ETV Bharat / state

'तब PIL दाखिल की अब राजनीतिक लाभ के लिए हिला रहे दुम, उन्हीं के कारण लालू की दुर्दशा'

author img

By

Published : May 24, 2022, 9:37 PM IST

राज्य सभा सांसद सुशील मोदी ने शिवानंद तिवारी (RJD National Vice President Shivanand Tiwari) पर फिर प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि अगर लालू यादव की दुर्दशा का सबसे बड़ा जिम्मेवार है तो वो शिवानंद तिवारी हैं. एक वक्त उन्होंने पीआईएल दाखिल किया और अब राजनीतिक फायदे के लिए दुम हिला रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर-

राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी
राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी

पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Kumar Modi) ने कहा कि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी जी ने कम से कम यह स्वीकार तो किया कि ललन सिंह जी के साथ मिलकर लालू जी के ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले का उन्होंने ही पर्दाफाश किया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर सीबीआई जांच की मांग की थी. उन्होंने पहले यह भी स्वीकार किया था कि उनकी पीआईएल पर ही पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसके पांच मामलों में लालू जी को सजा हो चुकी है.

ये भी पढ़ें- बोले शिवानंद तिवारी- 'बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं सुशील कुमार मोदी'

'मनमोहन सिंह में हिम्मत नहीं थी लालू पर कार्रवाई करें' : सुशील मोदी ने शिवानंद तिवारी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जहां तक 14 साल विलंब से कार्रवाई का सवाल है, तो उस समय राजद के समर्थन से मनमोहन सिंह जी की सरकार चल रही थी. प्रधानमंत्री की हिम्मत नहीं थी कि सहयोगी दल के नेता पर कार्रवाई करते. उन्होंने ज्ञापन को ठंडे बस्ते में ही नहीं डाला बल्कि लालू के लोगों ने ज्ञापन को ही फाइल से हटवा दिया.

'शिवानंद तिवारी के ही ज्ञापन से लालू की ये दुर्दशा हुई है. उसी पीआईएल का नतीजा है कि आज लालू यादव जेल में सड़ रहे हैं. लालू की दुर्दशा का कोई सबसे बड़ा कारण है तो वो है शिवानंद तिवारी. तब पीआईएल दाखिल की और अब राजनीतिक लाभ के लिए राजद सुप्रीमो लालू यादव के सामने दुम हिला रहे हैं'- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी

'2017 में RJD सरकार चली गई' : सुशील मोदी मोदी ने कहा कि शिवानंद जी भूल गए कि मामला भले ही 14 वर्ष पुराना हो परंतु 2017 में जब मैंने ‘नौकरी के बदले जमीन’ सहित दर्जनों लालू परिवार के भ्रष्टाचार को सबूतों के साथ उजागर किया था तो आप की सरकार चली गई थी. सीबीआई ने प्रारंभिक जांच (Preleminary Inquiry) का मामला तो सितंबर 2021 में ही दर्ज कर लिया था. मोदी ने कहा कि फिर पांच मामलों में सजायाफ्ता और जिसका पूरा परिवार भ्रष्टाचार के मामले में बेल पर है उससे यदि कोई दोस्ती करना चाहेगा तो यह छोटा मामला कभी बाधक नहीं बन सकता है? लेकिन गलतफहमी दूर कर ले अब कभी राजद-जदयू की दोस्ती नहीं हो सकती है? सुशील मोदी ने कहा कि आज अगर लालू जी की दुर्दशा है तो वही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने पहले मुकदमा दायर किया, ज्ञापन दिया और अब राजनीतिक लाभ के लिए उनके सामने दुम हिला रहे हैं.

यहां से चल रहा शिवानंद Vs सुशील मोदी: बता दें कि सुशील मोदी ने इससे पहले 'जमीन के बदले नौकरी' के मामले में सीबीआई के छापे पर शिवानंद को जिम्मेदार ठहराया था. उस वक्त सुशील कुमार मोदी ने पूछा था, अगर लालू प्रसाद ने रेलवे में नौकरी देने के बदले लाभार्थी से जमीन नहीं लिखवायी थी, तो शिवानंद तिवारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच की मांग क्यों की थी? विधान परिषद के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ललन चौधरी और रेलवे ग्रुप-डी कर्मचारी हृदयानंद चौधरी के नाम सीबीआई की प्राथमिकी में दर्ज है. शिवानंद तिवारी ने ही 2008 में लालू प्रसाद के खिलाफ CBI जांच की मांग की थी और जब सबूत के आधार पर कार्रवाई हो रही है, तब वे इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं.

''उसकी नींद तब क्यों खुली जब बिहार में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच जाति आधारित जनगणना कराने की सहमति बनी है. छापेमारी के लिए यह समय क्यों चुना गया ? इसका दो स्पष्ट मकसद दिखाई दे रहा है. पहला उद्देश्य तो जाति आधारित जनगणना को रोकना है. क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जाति आधारित जनगणना का घोर विरोधी है. यह उन्हीं तबकों का समर्थक है जो देश के संसाधनों पर अपनी संख्या के अनुपात से कहीं ज्यादा संसाधनों पर कब्जा जमाए बैठा है.जातीय जनगणना से इसका खुलासा हो जाएगा और वंचित समाज अपनी संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग करने लगेगा.''- शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ नेता, आरजेडी

इस बयान का पलटवार करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा था कि- ''बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं सुशील कुमार मोदी. अभी अभी अतीत में उन्होंने गोता लगाया और खोज निकाला कि 2008 में हमने लालू यादव पर जमीन वाला आरोप लगाया था. सवाल तो यह नहीं था. सवाल तो यह था कि जब 2008 में आरोप लगा तो उसके बाद से अब तक यानी 14 वर्षों तक सीबीआई उन आरोपों पर क्यों सोई रही.''

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.