बिहार के कई स्कूलों का अस्तित्व हो जाएगा समाप्त, जानिए फिर कहां जाएंगे शिक्षक

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Published : Nov 25, 2021, 4:18 PM IST

Bihar primary schools

बिहार सरकार कई सरकारी स्‍कूलों का अस्तित्‍व खत्‍म करने की तैयारी में जुट गई है. ये वैसे स्‍कूल हैं, जिनका खुद का भवन नहीं है और किसी अन्‍य स्‍कूल में ही उनका संचालन हो रहा है. प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने बिहार के 18 जिलों से ऐसे स्‍कूलों की रिपोर्ट मंगाई है.

पटना: बिहार में एक ही भवन में चलने वाले एक से अधिक प्राथमिक स्कूलों को मर्ज (Primary School Merger) करने की तैयारी है. ऐसे में प्राथमिक शिक्षा निदेशालय (Directorate of Primary Education) ने सभी जिलों से ऐसे स्कूलों की रिपोर्ट मंगाई है. जिनका खुद का भवन नहीं है और किसी अन्‍य स्‍कूल के परिसर में ही उनका संचालन हो रहा है. साथ ही शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या का ब्यौरा भी उपलब्ध कराने को कहा है. ऐसे में अधिशेष (सरप्लस) टीचर को अन्य जगहों पर ट्रांसफर किया जा सकता है.

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प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने वर्ष 2017 वर्ष 2018 में दो बार और फिर वर्ष 2019 में बिहार के तमाम जिला शिक्षा पदाधिकारियों को एक ही प्राथमिक विद्यालय के भवन में चलने वाले एक से अधिक प्राथमिक स्कूल को मर्ज करने और उनके सरप्लस शिक्षकों को अन्य जगह पर ट्रांसफर करने का निर्देश जारी किया था. लेकिन अब तक 18 जिलों ने यह रिपोर्ट प्राथमिक शिक्षा निदेशालय को नहीं भेजी है. ये 18 जिले वैशाली, औरंगाबाद, सिवान, गोपालगंज, खगड़िया, सारण, किशनगंज, अररिया, समस्तीपुर, अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पूर्वी चंपारण, शिवहर, कैमुर और कटिहार हैं.

प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से प्राइमरी डायरेक्टर अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने इन 18 जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. जिसमें जिला का नाम, प्रखंड का नाम, मूल विद्यालय का नाम, यू डायस कोड, कमरों की संख्या, मूल विद्यालय में कमरों की संख्या और छात्र छात्राओं की संख्या के साथ शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या का ब्यौरा भी उपलब्ध कराना है.

बिहार में शहरी इलाकों में खासकर यह समस्या काफी आम है. जहां स्कूलों के लिए भवन मिलना काफी मुश्किल है. पटना की बात करें तो अदालतगंज और गोलघर के इलाके में कई ऐसे स्कूल हैं जो एक ही विद्यालय में संचालित हो रहे हैं. पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि पटना जिले में भी यह कवायद चल रही है और ऐसे स्कूलों को चिन्हित किया जा रहा है. इससे छात्रों का भी भला होगा और जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वह कमी भी पूरी हो जाएगी.

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