बिहार में CCTNS योजना, जल्द जुड़ेंगे बचे हुए 202 थाने

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Published : Aug 17, 2021, 6:00 PM IST

पटना

बिहार पुलिस (Bihar Police) बहुत जल्द काम के लिए पेपरलेस तरीका अपनाने जा रही है. अगले एक से डेढ़ महीने में बिहार में पूर्ण रूप से सीसीटीएनएस (CCTNS) योजना काम करने लगेगी. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना: बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) राज्य सरकार (State Government) के निर्देश पर जल्द ही राज्य में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) पर पूर्ण रुप से काम करने लगेगा. सीसीटीएनएस योजना इंटीग्रेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का वो हिस्सा है, जिसके तहत न्यायालय थाना अभियोजन और फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री को एक साथ जोड़ा जाएगा.

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दरअसल, इस योजना के पूर्ण रूप से लागू होने के बाद बिहार के सभी थाने देश के 16 हजार से अधिक थानों से जुड़ जाएंगे. जिसके बाद एफआईआर (FIR) से लेकर थाने का सभी डाटा दूसरे राज्य के थाने की पुलिस भी आसानी से देख सकेगी. भारत में बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सीसीटीएनएस योजना के तहत किया गया है.

कमल किशोर सिंह, एडीजी, एससीआरबी

सीसीटीएनएस योजना के तहत थाना कोर्ट से भी पूर्ण रूप से जुड़ जाएगा और एफआईआर (FIR) से लेकर वारंट तक ऑनलाइन के माध्यम से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत रहेगा. सीसीटीएनएस योजना के पहले न्यायालय के समक्ष केस से जुड़े अधिकारी कोर्ट के समक्ष उस मामले की डायरी लेकर पहुंचते थे, जिसमें काफी समय व्यतीत हुआ करता था और केस की सुनवाई में भी विलंब होता था.

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एससीआरबी और सीसीटीएनएस योजना के एडीजी कमल किशोर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि राज्य सरकार की यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. इस परियोजना के तहत क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की जितनी भी पिलर्स है, जैसे पुलिस, प्रिजन कोर्ट, एफएसएल, प्रॉस्टिट्यूशन यह सब आपस मे जुड़ जाएंगे.

बिहार में प्रथम चरण में 894 थानों का लक्ष्य रखा गया था, जिसे पूरा कर लिया गया है और इन 894 थाने में ऑनलाइन डाटा एंट्री हो रही है. देश भर के 16 हजार थाने एक दूसरे से जुड़कर कार्य कर रहे हैं. इस परियोजना के तहत बिहार में भी न्यायालय में ऑनलाइन डिजिटल माध्यम से डाटा प्राप्त हो रहा है. न्यायालय के समक्ष एफआईआर, केश डायरी, अरेस्ट मेमो के साथ-साथ उस थाने का डाटा न्यायालय के समक्ष आसानी से पहुंच रहा है.

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बिहार में सीसीटीएनएस योजना से जुड़ चुके थानों में दर्ज होने वाली एफआईआर को डिजिटल फॉर्म में तैयार कर उसे अपलोड किया जा रहा है, ताकि देश के अन्य राज्यों में बैठे पुलिसकर्मी आसानी से किसी भी केस के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें.

''आने वाले 1 से डेढ़ महीने के अंदर बिहार में पूर्ण रूप से सीसीटीएनएस योजना धरातल पर काम करने लगेगा. बिहार में बचे 202 थानों को सीसीटीएनएस योजना से जोड़ने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. सीसीटीवी योजना के तहत सभी 894 थाने स्टेट सेंटर डाटा से और स्टेट डाटा सेंटर नेशनल डेटा सेंटर से जुड़े हुए हैं. सीसीटीएनएस योजना के तहत राज्य के 894 थानों के डाटा को अन्य राज्यों की किसी भी थाने के द्वारा एक्सेस किया जा रहा है.''- कमल किशोर सिंह, एडीजी, एससीआरबी

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कमल किशोर सिंह ने बताया है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी राज्यों के थानों के डाटा को एक्सेस किया जा रहा है. ठीक उसी प्रकार आने वाले एक से डेढ़ महीने के अंदर सभी बिहार के थाने भी थाने के अंदर से ही किसी भी राज्य के थाने के डाटा या अपराधी की सूचना आसानी से प्राप्त कर सकेंगे.

एडीजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि सीसीटीएनएस योजना के पूर्ण रूप से काम करने के बाद किसी भी एफआईआर के इन्वेस्टिगेशन में पुलिस को सहूलियत होगी. एफआईआर के इन्वेस्टिगेशन के लिए रिपोर्ट और डाटा जनरेशन में जो समय की बर्बादी होती है वो सीसीटीएनएस योजना के तहत आसानी से डिजिटल के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे.

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उन्होंने बताया कि अपराध नियंत्रण के लिए डिजिटल इंफॉर्मेशन से काफी सहूलियत मिलेगी. इस योजना के तहत बेहतर पॉलिसी बनाकर अपराध नियंत्रण पर लगाम लगाया जा सकता है. इस योजना के तहत लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े पदाधिकारियों और पुलिसकर्मियों को लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के साथ-साथ इन्वेस्टिगेशन में काफी सहूलियत मिलेगी. जेल में बंद कैदियों के साथ-साथ छूटे कैदियों के बारे में भी संबंधित थाने के बारे में जानकारी आसानी से रखी जा सकती है.

सीसीटीएनएस योजना के तहत आम लोगों को भी काफी सहूलियत मिल पाएगी. इससे खोने और लापता चीजों की जानकारी आसानी से मिलेगी. चरित्र सत्यापन प्रमाण पत्र लेने में ये काफी मददगार साबित होगा. इसके अलावा गुमशुदा व्यक्ति की जानकारी हासिल करने और पासपोर्ट वेरिफिकेशन करवाने में भी काफी सहूलियत होगी. किराएदार, वरीय नागरिक और नौकर का सत्यापन आसानी से सीसीटीएनएस योजना के तहत किया जा सकेगा. साथ ही चोरी हुए वाहनों की जानकारी भी आसानी से प्राप्त हो सकेगी.

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