिवार दोनों की मुश्किलें बढ़ा रखी है. तेज प्रताप और तेजस्वी दोनों भाइयों के बीच भी विवाद (Conflict) साफ दिख रहा है. जहां तेज प्रताप तेजस्वी के नजदीकी संजय यादव पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं तेजस्वी यादव बड़े भाई तेजप्रताप को बड़ों की इज्जत करने की सलाह दे रहे हैं.

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अब तेज प्रताप यादव की पार्टी कार्यालय में जनता दरबार लगाने की घोषणा से विवाद और बढ़ना तय है. परिवार से लेकर पार्टी तक तेज प्रताप हमेशा विवादों में रहे हैं. वो पार्टी में अपनी उपेक्षा का भी आरोप लगाते रहे हैं और अब प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर खुलकर आरोप लगा रहे हैं कि वो कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर रहे हैं.

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वहीं तेजस्वी के नजदीकी संजय यादव पर दोनों भाइयों के बीच झगड़ा लगाने का भी आरोप लगा रहे हैं. लेकिन तेजस्वी यादव ने बयान देकर तेज प्रताप की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. तेजस्वी ने दिल्ली जाते-जाते यह कह दिया कि बड़ों की इज्जत करना हमारे माता-पिता ने सिखाया है. अपने बड़े भाई को साफ सलाह दे दी है कि जगदानंद सिंह की इज्जत करें.

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लेकिन इधर तेज प्रताप यादव ने पार्टी कार्यालय में जनता दरबार लगाने की घोषणा से अपना इरादा साफ कर दिया है. अब जनता दरबार कैसे लगाते हैं यह भी देखना दिलचस्प है. जगदानंद सिंह इसके लिए तैयार होते हैं या नहीं और यदि जनता दरबार लगाने की अनुमति नहीं देते हैं तब यह भी देखना दिलचस्प होगा कि तेज प्रताप यादव क्या कदम उठाते हैं.

तेजस्वी दिल्ली चले गए हैं, यह बोलकर कि वहां 6 बहने हैं और राखी आ रही है. साथ ही प्रधानमंत्री से मुलाकात भी करनी है. अभी तय है कि लालू प्रसाद यादव से पूरे मामले पर तेजस्वी चर्चा भी करेंगे. ऐसे में तेज प्रताप दिल्ली जाते हैं कि नहीं इस पर भी सबकी नजर है, क्योंकि पूरे मामले में लालू प्रसाद यादव की ही अब महत्वपूर्ण भूमिका होनी है. लालू प्रसाद यादव पहले भी विवाद का समाधान निकालते रहे हैं. लेकिन तेज प्रताप का तेवर साफ दिखता है कि इस बार भी आसानी से मानने वाले नहीं हैं.

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जगदानंद सिंह ने जब से आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाली है, पार्टी ने एक नई संस्कृति का विकास किया है और अनुशासन पर सबसे ज्यादा जोर है. जगदानंद सिंह के अनुशासन के कारण पार्टी के कुछ नेताओं ने पहले भी आपत्ति जताई थी. तेज प्रताप यादव लगातार इसको लेकर विरोध जताते रहे हैं लेकिन तेज प्रताप यादव का मामला केवल पार्टी में बदले कार्य संस्कृति तक ही नहीं है, वो पार्टी में अपनी बड़ी भागीदारी भी चाहते हैं जो अब तक उन्हें नहीं मिली है.

विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भले ही कुछ सीटें अपने मनपसंद उम्मीवार को जरूर दिला देते हैं, लेकिन अब तेज प्रताप बड़ी भूमिका निभाने चाहते हैं. सोशल मीडिया में तो यह दिखाने की कोशिश भी करते हैं कि लालू के असली वारिस वही हैं. लेकिन तेजस्वी यादव की पकड़ अब पार्टी पर ज्यादा मजबूत है और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह मजबूती से तेजस्वी के पक्ष में खड़े हैं. ऐसे में अब लालू प्रसाद यादव ही तेज प्रताप के भविष्य को लेकर फैसला कर सकते हैं और सबकी नजर भी अब उसी पर है.

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