पटना: सीएम नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है. उत्तर प्रदेश जदयू इकाई की ओर से लगातार इसकी मांग की जा रही है. यूपी जदयू के संयोजक सत्येंद्र पटेल और उनकी टीम ने शनिवार को सीएम नीतीश कुमार से मिलकर फूलपुर से चुनाव लड़ने का आग्रह किया है. यूपी से आए जदयू के नेताओं के साथ लंबी बातचीत हुई है. इसके बाद खबर आ रही है कि नीतीश कुमार दिसंबर में यूपी का दौरा कर सकते हैं.
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क्या बोले ललन सिंहः जाति आकड़ा की बात करें तो फूलपुर में 20 वोटर कुर्मी हैं. शायद इसी आंकड़ा लोकर सीएम नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है. एक तरह से नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की कोशिश हो रही है, लेकिन योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और इसलिए बीजेपी तंज कस रही है. नीतीश का चुनाव लड़ने की बात पर ललन सिंह ने भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि ये तो सीएम नीतीश कुमार को तय करना है.
"ये तो सीएम नीतीश कुमार को तय करना है. वहां के नेता और कार्यकर्ता की इच्छा है कि सीएम वहां से चुनाव लड़ें. कल भी वे लोग आए थे. ये समझ लीजिए कि वहां के लोग चाह रहे हैं कि सीएम चुनाव लड़ें तो भाजपा को कहां वोट मिलने वाली है." -ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, JDU
जेडीयू नेता नहीं दे रहे स्पष्ट जवाबः उत्तर प्रदेश में जदयू के चुनाव लड़ने को लेकर पार्टी के नेता स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं. रिकॉर्ड की बात करें तो 2004 लोकसभा चुनाव में जदयू ने तीन सीट पर उम्मीदवार उतारा गया था, जिसमें एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. 2009 में जदयू ने सलेमपुर और बदायूं से उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन हार मिली थी. दोनों बार बीजेपी के साथ तालमेल हुआ था. 2014 और 2019 में जदयू ने उम्मीदवार उतार ही नहीं पायी.
भाजपा अलग कर रही दावाः नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा पर भाजपा खूब मजा ले रही है. भाजपा का दावा है कि यूपी में नीतीश कुमार मुंह के बल गिरेंगे, क्योंकि इनका रिकॉर्ड कोई खास नहीं रहा है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जो व्यक्ति बिहार में 2005 के बाद चुनाव नहीं लड़ पाए वे यूपी में क्या चुनाव लड़ेंगे? भाजपा का दावा है कि यूपी में नीतीश कुमार का कोई जनाधार नहीं है.
"जो 2005 के बाद बिहार में चुनाव नहीं लड़े वे यूपी में चुनाव लड़ेंगे? बिहार में अपराधियों की सहायता से MLA-MP बने थे. बेउर जेल में बंद बाहुबली के सहयोग से सीएम की गद्दी मिली. यूपी में भी धनंजय सिंह मदद कर भी दें, लेकिन इनका जमानत ही जब्त हो जाएगा. योगी जी इनके जातिवाद को बुलडोज करेंगे. वहां इनकी जगहंसाई के अलावा कुछ नहीं मिलेगा." - डॉ राम सागर सिंह, प्रवक्ता भाजपा
कई बार हो चुकी है मांगः नीतीश कुमार का फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा पहले भी हो चुकी है. 30 जुलाई को भी जौनपुर सभा में जदयू कार्यकर्ताओं ने मांग की थी कि नीतीश कुमार यूपी से चुनाव लड़ें. जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी उत्तर प्रदेश इकाई की ओर से फूलपुर से लड़ने का प्रस्ताव पेश किया गया था. समाजवादी नेता की ओर से भी पटना में नीतीश का स्वागत वाला पोस्टर लगाया गया था. यूपी जदयू के संयोजक सत्येंद्र पटेल का दावा है कि फूलपुर के अलावा अंबेडकर नगर और वाराणसी सीट से नीतीश कुमार जीत सकते हैं.
जेडीयू का चुनावी रिकॉर्डः विधानसभा की बात करें तो 2007 में जदयू ने 20 सीट पर उम्मीदवार उतारी थी. 2012 में 18 सीटों पर जदयू ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी. 2017 में नीतीश कुमार NDA से अलग हो गए. इसके बाद मोदी लहर में जदयू ने यूपी में चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटाई. 2022 में बीजेपी से गठबंधन की बात हो रही थी, जिसमें 51 सीटों की मांग हुई थी. बीजेपी ने 23 सीटों की सूची सौंपी थी, लेकिन बात नहीं बनी. जदयू अकेले 20 सीट पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें एक छोड़ सबका जमानत जब्त हो गया था. लोकसभा 2004 और 2009 में बीजेपी से गठबंधन में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा गया था.
फूलपुर से नीतीश कुमार की मांग क्यों: फूलपुर की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री बीपी सिंह यहीं से चुनाव लड़े थे. अब नीतीश कुमार को लेकर यह सीट फिर से चर्चा में है. इसका बड़ा कारण है कि फूलपुर में कुर्मी जाति के 20% से अधिक वोट जो पटेल के नाम से जाने जाते हैं. जदयू यूपी की इकाई कुर्मी वोट के सहारे नीतीश कुमार की जीत का दावा कर रही है. नीतीश कुमार ने भी नजदीकी श्रवण कुमार को वहां का प्रभारी बनाया है.
सपा की सहयाता से मिल सकती है जीतः बता दें कि नीतीश कुमार 2004 में अंतिम बार लोकसभा का चुनाव नालंदा से लड़े थे, जिसमें जीत मिली थी. उसके बाद आज तक न ही विधानसभा और न ही लोकसभा से चुनाव लड़े हैं. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए चुनौती बड़ी है. यदि नीतीश कुमार को समाजवादी पार्टी का सपोर्ट मिल गया तो रिजल्ट भी नीतीश कुमार के पक्ष में आ सकता है, क्योंकि कुर्मी यादव और मुस्लिम वोटों का समीकरण जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है. इसी समीकरण के सहारे जदयू के नेता और कार्यकर्ता चाह रहे हैं नीतीश कुमार यूपी से चुनाव लड़ें.