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क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से मारेंगे पलटी! विश्लेषकों से जानिये, किस गठबंधन में होगा ज्यादा फायदा

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 28, 2023, 10:31 PM IST

Updated : Dec 28, 2023, 10:40 PM IST

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

jdu meeting in delhi बिहार के सियासी गलियारे में इन दिनों दो सवाल प्रमुखता से तैर रहे हैं. क्या नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बनने जा रहे हैं. और दूसरा, नीतीश के इस निर्णय में रोड़ा बन रहे ललन सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जाएगा. पिछले कुछ दिनों से इसी मुद्दे पर बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. कयास लगाये जा रहे हैं जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की होने वाली बैठक के बाद इन चर्चाओं पर विराम लग सकती है. पढ़िये, विस्तार से बिहार की सियासी हांडी में क्या पक रहा है. पढ़ें, विस्तार से.

नीतीश कुमार का राजनीतिक समीकरण.

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बार फिर से पाला बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं. बिहार में नीतीश कुमार लंबे समय तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे हैं. फिलहाल राजद के साथ महागठबंधन में हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर लालू प्रसाद यादव की तरफ से दबाव दिए जाने की चर्चा भी हो रही है. पहले भी नीतीश कुमार दबाव में बड़े फैसले लेते रहे हैं और अपने फैसलों से चौंकाते रहे हैं. एक बार फिर से कयास लगाए जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन से ज्यादा एनडीए बेहतर रहा है.


सीट बंटवारे को लेकर बढ़ेगी तकरार: नीतीश कुमार यदि महागठबंधन में रहते हैं तो पहली बार लोकसभा का चुनाव लालू प्रसाद यादव के साथ लड़ेंगे. ऐसे में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. लेकिन, महागठबंधन में रहने पर नीतीश कुमार को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बहुत दबाव है. लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. वहीं लोकसभा सीटों पर भी लालू प्रसाद यादव का दबाव है. कांग्रेस भी अधिक सीट मांग रही है. ऐसे में जदयू को कम सीट मिलना तय है.

बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकती हैः लालू और नीतीश की जोड़ी बीजेपी की मुश्किल जरूर बढ़ा सकती है, यदि दोनों एक साथ रहे तो बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सीटों का नुकसान हो सकता है. क्योंकि, बिहार में जो वोट बैंक की केमिस्ट्री है उसके हिसाब से पिछड़ा, अति पिछड़ा और मुस्लिम वोट बैंक नीतीश और लालू के साथ रहने के कारण महागठबंधन को लाभ मिलेगा. जिसका नुकसान भाजपा को होगा. यदि नीतीश कुमार एनडीए के साथ आते हैं तो महागठबंधन के मुकाबले उन्हें ज्यादा लाभ हो सकता है.

एनडीए में बेहतर संभावनाः राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं एनडीए में नीतीश कुमार के लिए ना केवल बिहार में अब तक सम्मानजनक स्थान मिलता रहा है, बल्कि केंद्र में भी संभावना बनी रहेगी. अब तक बीजेपी के साथ बराबर बराबर सीटों का समझौता होता रहा है. केंद्र में सरकार बनती है तो जदयू कोटे से मंत्री बनने की भी संभावना रहेगी. इसके अलावा राज्यपाल जैसे पदों पर भी जाने की संभावना एनडीए में रहने पर बनी रहेगी.

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क्या कहते हैं पार्टी के नेताः भाजपा प्रवक्ता योगेंद्र पासवान का कहना है कि "नीतीश कुमार को अटल बिहारी वाजपेयी ने सम्मान देकर यहां तक आगे बढ़ाया. बीजेपी ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ाने का काम किया है लेकिन, जब बीजेपी के नहीं हुए तो किसी के नहीं होंगे. अब उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ेगी, क्योंकि लालू प्रसाद यादव का दबाव है." जदयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि "बिहार में गठबंधन कोई हो लेकिन सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बनती रही है. नीतीश कुमार राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए बिहार के हित में फैसला लेते रहे हैं."


इंडिया गठबंधन में 'माया मिली ना राम': 2014 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार अकेले चुनाव लड़े थे और केवल दो सीट ही जीत पाए थे. जब बीजेपी के साथ 2019 में गठबंधन हुआ तो 16 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे लालू प्रसाद यादव के साथ कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं. 2015 में विधानसभा का चुनाव जरूर लड़े थे और उसमें महागठबंधन को जबरदस्त जीत मिली थी. 2020 में जब फिर से नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव लड़े थे तो केवल 43 सीटों पर विधानसभा में जीत हासिल हुई थी. तब नीतीश कुमार ने बीजेपी पर साजिश करने का आरोप लगाया था. पाला बदलने का एक बड़ा कारण यह भी रहा था. लेकिन, अब स्थितियां फिर से बदल रही हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी और लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार को पार्टी हित में फैसला लेना है.


पाला बदलने की क्या हो सकती है वजह: नीतीश कुमार पहले भी चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी हमेशा उन्हीं के पास रही है. जदयू का गठन ऐसे तो आरजेडी के खिलाफ ही हुआ था और लालू प्रसाद यादव को सत्ता से बाहर निकालने में भी नीतीश कुमार ने अहम भूमिका निभाई थी. आज एक बार फिर से लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन में हैं. पर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर काफी दबाव है. इससे परेशानी बढ़ी हुई है. इंडिया गठबंधन में अब तक ना तो उनके पीएम उम्मीदवार के तौर पर चर्चा हो रही है और ना ही संयोजक बनाया जा रहा है. इसीलिए नीतीश कुमार में नाराजगी है. ऐसे तो इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका से खुश नहीं है. इसीलिए नीतीश कुमार के पाला बदलने जैसे चौंकाने वाले फैसले के कयास फिर लगाये जा रहे हैं.

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Last Updated :Dec 28, 2023, 10:40 PM IST
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