मोतिहारी: पूर्वी चम्पारण जिला का स्वास्थ्य विभाग अपने कारनामों के लिए हमेशा चर्चाओं में रहता है. एक बार फिर जिला स्वास्थ्य विभाग समीति सुर्खियों में है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों के बीच मुफ्त वितरण के लिए आयी लाखों रुपये की दवाएं एक बार फिर कचरे के ढ़ेर में मिली है. ये मामला मेहसी प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. जहां एक्सपायर दवाओं के नाम पर अच्छी दवाओं को फेंक दिया गया (Medicines worth lakhs of rupees were found) है. ये दवाएं अगले छह महीनें तक एक्सपायर होने वाली नहीं थी. इस मामलें में सीएस ने एक जांच टीम बनायी है.
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कचरे में फेंकी सरकारी दवा : बिना एक्सपायर हुए दवाओं को मेहसी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में हीं फेंका गया है. जिन दवाओं को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले गरीबों के बीच मुफ्त में वितरण करना था. इस मामले में सिविल सर्जन अंजनी कुमार ने फिर से जांच कराने का अपना रटा रटाया बयान दिया है. सिविल सर्जन अंजनी कुमार ने कहा कि मेहसी में दवाओं के फेंकने का मामला सामने आया है. जिसकी जांच करायी जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
"मेहसी में दवाओं के फेंकने का मामला सामने आया है. जिसकी जांच करायी जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी."- अंजनी कुमार, सिविल सर्जन
सीएस ने दिए जांच के आदेश: मरीजों के बीच बांटे जाने वाली अच्छी दवाओं को कचरा के ढ़ेर में मिलने के बाद तरह-तरह की चर्चायें हो रही है. चर्चाओं के अनुसार दवा कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए आवश्यकता से अधिक दवाओं की खरीद की जाती है और फिर दवाओं के वितरण के आभाव में दवाओं को फेंक दिया जाता है. पिछले एक साल में जिला के पताही, पकडीदयाल, तुरकौलिया और सुगौली में ऐसा ही मामला सामने आया था. जिस मामले की जांच को लेकर टीम भी बनी थी. जांच के नाम पर खानापूर्ति कर वरीय अधिकारियों को रिपोर्ट भी सौंपी गई थी. जो स्वास्थ्य विभाग के फाईलों में दबकर रह गई है.