ETV Bharat / state

डबल इंजन की सरकार में भी नीतीश नहीं कर रहे विशेष दर्जे की बात

author img

By

Published : Feb 3, 2021, 6:24 PM IST

Updated : Feb 3, 2021, 7:45 PM IST

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते रहे हैं. एनडीए के शुरुआती दिनों से वह पटना से दिल्ली तक आंदोलन भी करते थे. महागठबंधन से अलग होने के बाद जबसे नीतीश एनडीए में दोबारा आए हैं विशेष राज्य का दर्जा की मांग की चर्चा तक करना छोड़ दिया है. राजद नेता उदय नारायण चौधरी ने इसकी वजह सत्ता जाने का डर बताया है.

Chief Minister Nitish Kumar
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते रहे हैं. एनडीए के शुरुआती दिनों से वह पटना से दिल्ली तक आंदोलन भी करते थे. पहले यूपीए की सरकार केंद्र में थी तो कई तरह के आरोप लगाते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से वह खामोश हैं. केंद्र और बिहार दोनों जगह एनडीए की सरकार है. डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी नीतीश की मांग पूरी नहीं हुई. पिछले कुछ समय से नीतीश इस मुद्दे पर बात भी नहीं कर रहे.

14वें वित्त आयोग की सिफारिश से लटक गया मामला
14वें वित्त आयोग की सिफारिश की वजह से अब नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों को छोड़कर किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी पहले से हो रही थी. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और गोवा की सरकारें भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करने लगीं.

देखें रिपोर्ट

इन राज्यों को मिला है विशेष राज्य का दर्जा
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारण एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगी चंद्रबाबू नायडू नाराज होकर अलग तक हो गए थे. अभी जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है उसमें असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं. इनमें से कई राज्यों की स्थिति विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद बेहतर हुई है. उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ.

विशेष राज्य का दर्जा भौगोलिक और सामाजिक स्थिति व आर्थिक संसाधनों के हिसाब से दिया जाता रहा है. नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल ने पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या, आदिवासी इलाका, अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर, प्रति व्यक्ति आय और कम राजस्व का आधार बनाया था. पांचवें वित्त आयोग ने सबसे पहले 3 राज्यों को 1969 में विशेष राज्य का दर्जा दिया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल था. अभी देश के 28 राज्यों में से 10 को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है.

special status bihar
.

विशेष राज्य का दर्जा मिलने से होते हैं ये फायदे
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद औद्योगिक निवेश की संभावना बढ़ जाती है. केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली राशि में 90% अनुदान और 10% बिना ब्याज के कर्ज प्राप्त होता है. सामान्य राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 70% राशि खर्च के रूप में दी जाती है और 30% राशि अनुदान के रूप में. जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है वहां एक्साइज, कस्टम और कॉर्पोरेट इनकम टैक्स में भी बड़ी रियायत मिलती है. प्लांड खर्च के हिस्से की करीब 30 फीसदी राशि मिलती है. खर्च नहीं होने पर राशि अगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाती है.

इस वजह से हो रही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसके लिए विशेषज्ञों का तर्क रहा है कि बिहार से सबसे अधिक पलायन होता है. गरीबी सबसे ज्यादा है. बेरोजगारी भी सबसे अधिक है. बिहार आपदा ग्रस्त राज्य है. 38 जिले में से 15 जिले बाढ़ ग्रस्त इलाके में आते हैं. हर साल बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति, जान-माल और आधारभूत संरचना के साथ फसलों को भी नुकसान होता है.

नीतीश कुमार का भी यह तर्क रहा है कि दूसरे विकसित राज्यों की श्रेणी में आने के लिए बिहार को बिना विशेष राज्य का दर्जा मिले तेजी से विकास संभव नहीं है. बिहार में सड़क, बिजली और कानून-व्यवस्था को लेकर काफी सुधार हुआ है. डबल डिजिट में लगातार ग्रोथ रहने के बावजूद निवेश नहीं हुआ है. झारखंड के अलग होने के बाद बिहार से खनिज संपदा चला गया. उद्योग धंधे भी झारखंड में ही रह गए.

special status bihar
.

रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट ने की थी विशेष मदद की बात
रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट को नीतीश कुमार ने एक बड़ी जीत बताई थी. यह वह समय था जब नीतीश बीजेपी से अलग हो गए थे. रिपोर्ट में रघुराम राजन कमेटी ने विशेष राज्य के दर्जे की जगह विशेष मदद की बात कही थी और इसके लिए राज्यों की तीन श्रेणी बनाई गई थी. बिहार को सबसे कम विकसित राज्य की श्रेणी में रखा गया था. तब रघुराम राजन मुख्य आर्थिक सलाहकार थे बाद में आरबीआई के गवर्नर भी बने.

उस कमेटी में बिहार के अर्थशास्त्री शेवाल गुप्ता भी शामिल थे. तब रिपोर्ट को लेकर विपक्ष में रहते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा था यह बिहार के लोगों के लिए निराशाजनक है. इससे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने की संभावना पूरी तरह खत्म हो गई है. यह उसी तरह का है खोदा पहाड़ निकली चुहिया. उस समय खूब आरोप-प्रत्यारोप हुए थे. नीतीश की कांग्रेस से नजदीकी भी बढ़ने लगी थी. वित्त मंत्री पी चिदंबरम से उन्हें उम्मीद भी थी. हालांकि उससे पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने साफ कहा था कि बिहार की जो स्थिति है उसमें विशेष राज्य का दर्जा मिलना संभव नहीं है. उस पर भी काफी सियासत हुई थी.

यह भी पढ़ें- 'साहब' का नया फरमान: सत्ता के खिलाफ किया प्रदर्शन तो नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
"मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने जो स्थिति बताई थी और उसके कारण जो परिस्थिति पैदा हुई उसी को लेकर रघुराम राजन कमेटी बनाई गई थी. उससे उम्मीद भी थी. नीतीश कुमार जब आरजेडी से अलग हुए और एनडीए में आए तो यह उम्मीद और बढ़ी, लेकिन अब नीतीश उसकी चर्चा भी नहीं कर रहे हैं."- डीएम दिवाकर, विशेषज्ञ, एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

DM Diwakar
डीएम दिवाकर

"नीतीश कुमार ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था लेकिन अब कुछ नहीं बोल रहे हैं. बिहार जैसे राज्य के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है. इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना ही चाहिए."- एनके चौधरी, अर्थशास्त्री

नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसके लिए विधानसभा और विधान परिषद से सर्व सम्मत प्रस्ताव पास करवाया था. उस समय उदय नारायण चौधरी विधानसभा के अध्यक्ष थे. उदय नारायण चौधरी अब आरजेडी में शामिल हो चुके हैं. इनका कहना है कि नीतीश सत्ता जाने की डर से चुप हैं.

"सत्ता जाने की डर से नीतीश विशेष राज्य के दर्जा देने की मांग नहीं कर रहे हैं. उन्हें डर है कि लालू जिस स्थान पर हैं कहीं उन्हें भी न पहुंचा दिया जाए."- उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

RJD leader Uday Narayan Chaudhary
राजद नेता उदय नारायण चौधरी

"हमलोग विशेष राज्य का दर्जा की मांग भूले नहीं है. अभी देश की जो परिस्थिति है उसमें ऐसा नहीं है कि बिहार विकास नहीं कर रहा है. यदि विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पूरी होती तो निश्चित रूप से कल कारखाने यहां अधिक लगते और लोगों को रोजगार मिलता. हम लोग भूले नहीं हैं. विपक्ष को तो कुछ भी कहने की आदत है."- श्रवण कुमार, जदयू नेता

महागठबंधन से अलग होने के बाद जबसे नीतीश एनडीए में दोबारा आए हैं विशेष राज्य का दर्जा की मांग की चर्चा तक करना छोड़ दिया है. पिछले साल 28 फरवरी को ओडिशा की राजधानी भुनेश्वर में आयोजित पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के सामने जरूर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई थी. इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक मंच से अब इस मुद्दे पर बोलना बंद कर दिया है.

Last Updated : Feb 3, 2021, 7:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.