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देवघर रोपवे हादसे में फंसे थे बिहार के धर्मेंद्र भगत, बोले- 'हेलीकॉप्टर में बैठने के बाद जान बच पाने का हुआ यकीन'

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Published : Apr 12, 2022, 8:02 PM IST

Updated : Apr 12, 2022, 9:45 PM IST

bihar family trapped in Trikut Parvat
bihar family trapped in Trikut Parvat

त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे (Trikut Ropeway Accident) में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. कई घंटों तक जिंदगी मौत के बीच झूले लोगों का दर्द अब बाहर आने लगा है. उन्हीं लोगों में से एक सीतामढ़ी के राकेश कुमार ने बताया कि कैसे बिना पानी और भोजन के रात काटने को मजबूर थे. पढ़ें पूरी खबर..

पटना/ देवघर: त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे (Deoghar Ropeway Accident) में फंसे 63 लोगों में 60 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि बचाव अभियान के बीच तीन लोगों की मौत हो गई. तीन दिनों तक बचाव अभियान चला, इस दौरान किसी को 24 घंटे तक तो किसी को 36 घंटे तक रोपवे में डर के साये में जिंदगी बितानी पड़ी. इस बीच डर और अपनों की चिंता में किसी का हलक सूखता रहा तो किसी को अपनों की बातें याद आती रहीं. हाल यह रहा कि एक ट्रॉली में फंसे पूर्वी चंपारण के राकेश कुमार (bihar family trapped in Trikut Parvat) को बचाने गरूड़ कमांडो पहुंचा तो राकेश ने पहले पानी की मांग कर डाली.

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धर्मेंद्र भगत ने बतायी आप बीती: अपनी पत्नी, माता और परिवार के 9 लोगों के साथ बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला धर्मेंद्र भगत देवघर घूमने आया था. बाबा के दर्शन के बाद धर्मेंद्र ने सोचा कि मशहूर रोपवे के रोमांच का भी आनंद ले लेते हैं. रविवार का दिन था, दोपहर बाद 9 लोगों के साथ वह रोपवे की सवारी के लिए त्रिकूट पर्वत पर पहुंचा. रोपवे की सवारी शुरू होने के कुछ ही देर बाद उसे जोरदार झटका लगा. धर्मेंद्र का कहना है कि उसे लगा कि ट्रॉली टूटकर गिर जाएगी. लेकिन कुछ देर बाद लाउडस्पीकर से आवाज आने लगी कि आपलोग बिल्कुल न घबराएं, सभी को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा. हेलीकॉप्टर मंगाया जा रहा है, लेकिन रात होने से उस समय कुछ नहीं हो पाया. जैसे-जैसे रात गहराती रही डर और चिंता भी घनी होती गई.

एक दिन पहले हुआ था कुछ लोगों का रेस्क्यू: धर्मेंद्र ने बताया कि अगले दिन सुबह रांची से हेलीकॉप्टर आया लेकिन उसमें सवार बचाव दल को समझ में नहीं आया कि कैसे लोगों को निकाले तो हेलीकॉप्टर बिना किसी को निकाले ही वापस चला गया. फिर सेना का हेलीकॉप्टर आया उसने लोगों को निकालना शुरू किया. धर्मेंद्र के परिवार के कुछ सदस्य सोमवार को निकाले गए और कुछ सदस्य मंगलवार को. अब धर्मेंद्र अपने घर सीतामढ़ी की ओर निकलने की तैयारी में हैं.

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बच्चे के मुंडन के लिए आया था ये परिवार: इधर, पूर्वी चंपारण का राकेश कुमार अपने बच्चे के मुंडन के लिए देवघर आया था. बाबा के दरबार में मुंडन कराने के बाद सोचा कि यहां आए हैं तो रामनवमी के मौके पर रोपवे पर भी घूम लिया जाए. राकेश अपने परिवार के चार लोगों के साथ रोपवे की सवारी के लिए पहुंचे. रोपवे पर घूमने के बाद जब लौट रहे थे तो ये हादसा हो गया. सोमवार दोपहर बाद गरूड़ कमांडो जब रेस्क्यू के लिए उनके ट्रॉली में आए तो उन्होंने कहा कि पहले हमलोंगों के लिए पानी की व्यवस्था कीजिए तभी हमलोग बाहर जा सकते हैं, नहीं तो ऐसी स्थिति में बाहर जाना मुश्किल है. गरूड़ के कमांडो ने पानी की व्यवस्था की और फिर उस ट्रॉली से सभी को निकाला गया.

तीन दिनों तक चला ऑपरेशन: त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान 60 लोग सुरक्षित निकाले गए, जबकि तीन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. सेना ने दो दिनों में 34 लोगों को रेस्क्यू किया, इस दौरान दो लोगों की मौत हुई, जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है. 11 अप्रैल को सुबह से एनडीआरएफ की टीम ने 11 जिंदगियां बचाईं, जिसमें एक छोटी बच्ची भी शामिल थी. इससे पहले हादसे के दिन 10 अप्रैल को रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

हादसा कब और कैसे हुआ: 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकूट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रूक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलियां या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था.

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Last Updated :Apr 12, 2022, 9:45 PM IST
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