Bihar Caste Census: जातीय जनगणना पर सुप्रीम सुनवाई कल, JDU-BJP ने एक दूसरे पर उठाई उंगली

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Published : Jan 12, 2023, 8:01 PM IST

बिहार में जाति आधारित जनगणना

बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) को लेकर क्रेडिट लेने की होड़ है. सभी दल इसके समर्थन में बोल रहे हैं. जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसपर भी एक दूसरे पर उंगली उठानी शुरू कर दी. इस मामले में 13 जनवरी को सुनवाई है. सुनवाई के बाद ही पक्का हो पाएगा कि जनगणना पर रोक लगेगी या फिर जारी रहेगी. लेकिन फिलहाल बयानबाजियां जारी है. पढ़ें Bihar Politics -

सुनवाई से पहले ही जेडीयू और बीजेपी एक दूसरे पर उठाने लगे उंगली

पटना : बिहार में जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census) पर विवाद शुरू हो गया है. 7 जनवरी से पहले फेज की जनगणना हो रही है, जिसमें मकानों की सूचीकरण और यूनिक नंबर दिया जा रहा है. लेकिन जाति आधारित जनगणना को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका डाली गई है. इस याचिका पर कल यानी शुक्रवार को सुनवाई होगी. जिसके चलते एक बार फिर से बिहार में बयानबाजी शुरू हो गयी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी गणना रुकवाने के लिए षड़यंत्र कर रही है.

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निशाने पर बीजेपी: इस मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है, तो वहीं बीजेपी का कहना है कि हम लोग तो जाति आधारित गणना के पक्ष में हैं. सर्वदलीय बैठक से लेकर हर जगह बीजेपी ने समर्थन किया है. जदयू के पास कोई मुद्दा है नहीं. जदयू ही षड़यंत्र कर अपने लोगों से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करवाई है. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से साफ किया गया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के मामले में बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है.


क्या ये जाति आधारित जनगणना रोकने की साजिश है? : जाति आधारित गणना पर पहले भी बिहार में सियासत होती रही है. बिहार विधानसभा से दो-दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करा कर केंद्र को भेजा गया. जाति आधारित जनगणना के लिए नीतीश कुमार के नेतृत्व में सर्वदलीय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की और इसके बाद जब केंद्र सरकार ने मना कर दिया तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार ने जाति आधारित गणना कराने का फैसला लिया. उस दौरान भी आरजेडी की तरफ से कई तरह के आरोप लगाए गए. हालांकि अब महागठबंधन की सरकार बिहार में है और विपक्ष में बीजेपी है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट में जब एक सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार की ओर से जाति आधारित गणना रोकने के लिए याचिका दायर करवाई गई है तो जदयू बीजेपी पर षड़यंत्र करने का आरोप लगा रही है.

जेडीयू प्रवक्ता परिमल राज
जेडीयू प्रवक्ता परिमल राज

पार्टियों में क्रेडिट लेने की होड़, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में किसने लगाई याचिका? : दरअसल, ललन सिंह ने ट्वीट कर बीजेपी को घेरने की कोशिश की. तेजस्वी यादव की तरफ से भी बीजेपी को जाति आधारित गणना का विरोधी बताया गया. जदयू नेताओं के आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि जदयू के पास कोई मुद्दा है नहीं. विनोद शर्मा का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है. भारतीय जनता पार्टी तो जाति आधारित गणना के पक्ष में रही है.

''बिहार विधानसभा में दो-दो बार सर्व दलीय प्रस्ताव पास हुआ है. प्रधानमंत्री से जो शिष्टमंडल मिला उसमें भी बीजेपी के तरफ से मंत्री जनक राम गए थे. हम लोगों को कोई एतराज नहीं है. हम लोग तो चाहते हैं मुख्यमंत्री निष्पक्ष ढंग से जल्दी करवाएं. हमारे नेता सुशील मोदी और अन्य लोगों ने विलंब होने पर सवाल भी किया है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता बीजेपी

जातीय जनगणना पर बीजेपी तैयार, जेडीयू ने की सवालों की बौछार: विनोद शर्मा ने कहा जनता दल यूनाइटेड ही षड़यंत्र कर रही है. भारतीय जनता पार्टी को बदनाम करने के लिये और अपने लोगों से ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करवा रही है. जदयू नहीं चाहती है जाति आधारित गणना हो. वहीं बीजेपी के आरोपों पर जेडीयू प्रवक्ता परिमल राज का कहना है कि बीजेपी यदि विरोध नहीं करती है तो केंद्र सरकार को जाति आधारित गणना कराना चाहिए. बीजेपी को लगता है कि हिंदू वोट बैंक बंट जाएगा.

13 जनवरी को सुप्रीम सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट में 13 जनवरी को सुनवाई होने वाली है. अब देखना है कोर्ट का क्या फैसला होता है? कोर्ट के फैसले के बाद इस पर सियासत और बढ़ेगी. क्योंकि, बिहार में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक पहले फेज का जाति आधारित जनगणना का काम चल रहा है. दूसरे फेज में अप्रैल में काम शुरू होगा जो मई में समाप्त होगा. सरकार इस पर 500 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर रही है. बिहार में 2024 और 2025 चुनाव में जाति आधारित गणना एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. इसलिए क्रेडिट लेने के साथ एक दूसरे को दल घेरने की कोशिश कर रहे हैं.

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