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सीता राम के विवाह के दिन क्यों नहीं करते हैं लोग बेटियों की शादी?, जानिए कारण

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Published : Dec 19, 2020, 6:00 AM IST

Updated : Dec 19, 2020, 3:44 PM IST

विवाह पंचमी हिन्‍दुओं का प्रमुख त्‍योहार है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्‍न हुआ था. लेकिन इस दिन कई जगह विवाह नहीं किए जाते हैं. खासकर मिथिला और नेपाल में इस दिन विवाह नहीं करने की परंपरा है. आखिर क्यों, पढ़ें

Sita Ram
Sita Ram

दरभंगा: 19 दिसंबर यानी आज विवाह पंचमी का शुभ मुहुर्त है. त्रेतायुग में आज के दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली इस तिथि को विवाह पंचमी भी कहते हैं. भगवान राम को चेतना और माता सीता को प्रकृति शक्ति का प्रतीक माना जाता है. चेतना और प्रकृति के मिलन की वजह से ही यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है.

विवाह पंचमी का महत्व
अग्रहायण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह हुआ था. हिंदू धर्म में इस विवाह को सबसे पवित्र उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है. इस तिथि को धर्म ग्रंथों में सबसे शुभ माना जाता है. लेकिन, मिथिला में ठीक इसका उल्टा है. मिथिला में लोग अग्रहायण मास की पंचमी अर्थात विवाह पंचमी को लड़के-लड़कियों की शादी नहीं करते हैं. इसके पीछे क्या तर्क है और यह परंपरा क्यों पुराने समय से चली आ रही है, आइये जानते हैं.

राम-सीता का वैवाहिक जीवन
राम-सीता की तस्वीर

क्या बोलते हैं धर्मशास्त्र के जानकार
विवाह पंचमी के दिन मिथिला में पारंपरिक रूप से शादी ब्याह न होने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. ईटीवी भारत ने इस संबंध में धर्मशास्त्र के जानकारों और विद्वानों से बात की. विद्वानों ने कहा कि यह सही है कि जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह अग्रहायण मास की पंचमी को हुआ था और इस हिसाब से यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है. लेकिन मिथिला में इस तिथि को शादी ब्याह की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है. उन्होंने कहा कि सीता और राम की शादी भले ही काफी पवित्र मानी जाती हो, लेकिन यह शादी सफल नहीं मानी गई थी.

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राजमहल में पली-बढ़ी राजकुमारी सीता गयी वनवास
इस शादी के बाद अयोध्या और जनकपुर के राजवंशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान माता सीता को हुआ था. राजमहल में पली-बढ़ी राजकुमारी सीता जब अपनी ससुराल अयोध्या पहुंची तो उन्हें राजमहल का सुख नहीं मिला. उनके पति श्री राम को 14 साल का वनवास मिला और माता सीता भी उनके साथ चली गईं.

वहवास के दौरान माता सीता, भगवान राम और लक्ष्मण
वहवास के दौरान माता सीता, भगवान राम और लक्ष्मण

माता सीता को देनी देनी पड़ी अग्नि परीक्षा
वन में माता सीता को कई प्रकार के कष्ट सहने पड़े. दुराचारी रावण उनका हरण कर लंका ले गया और माता सीता को अशोक वाटिका में दिन रात गुजारने पड़े. माता सीता को जब राम रावण को हराने के बाद वापस लेकर आए तब भी उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ी.

सीता माता को देनी पड़ी थी अग्निपरीक्षा
सीता माता को देनी पड़ी थी अग्निपरीक्षा

धरती में समायी माता सीता
नियति का खेल यहां पर भी नहीं रुका. माता सीता जब वापस अयोध्या पहुंची तो एक धोबी के तंज कसने पर भगवान श्री राम ने माता सीता को महल से निकाल दिया और आखिरकार माता सीता को उसी धरती माता की शरण लेनी पड़ी जिससे उनका अवतरण हुआ था. विद्वानों का कहना है कि इसी वजह से मिथिला के लोग इस मुहूर्त को शुभ नहीं मानते और इस दिन पारंपरिक तौर पर शादी ब्याह नहीं होते हैं.

धरती में समाई थी माता सीता
धरती में समाई थी माता सीता

वैवाहिक जीवन दुखों और कष्टों से भरा रहा
आज के दिन विवाह के लिए अबूझ मुहुर्त यानी सबसे शुभ मुहुर्त माना जाता है, लेकिन मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते है. मान्यता है कि आज के दिन विवाह होने पर देवी सीता और भगवान का संपूर्ण वैवाहिक जीवन दुखों और कष्टों से भरा रहा था.

माता सीता और भगवान राम
माता सीता और भगवान राम

विवाह पंचमी...शुभ मुहूर्त

⦁ मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 18 दिसंबर दिन शुक्रवार की दोपहर 02 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है.

⦁ पंचमी तिथि अगले दिन 19 दिसंबर दिन रविवार की दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक रहेगी.

⦁ उदया तिथि 19 दिसंबर को प्राप्त हो रही है, तो विवाह पंचमी या राम विवाह महोत्सव 19 दिसंबर को मनाया जाएगा.

Last Updated : Dec 19, 2020, 3:44 PM IST
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