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पटनावासियों को डराने लगा है ड्रैनेज: हर बार नालों की उड़ाही में करोड़ों खर्च..फिर भी नहीं बदले हालात

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Published : Mar 12, 2022, 10:32 PM IST

पटना नगर निगम
पटना नगर निगम

पटना में पुराना ड्रेनेज सिस्टम (Old drainage system in Patna) का पूरा नक्शा अभी तक नगर निगम और नगर विकास विभाग के पास मौजूद नहीं है, ऐसे में ड्रेनेज सिस्टम के क्लीयरेंस में 2019 में परेशानी आई थी. वर्तमान में बुडको के माध्यम से सुदृढ़ ड्रेनेज सिस्टम का काम किया जा रहा है. साथ ही निगम ने लगभग 10 करोड़ की लागत से प्री मॉनसून नालों की उड़ाही शुरू कर दी है. ताकि, इस बार मानसून में साल 2019 जैसे बाढ़ के हालात ना हो पाए. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना: साल 2019 में पटना में ड्रेनेज सिस्टम फेल होने की वजह से भारी बारिश के बाद कई दिनों तक शहर के रिहायशी इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए थे. लगभग 600 करोड़ से अधिक रुपए का नुकसान हुआ था. उस वक्त यह समस्या सामने आई थी कि पटना शहर जब अपने शुरूआती दिनों में बसना शुरू हुआ था, उस समय जिन नालों का निर्माण किया गया था, उनका नक्शा बिहार नगर विकास विभाग (Bihar Urban Development Department) और पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) के पास मौजूद नहीं था. ऐसे में ड्रेनेज सिस्टम के क्लीयरेंस में परेशानी आई थी.

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पुराने ड्रेनेज सिस्टम का नक्शा नहीं: पटना शहर जब बसना शुरू हुआ तब नियंत्रित निर्माण और तेज गति से निर्माण की वजह से कई जगह अंडर ग्राउंड नालें क्षतिग्रस्त हो गए थे. ये नाले कहां-कहां क्षतिग्रस्त हुए यह भी निगम इसलिए नहीं जान पाया, क्योंकि निगम के पास नक्शा मौजूद नहीं था. पटना के रिहायशी इलाके राजेंद्र नगर, कंकड़बाग खासकर बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में जलजमाव की समस्या ने काफी परेशान किया. इन क्षेत्रों में नाले से पानी के निकास का रास्ता का जब नक्शा नहीं मिला तब नगर विकास विभाग ने निर्णय लिया कि इन इलाकों में बुडको के माध्यम से नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत एक सुदृढ़ ड्रेनेज सिस्टम डेवलप किया जाएगा.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट अभी भी अधूरा: सुदृढ़ ड्रेनेज सिस्टम डेवलप करने का काम किया जा रहा है, लेकिन स्थिति यह है कि 3 साल होने के बावजूद अभी तक बुडको की तरफ से शुरू किया गया नमामि गंगे प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है. अभी भी राजधानी पटना के लगभग सभी इलाकों में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के कारण सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे खोदे हुए हैं. वहीं, इसी बीच पटना के जो बड़े नाले हैं उनके साफ सफाई के लिए साल 2019 में ही नगर निगम ने यह निर्णय लिया कि साल में नालों की तीन बार पहला प्री मानसून, दूसरा मानसून और तीसरा पोस्ट मानसून के समय सफाई की जाएगी.

ईटीवी भारत GFX
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प्री मॉनसून नालों की उड़ाही: प्री मानसून नालों की सफाई के तहत पटना नगर निगम ने हाल ही में निगम क्षेत्र के नालों के उड़ाही का काम शुरू किया है. इसके बारे में अधिक जानकारी देते हुए पटना नगर निगम के सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने कहा कि साल 2019 की घटना ने नगर विकास विभाग और पटना नगर निगम की कमियों को उजागर किया था. इससे निगम को काफी कुछ सीखने को मिला. इन कमियों को दुरुस्त करने के लिए कार्य किए गए और इसी कड़ी में पटना के जो 9 बड़े नाले हैं, उनका सघन सफाई अभियान चलाया गया.

''फिर से 2019 की स्थिति उत्पन्न ना हो इसको लेकर पटना में नालों की उड़ाही बड़े स्तर पर शुरू कर दी गई है. सबसे पहले बड़े नालों की उड़ाही की जाएगी और फिर एक छोटे नालों और कैचपीट की साफ सफाई होगी. अभी प्रत्येक वार्ड में 10-10 सफाई कर्मी नाला उड़ाही के लिए तैनात किए गए हैं. अगर आवश्यकता अधिक की पड़ती है तो और अधिक सफाई कर्मियों की तैनाती की जाएगी. निगम क्षेत्र में मौजूद सभी छोटे, मध्यम और खुले नालों की कुल लंबाई 17,03,568 लाख फीट है. 46,835 मैनहोल है और 36,241 कैचपिट है. इन सभी के सफाई का काम मई महीने के शुरूआत होने तक पूरा कर लिया जाएगा.''- इंद्रदीप चंद्रवंशी, पटना नगर निगम के सशक्त स्थाई समिति के सदस्य

इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताया कि नालों से जो कचरा निकल रहा है, उन्हें 48 घंटे तक नाला किनारे पानी गिरने तक रखा जाता है और फिर इसे उठाकर रामचक बेरिया इलाके में डंप किया जाना है, यही अभी हो रहा है. यदि नाला से कचरा निकाल कर 48 घंटे से अधिक समय तक छोड़ दिया गया है तो ऐसे मामलों के संज्ञान मिलने पर निगम वहां के कर्मियों पर सख्ती से कार्रवाई करेगा.

निगम और बुडको के बीच तालमेल मजबूत: उन्होंने कहा कि साल 2019 में जो हुआ था, उसके पीछे नगर निगम और बुडको के बीच तालमेल की कमी एक बड़ी वजह थी. संप का संचालन बुडको के जिम्मे है और कई संप उस समय चल नहीं रहे थे. 2019 की घटना के बाद नगर निगम और बुडको के बीच तालमेल मजबूत हुआ है. साल 2022 में 2019 की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसको लेकर हाल ही में पटना की मेयर सीता साहू ने बुडको के अधिकारियों की मीटिंग की है और उन्हें निर्देश दिया है कि शहर में जितने भी नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बड़े-बड़े गड्ढे सड़क पर खोदे हुए हैं, उन्हें मानसून से पहले तक कंप्लीट करके सड़क को ढक दिया जाए. ताकि जलजमाव की समस्या ना हो और लोगों के गड्ढे में गिरने की घटना ना घटे.

बिहार नगर विकास विभाग सुस्त: इंद्रदीप चंद्रवंशी ने कहा कि साल 2019 की घटना के बाद नगर विकास विभाग ने नगर निगम क्षेत्र में 84 करोड़ की लागत से 72 नालों के निर्माण की स्वीकृति दी थी. इसमें अधिकांश इलाके वह थे जो पटना के नए बसे हुए इलाके हैं, जहां पर ड्रेनेज सिस्टम पहले से मौजूद नहीं है. लेकिन, नगर विकास विभाग की सुस्ती पटना नगर निगम के विकास कार्यों में बाधा डाल रही है. नगर विकास विभाग की तरफ से अब तक ₹46,00,00,000 आवंटित किए गए हैं और इससे निगम ने 44 नालों का निर्माण कराया है. बाकी नालों के निर्माण के लिए फंड अविलंब स्वीकृत करने को लेकर के निगम ने नगर विकास विभाग को हाल ही में एक पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से निगम ने अपील की है कि साल 2019 के घटना की पुनरावृत्ति ना हो और लोग जलजमाव की समस्या का सामना ना करें, इसलिए जरूरी है कि अविलंब फंड स्वीकृत किया जाए.

बता दें कि साल 1932 में पटना शहरी क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम बनाए गए, लेकिन बाद में शहर में किस गति से अनियंत्रित बसावट की वजह से काफी सारे ड्रेनेज सिस्टम गुजर गए तो काफी सारे ड्रेनेज सिस्टम डैमेज हो गए. कई जगह ड्रेनेज सिस्टम के ऊपर बड़े-बड़े भव्य कंस्ट्रक्शन हो गए. इसके साथ ही पुराने ड्रेनेज सिस्टम का पूरा नक्शा भी अभी तक नगर निगम और नगर विकास विभाग के पास मौजूद नहीं है.

कई जगह जब सड़क पर गड्ढे खोदे जाते हैं तो जमीन में 20 फीट नीचे पुराना ड्रेनेज सिस्टम का कुछ हिस्सा दिखता है. पटना नगर निगम के पास कोई ऐसा तंत्र और यंत्र भी नहीं है, जिसके माध्यम से यह जाना जा सके कि जमीन में 15 फीट नीचे ड्रेनेज सिस्टम कैसे-कैसे गया है. लेकिन, जो वर्तमान में नाले बन रहे हैं, सरकार के द्वारा बड़ी योजनाओं के तहत बुडको के द्वारा जो ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया जा रहा है उन सब का नक्शा निगम के पास मौजूद है. पुराने नक्शे अभी भी शत-प्रतिशत निगम के पास मौजूद नहीं है.

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