सदन में गूंजा खाद की कालाबाजारी और गव्य विकास के ट्रेनिंग सेंटर का मामला, आरजेडी MLC ने उठाए सवाल

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Published : Mar 7, 2022, 4:06 PM IST

बिहार में खाद की कालाबाजारी

आरजेडी विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह (RJD MLC Sunil Kumar Singh) ने कहा कि खाद की कालाबाजारी (Black Marketing of Fertilizers) को रोकने में ये सरकार नाकाम रही है. सवाल पूछने पर सदन में कृषि मंत्री के पास जवाब नहीं होता है. वहीं गव्‍य विकास योजना (Gavya Vikas Yojana) के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर भी उन्होंने गंभीर सवाल उठाए हैं.

पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) की कार्यवाही के दौरान सोमवार को आरजेडी विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह (RJD MLC Sunil Kumar Singh) ने बिहार में खाद की कालाबाजारी (Black Marketing of Fertilizers) और गव्‍य विकास योजना (Gavya Vikas Yojana) के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुद्दा उठाया. सदन से बाहर निकलकर उन्होंने कहा कि पटना से 15 किलोमीटर दूर एक विवाह भवन में गव्य विकास को लेकर ट्रेनिंग दी जाती है. आखिर किस आधार पर विवाह भवन को ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया है और किस आधार पर विवाह भवन चलाने वाले को गव्य विकास के लिए ट्रेनिंग की जिम्मेवारी दी गयी है. पशुपालन विभाग 2 करोड़ 71 लाख रुपए के वारे न्यारे कर रहा है.

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खाद की कालाबाजारी: आरजेडी विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह ने खाद की कालाबाजारी को लेकर भी सदन में आवाज उठाया और उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री कुछ भी कारवाई करें लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार के किसानों को अभी भी ज्यादा कीमत में खाद खरीदना पड़ रहा है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि कृषि मंत्री के जिले में भी खाद की लगातार कालाबाजारी हो रही है. इसको लेकर मंत्री सदन में कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं लेकिन कार्रवाई से क्या कुछ फायदा हुआ है, यह भी मंत्री को सदन में बताना चाहिए.

बिहार में खाद की कमी: आरजेडी एमएलसी ने कहा कि रबी और खरीफ फसल मिलाकर बिहार में 36 लाख मीट्रिक टन खाद जरूरत होती है लेकिन 10 लाख मीट्रिक टन कम खाद बिहार में आया है. यही कारण है कि खाद की कालाबाजारी नहीं रुक रही है. मंत्री इसको लेकर सदन में कुछ जवाब नहीं दे रहे हैं.

कृषि मंत्री के पास जवाब नहीं: सुनील कुमार सिंह ने कहा कि खुलेआम बिहार के किसान ज्यादा कीमत में खाद खरीद रहे हैं और मंत्री सवाल का जवाब कुछ अपने तरीके से दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि 500 करोड़ से ज्यादा की राशि किसानों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ा है. खाद की कालाबाजारी जिस तरह से नहीं रुक रही है, उससे स्पष्ट है कि सरकार किसानों के प्रति कहीं से भी कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है. जिस वजह से किसान ऊंची कीमत में लगातार खाद की खरीदारी करने को मजबूर हैं.

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