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पटना हाईकोर्ट ने मालकिन से रेप मामले में अभियुक्त बनाये गये नौकर को किया रिहा

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 11, 2023, 10:56 PM IST

Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने मालकिन से रेप मामले की याचिका पर सुनवाई की है. अभियुक्त बनाये गये नौकर को साक्ष्य को अभाव में जेल से रिहा कर दिया. कोर्ट ने दलील दी कि पीड़ित महिला का बयान इतना सशक्त और इतना ठोस नहीं है कि केवल उसके मौखिक गवाही के आधार पर अपीलार्थी को बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का दोषी करार दिया जा सके. पढ़ें पूरी खबर

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटना: पटना हाईकोर्ट ने अपनी मालकिन से रेप किए जाने के मामले में अभियुक्त बनाए गए नौकर को साक्ष्य के अभाव में जेल से रिहा करने का निर्देश दिया. पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पीड़ित महिला का बयान इतना सशक्त और इतना ठोस नहीं है कि केवल उसके मौखिक गवाही के आधार पर अपीलार्थी को बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का दोषी करार दिया जा सके.

पटना हाईकोर्ट में रेप मामले पर सुनवाई: जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह और जस्टिस नवनीत कुमार पांडे की खंडपीठ ने सुकुमार जाना की ओर से दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई की. इस पूरे मामले की सूचक जो तथाकथित बलात्कार की पीड़िता है. उसने पुलिस में दर्ज कराई गई प्राथमिक में आरोप लगाते हुए कहा है कि उसके पति गया शहर में एक बड़े सार्वजनिक कंपनी में जब प्रबंधक के तौर पर पदस्थापित थे. उस समय अपीलार्थी जो उसके घर में नौकर था. उसने चाय में नशे की दवा मिला कर पीड़िता को बेहोश कर उसके साथ बलात्कार किया था.

आरोपी नौकर बंगाल का रहने वाला है: आरोपी नौकर पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिला से आया था. उसने पीड़िता की नंगी तस्वीर को वायरल करने की धमकी देते हुए, पीड़िता के साथ दोबारा बलात्कार किया. प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी पीड़िता को बदनाम कर देने की धमकी देते हुए हजारों रुपए ऐंठता रहा. एक महीना के बाद जब पीड़िता के पति का स्थानांतरण गया से जब सहरसा हो गया. तब उससे आरोपी और उसकी पत्नी ने एक लाख रुपए का डिमांड किया. पीड़िता इस सब से परेशान होकर आत्म हत्या करने की कोशिश की जिसे उसके पति ने विफल कर दिया.

हाईकोर्ट में गई थी चुनौती: उसके बाद पीड़िता ने इस मामले की पूरी जानकारी अपने पति को दी. जिसके बाद सहरसा थाने में इस अभियुक्त के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई. सहरसा के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा वर्ष 2021 में अभियुक्त को इस मामले में दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की सजा और 60000 का जुर्माना लगाया गया. अपीलार्थी ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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