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अच्छी खबर : रिसर्च, इनोवेशन के लिए अमेरिका जा सकेंगे पटना विश्वविद्यालय के छात्र

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Published : Sep 9, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Sep 9, 2022, 6:48 PM IST

रिसर्च को प्रमोट करने पर विशेष जोर
पटना विवि में रिसर्च को प्रमोट करने पर विशेष जोर

कभी शिक्षा के केन्द्र रहा पटना विश्वविधालय में एक बार फिर नई शुरूआत की कोशिश हो रही है. यह सब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी के नेतृत्व में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि विवि का रिसर्च के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए यूएसए के सैम हयूस्टन यूनिवर्सिटी से करार किया गया है. जिससे छात्रों के विदेश में पढ़ाई करने का सपना पूरा हो सकता है.

पटना: पटना विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहा है. खासतौर विवि में रिसर्च पर विशेष फोकस किया जा रहा है. हाल ही में पटना विश्वविद्यालय का यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के टेक्सास के एक यूनिवर्सिटी सैम हयूस्टन यूनिवर्सिटी से करार हुआ है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी (PU VC Professor Girish Kumar Choudhary) ने कहा कि पटना समेत बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में रिसर्च और इनोवेशन की भारी कमी है. इस समझौते के माध्यम से वह पटना विश्वविद्यालय में रिसर्च का माहौल बनाना चाहते हैं. इस करार के तहत पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर के विभिन्न विषयों के छात्र रिसर्च के लिए अमेरिका जा सकेंगे.

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अमेरिका के शिक्षकों का विवि में होगा दौरा: उन्होंने आगे कहा कि छात्र अमेरिका पढ़ाई करने तो जाए ही सकेंगे. इसके साथ ही अमेरिका के शिक्षकों और विद्वानों का विश्वविद्यालय में लगातार दौरा होगा. जिसके माध्यम से स्नातकोत्तर शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक समय शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए देश और दुनिया में जाना जाता था. लेकिन 90 के दशक में इसके शैक्षणिक गुणवत्ता का क्षरण शुरू हुआ. उसके बाद अगर यूं कहें तो पटना विश्वविद्यालय किस शैक्षणिक गुणवत्ता माइनस में चली गई.

'विवि का शिक्षा लेवल बढ़ाने पर मेरा फोकस': बीते कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय में उनके साथ कुछ पूर्ववर्ती अधिकारियों के प्रयासों से शैक्षणिक गुणवत्ता का लेवल जीरो पर आ गया है. अब इसे 100 के लेवल तक ले जाने का लक्ष्य है. विश्वविद्यालय में रिसर्च को लेकर बीते वर्षों में काफी सुस्ती थी और एक भी रिसर्च पेपर नहीं था. इसी के कारण जब नैक की टीम ने बी प्लस का ग्रेड विश्वविद्यालय को दिया. इसके बाद जब वह आए तो उन्होंने विश्वविद्यालय में शिक्षकों के प्रमोशन के लिए रिसर्च पेपर की बाध्यता कर दी.

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शिक्षक के पास होना चाहिए दो रिसर्च पेपर: उन्होंने कहा कि कम से कम विवि के हर शिक्षक के पास एक से दो रिसर्च पेपर होना चाहिए. बाध्य करने के बाद 120 रिसर्च पेपर विश्वविद्यालय को मिले हैं. इनमें से अट्ठारह को पब्लिश होने का अप्रूवल मिल चुका है. दर्जनों रिसर्च पेपर अप्रूवल मिलने के कगार पर हैं. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2023 (New Education Policy 2023) से सभी जगह लागू होने जा रही है. लेकिन इस शिक्षा नीति के तहत जो सबसे जरूरी है सीबीसीएस पेटर्न वह बिहार के किसी विश्वविद्यालयों में नहीं है.

''इसके पीछे उद्देश्य ये हैं कि शिक्षकों, विद्वानों और प्रशासकों का दौरा और अनौपचारिक आदान-प्रदान हो सके. स्नातकोत्तर शिक्षा और प्रशिक्षण में सहयोग करने के तरीकों का पता लगाया जा सके. परस्पर हित के विषयों पर संयुक्त सम्मेलन, संगोष्ठी या अन्य वैज्ञानिक बैठकें आयोजित करना. साथ ही शैक्षणिक वर्ष के दौरान स्नातक, स्नातकोत्तर छात्र और पेशेवर छात्रों के आदान-प्रदान के लिए रास्ते तलाशें जाए.'' - प्रो. गिरीश कुमार चौधरी, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति

विवि में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू: उन्होंने निर्णय लिया कि नई शिक्षा नीति के तहत जो सबसे जरूरी चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया गया. इसी पैटर्न पर वह नए सत्र में स्नातक के लिए बच्चों का नामांकन करेंगे. पटना विश्वविद्यालय बिहार का पहला विश्वविद्यालय बना जहां सीबीसीएस लागू किया गया है. आगामी सेशन से सेमेस्टर वाइज सिलेबस तैयार करके सीबीसीएस लागू किया गया है. पहले स्नातक के लिए बच्चों को 3 साल में सिर्फ तीन बार एनुअल परीक्षाएं देनी होती थी. लेकिन अब प्रत्येक 6 महीने पर सेमेस्टर एग्जाम होगा. फर्स्ट ईयर में दो एग्जाम, सेकंड ईयर में दो एग्जाम और थर्ड ईयर में दो एग्जाम लिया जाएगा. इस प्रकार कुल 3 साल के कोर्स में 6 एग्जाम होंगे.

''शिक्षकों की कमी थी, इसको देखते हुए सवा दो सौ से अधिक गेस्ट फैकेल्टी शिक्षकों को बीते दिनों विश्वविद्यालय में ज्वाइन कराया गया है. इन्हें ज्वाइन किए लगभग 1 महीने हो रहे हैं. शिक्षकों के आने से बच्चों की पढ़ाई पीछे नहीं रहेगी और सभी विषयों के शिक्षक विश्वविद्यालय को उपलब्ध हो गए हैं. ऐसे में शिक्षकों की कमी की शिकायत विश्वविद्यालय से खत्म हो गई है.'' - प्रोफेसर गिरीश कुमार, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति

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"कक्षाओं की कमी दूर करने की कोशिश": उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कॉलेजों में कक्षाओं की काफी कमी है. दरभंगा हाउस में यदि फर्स्ट ईयर की क्लास चल रहे हैं तो सेकंड ईयर के बच्चों को अपने क्लास के लिए वेट करना होता है कि उनका पीरियड खत्म होगा. इसके बाद बच्चे बाहर निकलेंगे तब उनका उसमें क्लास होगा. उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय की कैपेसिटी वही रही जो इसकी स्थापना के समय थी. लेकिन समय के साथ-साथ ही में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती गई. विभाग भी अधिक बढ़ते गए. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का नया एकेडमिक एंड एडमिनिस्ट्रेटिव भवन बनने की शुरुआत हो गई है. वर्ष 2025 तक विश्वविद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं रहेगी.

Last Updated :Sep 9, 2022, 6:48 PM IST
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