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पटना हाईकोर्ट ने शरद चन्द्र हत्याकांड की जांच CBI को सौंपा

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Published : Dec 12, 2022, 10:05 PM IST

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने शरद चन्द्र हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया. कोर्ट ने सीआईडी को दो सप्ताह के भीतर सारे रिकॉर्ड और कागजात सीबीआई को उपलब्ध कराने को कहा है. इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले को निष्पादित कर दिया.

पटना: हाइकोर्ट ने लखीसराय के बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव कुमार शरद चन्द्र के चर्चित हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई (Investigation Of Sharad Chandra Murder Case To CBI) को सौंप दिया है. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद (Justice Rajeev Ranjan Prasad) ने उषा शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने के बाद आदेश दिया. कोर्ट ने जांच कर रही जांच एजेंसी सीआईडी को आदेश के दो सप्ताह में सारे रिकॉर्ड और कागजात सीबीआई को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है.

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सीबीआई को निष्पक्ष जांच करने का आदेश: कोर्ट ने सीबीआई के निर्देशक को ये निर्देश दिया कि वे शीघ्र एक योग्य अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित कर इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच कराए. इसकी रिपोर्ट सम्बंधित निचली अदालत को सौंपने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस हत्याकांड की जांच में पहले आठ साल का विलम्ब हो गया है, इसलिए इस मामले की जांच त्वरित गति से किये जाने की जरूरत है.

घर में घुसकर मारी गयी थी गोली: ये घटना 2 अगस्त 2014 को घटी थी, जब दो लोग कुमार शरद चन्द्र के घर में घुस कर गोली मार कर हत्या कर दी थी. उनकी पत्नी उषा शर्मा घटना के समय घर में थी. उन्होंने गोली मारने वाले को पहचान भी लिया था. इस सम्बन्ध में लखीसराय पुलिस थाने में कांड संख्या 443/ 2014/ दर्ज कराई गई. उनकी हत्या के पीछे बालिका विद्यापीठ के संपत्ति और भूमि का विवाद था.

हत्याकांड में प्रभावशाली लोगों के नाम: इस मामले में शम्भू शरण सिंह, श्याम सुंदर प्रसाद और राजेंद्र सिंघानिया को निजी प्रतिवादी बनाया गया. कुछ दिनों की जांच के बाद इस मामले की जांच का जिम्मा सीआईडी को 2014 में सौंप दिया गया. लेकिन सीआईडी मामले की जांच में कोई तत्परता नहीं दिखाई गई. 2016 से 2019 तक तो केस डायरी भी नहीं लिखी गई. 2014 में ये हत्या हुई थी लेकिन दिसंबर 2022 तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई. चूंकि इस मामले में प्रभावशाली लोग शामिल थे, इसलिए जांच में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पायी. आठ सालों में इस हत्याकांड की जांच नहीं पूरी हुई.

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