ETV Bharat / state

निर्माण के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहा राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधिशाला, ये है बड़ी वजह

author img

By

Published : Sep 5, 2021, 4:56 PM IST

पटना
पटना

राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधिशाला में प्रदेश के तमाम आयुर्वेदिक अस्पतालों को दवाइयां मुहैया कराने का लक्ष्य था. लेकिन यह पूरा नहीं हो सका है. प्रबंधक का कहना है कि लोगों की कमी और औषधिशाला के डेवलपमेंट नहीं होने के कारण ऐसा हो रहा है.

पटना: राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय (Ayurveda College Patna) में स्थित राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधिशाला आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा औषधिशाला है. जब इसकी स्थापना की गई तो उसका उद्देश्य था कि प्रदेश के जितने भी आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पताल हैं, वहां दवाइयों का वितरण यहीं से निर्मित दवाइयों से होनी थी. मगर यहां से सिर्फ पटना की आयुर्वेद और यूनानी कॉलेज की डिमांड ही पूरी हो पा रही है.

यह भी पढ़ें- ब्लैक फंगस का इलाज संभव! आयुर्वेद में फंगल बीमारियों का जोंक से हो रहा इलाज

बता दें कि औषधि निर्माण शाला में मैन पावर की कमी भी एक गंभीर वजह है जिस वजह से दवा का निर्माण डिमांड के अनुरूप नहीं हो पाता है. इसके अलावा अधिक उत्पादन के लिए अत्याधुनिक मशीन की भी कमी है.

देखें वीडियो

'यहां 63 प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयां और 62 प्रकार की यूनानी दवाइयां निर्मित की जाती हैं. अभी सिर्फ पटना के आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पताल की यहां से डिमांड की पूर्ति हो पाती है. बिहार सरकार से भी इस मुद्दे पर बात चल रही है कि जल्द से जल्द इसे और औषधि निर्माण शाला को उस लेवल पर डिवेलप किया जाए जो इसका उद्देश्य था. इसे डेवलप करने के लिए बीएमएसआईसीएल को 81 लाख रुपए दिए गए हैं. ताकि एक बड़ी मशीन का इंस्टॉलेशन हो सके. जिससे कि दवा उत्पादन की क्षमता बढ़ सके. जिस दिन यह मशीन इंस्टॉल हो जाएगी, निश्चित रूप से दवा उत्पादन बढ़ जाएगी. प्रदेश भर के आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पतालों में यहां से निर्मित दवाइयों की आपूर्ति संभव हो सकेगी.' -डॉ. विश्वनाथ राय, प्रबंधक, राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधिशाला

डॉ. विश्वनाथ राय ने बताया कि राजकीय आयुर्वेद औषधिशाला में मैन पावर की भी भारी कमी है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग को 25 से 30 पद सृजित किए जाने को लेकर पत्र भी लिखा जा चुका है. जितने भी पुराने अधिकारी और कर्मचारी थे, लगभग सभी रिटायर कर चुके हैं.

ऐसे में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मियों को लगाया गया है, जो औषधि निर्माण शाला में कार्य कर रहे हैं मगर अभी भी मैन पावर की काफी कमी है. उन्होंने कहा कि जब बड़े मशीन का इंस्टॉलेशन हो जाएगा तो और अधिक मैन पावर की आवश्यकता होगी. ऐसे में और अधिक पद सृजित करने की जरूरत है.

'यहां उन्हीं कंपोजीशन की दवाइयां तैयार की जाती है, जिसकी डिमांड पटना आयुर्वेद और तिब्बती/यूनानी कॉलेज से आती है. कोरोना काल में डिमांड को देखते हुए आयुष काढ़ा के लिए काफी आयुष क्वाथ तैयार किए गए. इसकी आपूर्ति सबसे अधिक की गई और अभी के समय औषधि शाला में काफी मात्रा में हरिद्रा खंड तैयार किया गया है. हरिद्रा खंड एंटी एलर्जिक औषधि है, जिसे दूध हल्दी और अन्य कई औषधीय मिश्रण से तैयार किया जाता है. अभी के समय में लोगों को एलर्जी से जुड़ी कई समस्याएं आ रही थीं. इसको देखते हुए आयुर्वेद कॉलेज अस्पताल से इस दवा को तैयार करने के लिए कहा गया था.' -वैद्य जगन्नाथ ओझा, आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी, आयुर्वेद औषधिशाला

यह भी पढ़ें- पर्यावरण दिवस के मौके पर आयुर्वेद कॉलेज में 500 से अधिक पौधों का किया गया वितरण

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.