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योजनाओं की राशि खर्च करने में कई विभाग फिसड्डी, 19.57% खर्च कर टॉप पर शिक्षा विभाग

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Published : Sep 20, 2019, 7:19 PM IST

शिक्षा विभाग ने सबसे ज्यादा 19.57 प्रतिशत राशि खर्च किया है. वहीं, ग्रामीण विकास विभाग 4.42 प्रतिशत, वन पर्यावरण विभाग 2.52 प्रतिशत, श्रम संसाधन विभाग ने 2.40 प्रतिशत राशि खर्च की है.

सीएम नीतीश कुमार

पटना: चालू वित्तीय वर्ष में बिहार के विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है. विभागीय आंकड़ें कुछ इस तरफ ही इशारा कर रहे हैं. बिहार सरकार का कई विभाग योजनाओं पर खर्च नहीं कर पा रहा है. विभाग योजना मद और पूंजीगत व्यय की राशि खर्च करने में सुस्त है. चालू वित्तीय वर्ष के 2 लाख 5 हजार करोड़ के बजट में करीब 1 लाख करोड़ योजना मद में खर्च के लिए रखा गया है.

education minister
शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा

वित्तीय वर्ष में 5 महीने बीतने के बाद भी अब तक चंद विभाग ही महज 15% की राशि खर्च कर पाया है. जबकि इसकी तुलना में पिछले वित्तीय वर्ष में पांच महीनों में लगभग 25 फीसदी राशि खर्च हो चुकी थी. लेकिन, इस बार आलम तो यह है कि कई विभागों का खाता तक नहीं खुला है. वहीं, कई विभाग 1% के अंदर ही राशि खर्च पाया है. योजनाओं में पैसे खर्च करने के मामले में शिक्षा विभाग सबसे टॉप पर है. जहां अब तक 19.57% खर्च हुआ है. जबकि कई विभागों का अब तक खाता भी नहीं खुल पाया है.

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

खर्च करने की रफ्तार धीमा होने की वजह
बिहार सरकार द्वारा योजना की राशि खर्च नहीं करने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. इसमें कम खर्च होने की मुख्य वजह केंद्र की तरफ से आने वाली केंद्रीय प्रायोजित योजना में निर्धारित लक्ष्य से बहुत कम राशि का आना है. वहीं, दूसरा बड़ा कारण वित्तीय प्रबंधन के लिए सीएफएमएस प्रणाली को सही तरीके से लागू नहीं कर पाना. सीएफएमएस प्रणाली के माध्यम से पैसों का लेनदेन और इसका लेखा-जोखा रखने में समस्या आ रही है. इस प्रणाली को लागू करने के बाद राज्य में सभी सरकारी लेनदेन ऑनलाइन होना था. लेकिन तकनीकी कठिनाइयों के कारण गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई है.

केंद्र से मिले महज 5 हजार करोड़ रुपये
गौरतलब है कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 37 हजार 407 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है. जिसमें बिहार को अब तक महज 5 हजार करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं. वहीं, मौजूदा तिमाही के दौरान केंद्र में जीएसटी समेत अन्य टैक्स संग्रहण में 40 हजार करोड़ रुपये की गिरावट को भी माना जा रहा है.

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अभी तक इन विभागों में योजना की राशि का 1% भी खर्च नहीं हुई

  • 1. पशु एवं मत्स्य विभाग
  • 2. पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग
  • 3. ग्रामीण कार्य विभाग
  • 4. पंचायती राज विभाग
  • 5. उद्योग विभाग
  • 6. पंचायती राज विभाग
  • 7. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
  • 8. स्वास्थ्य विभाग विभाग
  • 9. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग

इन विभागों में 20% से कम की राशि खर्च हुई

  • 1.शिक्षा विभाग-19.57%
  • 2.वन पर्यावरण विभाग-2.52 %
  • 3.श्रम संसाधन विभाग- 2.40 %
  • 4.योजना एवं विकास विभाग- 0.03%
  • 5. ग्रामीण विकास 4.42%
  • 6. अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग-0.43%

विभाग में योजना आकार का आवंटित राशि ( करोड़ में )

  • 1. ग्रामीण विकास विभाग - 15814
  • 2. ग्रामीण कार्य विभाग - 9896
  • 3. समाज कल्याण विभाग - 6997
  • 4. स्वास्थ्य विभाग - 5149
  • 5. पंचायती राज विभाग - 3114
  • 6. कृषि विभाग - 2344
  • 7. पशुपालन विभाग - 666
  • 8. कला संस्कृति विभाग - 513
  • 9. पिछड़ा एवं अति पिछड़ा विभाग - 1679
  • 10. भवन निर्माण विभाग - 600
  • 11. उद्योग विभाग - 713
  • 12.अल्पसंख्यक कल्याण विभाग - 500
  • 13. ग्रामीण कार्य विभाग - 9996
Intro:चालू वित्तीय वर्ष में बिहार सरकार के कई विभाग नहीं कर पा रहे हैं योजनाओं पर खर्च। विभाग योजना मद और पूंजीगत व्यय की राशि खर्च करने में सुस्त है। चालू वित्तीय वर्ष के 2 लाख 5 हजार करोड़ के बजट में करीब 1 लाख करोड़ योजना मद में खर्च के लिए रखा गया है। 5 महीने बीतने के बाद भी अब तक चंद विभाग ही महज 15% राशि ही खर्च हुए हैं। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में इन्हीं पांच महीनों में तकरीबन 25 फ़ीसदी राशि खर्च हो चुकी थी। इस बार आलम तो यह भी है कि कई विभागों का खाता तक नहीं खुला है। और कई विभाग 1% के अंदर ही राशि खर्च किया है।


Body:बिहार सरकार द्वारा योजना की राशि खर्च नही करने के कारण।

1.इस बार राशि कम खर्च होने की मुख्य वजह केंद्र की तरफ से आने वाली केंद्रीय प्रायोजित योजना में निर्धारित लक्ष्य से बहुत कम राशि आना है।

2.वही वित्तीय प्रबंधन के लिए CFMS प्रणाली को सही तरीके से लागू नहीं कर पाना भी बड़ी असफलता मानी जा रही है।

3.चालू वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत चलने वाली सभी योजनाओं में 37 हजार 407 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है।

4. इसमें अब तक महज 5 हजार करोड़ रुपए ही बिहार को मिले हैं।

5.इसकी मुख्य वजह मौजूदा तिमाही के दौरान केंद्र में GST समेत अन्य टैक्स संग्रहण में 40 हजार करोड़ रुपए की गिरावट को माना जा रहा है।

5.केंद्रीय योजनाओं में पैसे कमाने के अलावा के CFMS प्रणाली के माध्यम से पैसे ट्रांजैक्शन और इसका लेखा-जोखा रखने में समस्या आ रही है। इस प्रणाली को लागू करने के बाद राज्य में सभी सरकारी लेनदेन ऑनलाइन होना था । लेकिन तकनीकी कठिनाइयों के कारण गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई है।



Conclusion:अभी तक इन विभागों में योजना की राशि का 1% भी खर्च नहीं हुआ।
1. पशु एवं मत्स्य
2.पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण
3.ग्रामीण कार्य
4. पंचायती राज
5.उद्योग
6.पंचायती राज
7.ग्रामीण कार्य
8.अल्पसंख्यक कल्याण
9.स्वास्थ्य विभाग
10. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इन विभागों में 20% से कम की राशि खर्च हुई।
1.शिक्षा 19.57%
2.वन पर्यावरण 2.52 %
3.श्रम संसाधन 2.40 %
4.योजना एवं विकास 0.03%
5. ग्रामीण विकास 4.42%
6. अनुसूचित जाति - जनजाति कल्याण 0.43%

विभाग में योजना आकार का आवंटित राशि। ( करोड़ में )
1.ग्रामीण विकास - 15814
2.ग्रामीण कार्य - 9896
3. समाज कल्याण - 6997
4. स्वास्थ्य - 5149
5. पंचायती राज - 3114
6. कृषि - 2344
7. पशुपालन - 666
8. कला संस्कृति - 513
9. पिछड़ा एवं अति पिछड़ा - 1679
10. भवन निर्माण - 600
11. उद्योग - 713
12.अल्पसंख्यक कल्याण - 500
13. ग्रामीण कार्य - 9996
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