ये हैं बिहार की पावर वूमेन, राजनीतिक विरासत को बढ़ा रहीं बखूबी आगे

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Published : Sep 20, 2022, 11:57 AM IST

ये हैं बिहार की पावर वूमेन

बिहार की राजनीति (Female Politician Of Bihar) में महिला राजनीतिज्ञों की अपनी अलग पहचान है. एक तरफ बिहार के जाने माने चेहरों में राबड़ी देवी, मीरा कुमार, कांति सिंह, किरण घई, रेणु देवी, लेसी सिंह और बीमा भारती हैं, तो दूसरी तरफ नई पीढ़ी की युवा नेता भी कुछ कम नहीं हैं.

पटना: बिहार की राजनीति में (Women In Bihar Politics) आज के दौर में कई ऐसी पावर वूमेन हैं, जो राजनीति के नए अध्याय (Role of Women In Bihar Politics) को लिख रही हैं और अपनी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व मंत्री कांति सिंह, किरण घई, रेणु देवी, लेसी सिंह, बीमा भारती इन सबमें एक समानता है. इन्होंने बिहार में राजनीति के लंबे वक्त को देखा है. इन सबकी कोई न कोई राजनीति की पृष्ठ भूमि भी रही है.

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लालू यादव की बेटियों की खूब है चर्चाः दरअसल राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटियों मीसा भारती और रोहिणी आचार्य को राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले बखूबी जानते हैं. इसी कड़ी में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी का भी नाम आता है. इनमें मीसा भारती एक तरफ जहां राज्य सभा की मेंबर हैं, वहीं रोहिणी आचार्य और दीपा मांझी ट्विटर पर लगातार सक्रिय रहती हैं. वहीं, बिहार की वर्तमान राजनीति में कुछ ऐसी भी महिला नेताओं के नाम हैं. जो काफी सक्रिय हैं और अपनी राजनीतिक विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रही हैं. पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार, रेणु देवी, लेसी सिंह, बीमा भारती का नाम अहम है. बिहार की राजनीति में इनकी अहम भूमिका रही है. जहां राबड़ी देवी के नाम बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर लिया जाता है, वहीं रेणु देवी बिहार की पहली महिला उपमुख्यमंत्री बनीं.

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श्रेयशी सिंह कर रही अपने पिता का नाम रोशनः बात अगर बिहार की राजनीति में नई पीढ़ी की महिला की करें तो जदयू के दिवंग्त दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयशी सिंह, राजद के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी दिव्या प्रकाश, पूर्व सांसद कमला मिश्रा मधुकर की बेटी शालिनी मिश्रा, बीजेपी के नेता सोनेलाल हेंब्रम की बहू निक्की हेंब्रम, कपिलदेव कामत की बहू मीना कामत और पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की बहू नीतू सिंह के नाम चर्चा में है. इनमें केसरिया से विधायक शालिनी मिश्रा सीपीआई के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद दिवंगत कमला मिश्रा मधुकर की बेटी है. शालिनी भी पूर्व में सीपीआई में थी लेकिन उन्होंने 2020 में वामपंथी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया और जदयू में शामिल हो गई.

दिव्या प्रकाश भी संभाल रहीं विरासतः इसी प्रकार राजद के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी दिव्या प्रकाश ने भी अपने सियासी पारी को अपने पिता के देखरेख में पिछले विधानसभा चुनाव से ही शुरू किया था. तब राजद ने तारापुर विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि उनके सामने जदयू के तरफ से मेवालाल चौधरी थे और इस चुनाव में दिव्य प्रकाश को हार मिली थी. इसी प्रकार दिग्गज नेता सोनेलाल हेंब्रम की बहू डॉक्टर निकी हेंब्रम को 2015 में बीजेपी ने टिकट दिया था.

निक्की हेंब्रम नई पीढ़ी की महिला नेताः निक्की हेंब्रम नई पीढ़ी की उन महिला नेताओं में से है जो अपनी राजनीति की विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रही हैं. निक्की हेंब्रम बांका के कटोरिया पूर्वी सीट से जिला पार्षद भी रह चुकी हैं. बिहार सरकार में मंत्री रहे कपिल देव कामत की बहू मीना कामत, पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की बहु नीतू सिंह भी अपनी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। इसके अलावा दिग्गज नेता सुभाषिनी के भी नाम शामिल हैं. हालांकि इन महिला नेताओं को आशातीत सफलता नहीं मिली लेकिन बिहार की नई पीढ़ी की महिला नेताओं में अलग पहचान तो बन ही गई है.

पुष्पम प्रिया, नेता,  प्लूरल्स पार्टी
पुष्पम प्रिया, नेता, प्लूरल्स पार्टी

पुष्पम प्रिया भी बिहार की राजनीति में सक्रियः अगर पावर वूमेन की बात करें तो इनमें एक नाम प्लूरल्स पार्टी बनाकर बिहार विधानसभा चुनाव में सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी का भी नाम शामिल हैं. पुष्पम प्रिया भी अपनी राजनीतिक विरासत को ही आगे बढ़ा रही हैं. उनके पिता विनोद कुमार चौधरी जदयू से एमएलसी रह चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं, बिहार की राजनीति या फिर देश की राजनीति में यह सत्य है कि विरासत को संभालने के लिए पुत्र या पुत्री या आगे आती रही हैं. ठीक है कि कुछ जगहों पर पुत्र अपनी मंजिल पर तेजी से आगे बढ़े हैं लेकिन विरासत संभालने में बिहार में गौर से देखा जाए बड़े नेताओं की बेटियां भी कमजोर नहीं है.

कुछ को नहीं मिल सकी सफलताः इनमें कुछ को आशातीत सफलता मिली लेकिन कुछ को अब तक सफलता नहीं मिल सकी है. इसमें दिग्गज नेता में शुमार शरद यादव की बेटी सुभाषिनी भी हैं. उन्होंने चुनाव लड़ा था लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था. कई ऐसे उदाहरण है जिनमें महिलाओं को आशातीत सफलता मिली है. यह राजनीति है इसमें किसी को जल्दी सफलता मिलती है. किसी को थोड़ी देर से मिलती है.

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