पटना : मकर संक्रांति के बाद बिहार की सियासत करवट लेती .है इस बार भी राज्य का सियासी पारा चढ़ गया है. जदयू में घमासान जैसी स्थिति है. 29 दिसंबर को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई गई है. बैठक में बड़े फैसले की उम्मीद जताई जा रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. भारतीय जनता पार्टी से नजदीकियों के कारण सीएम नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पद से हटा दिया था.
बदल गए हैं बीजेपी के सुर : आज की तारीख में वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, लालू प्रसाद यादव के करीब हैं और अब उनकी जगह नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की ताजपोशी की तैयारी है. पूरे घटनाक्रम पर भारतीय जनता पार्टी की नजर है. पिछले कुछ दिनों से भाजपा नेताओं के सुर बदल गए हैं. प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को जहां अभिभावक करार दिया. वहीं विजय सिन्हा यह कह रहे हैं कि, नीतीश कुमार गलत जगह पर फंस गए हैं.
'बिना शर्त बीजेपी में आने पर स्वागत': गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी नीतीश कुमार के लिए नो एंट्री के सवाल को खारिज कर रहे हैं और कह रहे हैं कि नीतीश कुमार हताश और निराश हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद अनिल शर्मा ने कहा है कि जदयू के अंदर जो कुछ हो रहा है. वह उनका आंतरिक मामला है.
"भाजपा में बिना शर्त एंट्री हो सकती है. भाजपा में जो बिना शर्त आएगा उसका स्वागत करने के लिए हम तैयार हैं."- अनिल शर्मा, एमएलसी, बीजेपी
बीजेपी को नीतीश के कमजोर होने का इंतजार : इधर राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि "जदयू के अंदर मची घमासान ने बीजेपी को हाई अलर्ट पर ला दिया है. भाजपा की ओर से फिलहाल जल्दबाजी नहीं दिखाई जाएगी. भाजपा नीतीश कुमार के कमजोर होने का इंतजार करेगी और फिर अपनी शर्तों पर समझौता करेगी". वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी समझौते के मूड में तो है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर समझौता करना नहीं चाहती. भाजपा इस बार अपने किसी नेता को मुख्यमंत्री के पद पर बैठाना चाहती है.
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