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आत्मनिर्भर बनने की कोशिश, बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कर युवा कर रहे अच्छी कमाई

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Published : Sep 10, 2020, 5:42 PM IST

युवा आशु कुमार पीएम मोदी के आत्मनिर्भरता के मंत्र से प्रेरित होकर बायोफ्लॉक तकनीक से अपने घर में मत्स्य पालन कर रहे हैं. इससे वे अन्य लोगों को रोजगार मुहैया कराकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

बायोफ्लॉक से मछली पालन
बायोफ्लॉक से मछली पालन

पटना(बिहटा): कोरोना काल में देश भर के लाखों मजदूरों ने घर वापसी की. सभी वर्ग के कर्मचारी इस दौरान समान रूप से प्रभावित हुए. इसी क्रम में पटना के बिहटा प्रखंड के आशु कुमार ने आत्मनिर्भरता की दिशा में पहल की है. उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी करते हुए अपने घर में ही सीमेंटेड बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन रोजगार की शुरुआत की है.

बिहटा के अमहारा निवासी आशु कुमार ने आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य से सीमेंटेड बायोफ्लॉक के जरिए मछली पालन की योजना बनाई है. इन दिनों मछली की बढ़ती खपत को देखते हुए मत्स्य पालक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नयी तकनीक को अपना रहे हैं. कम पानी और कम खर्च में अधिक से अधिक मछली उत्पादन करने के लिए बायोफ्लॉक तकनीक कारगर साबित हो रही है.

बायोफ्लॉक से मछली पालन कर रहे युवा
बायोफ्लॉक से मछली पालन कर रहे युवा

क्या है ये नई तकनीक
बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक व वैज्ञानिक तरीका है. जिसमें मछली पालन के इस तकनीक को अपनाते हुए मत्स्य पालक न सिर्फ नीली क्रांति के अग्रदूत बनेंगे बल्कि बेरोजगारी से भी मुक्ति मिलेगी. तकनीक के माध्यम से किसान बिना तालाब की खुदाई किए एक टैंक में मछली पालन कर सकेंगे. इस नई तकनीक के सहारे मत्स्य पालन मे कम लागत, कम जगह, कम समय और कम पानी में भी ज्यादा मछली का उत्पादन किया जा सकता है. इसमें 10 हजार लीटर पानी में तीन-चार महीने में ही 5 से 6 क्विटल मछली का उत्पादन किया जा सकता है.

युवा ने बताया फायदेमंद सौदा
आशु कुमार का कहना है कि देश में कोरोना संक्रमण को लेकर आज जो स्थिति है, यहां तक खास कर युवा वर्ग रोजगार को लेकर काफी प्रभावित हुआ है. हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर होने को कहा है. जिससे प्रेरित होकर आज हमने भी अपना कम लागत में बड़ा मुनाफा वाला रोजगार शुरू किया है. सभी युवाओं को सलाह देता हूं कि वह भी आत्मनिर्भर बनकर रोजगार खुद बनाएं.

बायोफ्लॉक से मछली पालन
बायोफ्लॉक से मछली पालन

आसपास के लोगों को भी मिल रहा रोजगार
बता दें कि अमहरा गांव में पहला बायोफ्लॉक मछली उत्पादन आशु ने किया है. जिसे देख कर बहुत लोग इसे अपनाने की बात कर रहे हैं. आशु कुमार ने बताया कि अपने दोस्त मंयक और यूट्यूब पर इस नई तकनीक बायोफ्लॉक विधि को जाना और इस लॉक ॉडाउन में ही घर बैठे ही मछली पालन की शुरुआत की. मौजूदा समय में वे आसपास के युवाओं को भी रोजगार दे रहे हैं.

प्रखंड कार्यालय, बिहटा
प्रखंड कार्यालय, बिहटा

नहीं मिली सरकारी मदद
हालांकि आशु कुमार ने बताया उन्होंने अपने खुद के पैसों और दोस्तों की मदद से इसकी शुरुआत की. सरकार की तरफ से अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है. उन्होंने सहायता के लिए सरकार के पास आवेदन दिया है. उन्हें लग रहा है सरकार उनकी इस अत्याधुनिक बायोफ्लॉक से प्रेरित होकर उन्हें सहायता राशि दे सकती है.

प्रेम कुमार, कृषि मंत्री
प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

विभाग दे रहा प्रशिक्षण- मंत्री
वहीं इस नए बायफ़्लोक तकनीक पर मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से इस योजना के तहत 8 लाख से ज्यादा योजना राज्य में चलाए जा रहे हैं. इस योजना में कई किसान परिवार को प्रशिक्षण भी दिया गया है. साथ ही इसमें 80 से 75% अनुदान राशि देने का प्रावधान भी भी दिया गया है. उन्होंने कहा कि आज के समय में खासकर युवाओं से भी इस योजना से जुड़ने और मत्स्य पालन करने की जरूरत है.

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