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'पति-पत्नी की सरकार में अल्पसंख्यकों के लिए था 3.45 करोड़ का बजट, अब है 532 करोड़'

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Published : Jul 14, 2020, 9:33 PM IST

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जेडीयू नेता आरसीपी सिंह

जेडीयू नेता आरसीपी सिंह ने मंगलवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से संवाद कार्यक्रम किया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं, बिहार का विकास ही उनका एजेंडा है.

पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) और राज्यसभा में दल के नेता आरसीपी सिंह ने मंगलवार को गूगल मीट और फेसबुक लाइव के माध्यम से जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से संवाद किया. इस मौके पर अपने संबोधन में आरसीपी सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तान अनेकता में एकता का मुल्क है. आपसी मिल्लत और सामाजिक सद्भाव इसकी पहचान और ताकत है.

खुशहाली नेतृत्व का दायित्व
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा सामाजिक सद्भाव को सबसे ऊपर रखा है. उन्होंने कभी धर्म, सम्प्रदाय, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया. उनका स्पष्ट मानना रहा है कि अल्पसंख्यक समाज के विकास के बिना बिहार का विकास संभव नहीं. उनकी स्पष्ट सोच रही कि समाज की खुशहाली नेतृत्व का दायित्व है. उनके सभी काम में इसकी स्पष्ट झलक देखी जा सकती है.

अल्पसंख्यकों की आबादी 17 प्रतिशत
आरसीपी सिंह ने कहा कि बिहार में अल्पसंख्यकों की आबादी 17 प्रतिशत है. लेकिन कहते हुए शर्म आती है कि पति-पत्नी की सरकार में इतनी बड़ी आबादी के लिए मात्र 3.45 करोड़ का बजट था. मंगर अल्पसंख्यक कल्याण का वही बजट अब 532 करोड़ से अधिक का है. सिर्फ उर्दू भाषा के विकास के लिए ही आज 70 करोड़ का बजट है. धर्म और जाति के नाम पर भेदभाव करने वाली एक भी नीति बिहार में नहीं है. सभी कल्याणकारी योजना पर सबका समान हक है.

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संवाद कार्यक्रम में मौजूद जेडीयू नेता

तालीमी मरकज की स्थापना
आरसीपी सिंह ने कहा कि हमारा मानव संसाधन ही हमारी ताकत है और उसके लिए तालीम जरूरी है. यही कारण है कि नीतीश कुमार ने तालीम पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा जोर दिया. पिछले 15 वर्षों में 10 हजार से ज्यादा तालीमी मरकज की स्थापना हुई. 2005 तक मदरसों की कुल संख्या मात्र एक हजार 128 थी.

वहीं नीतीश कुमार ने एक साथ 2 हजार 460 नए मदरसों की स्वीकृति दी. जो लोग खुद को अल्पसंख्यकों का रहनुमा कहते रहे, उनके शासनकाल में मदरसा शिक्षकों की क्या स्थिति थी, उनका क्या वेतन था, ये पता कर लें. उस वक्त डीए बढ़ाने की मांग पर लाठियां बरसाई जाती थीं, आज मदरसा शिक्षकों को सातवां वेतनमान मिल रहा है.


बच्चों के लिए ‘हुनर’ कार्यक्रम
आरसीपी सिंह ने कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यक समाज के बच्चों के लिए ‘हुनर’ कार्यक्रम चलाया गया. जिससे 1.21 लाख से ज्यादा बच्चों को लाभ हुआ. स्वरोजगार के लिए ‘औजार’ कार्यक्रम चलाया गया. प्रोफेशनल कोर्स और स्किल डेवलपमेंट पर खास ध्यान दिया गया. छात्रावास में रहने वाले अल्पसंख्यक समाज के सभी बच्चों को सरकार हर महीने एक हजार रुपये दे रही है और साथ में 15 किलो अनाज भी दे रही है.

बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा
आरसीपी सिंह ने कहा कि बीए पास करने पर बच्चियों को 25 हजार और 12वीं पास करने पर 10 हजार और प्रथम श्रेणी में पास करने पर 15 रुपये अतिरिक्त दिए जाते हैं. यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर सरकार एक लाख और बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 50 हजार रुपये दे रही है. आज यहां अरबी-फारसी विश्वविद्यालय है और किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शाखा खोलने के लिए 224 एकड़ से अधिक जमीन सरकार ने मुफ्त में दी है.


बिहार में कब्रिस्तानों की घेराबंदी
आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार का कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं, बिहार का विकास ही उनका एजेंडा है. जबकि दूसरी ओर लोगों को केवल अपने परिवार की चिन्ता है. नीतीश कुमार ने बिहार को नरसंहारों के दौर से बाहर निकाल कर सरकार का इकबाल कायम किया. उन्होंने केवल जीवित लोगों की ही चिन्ता नहीं की, उनका ध्यान उन पर भी है जो कब्रिस्तानों में जमीन के नीचे दबे हैं. उन्हीं के कार्यकाल में बिहार में कब्रिस्तानों की घेराबंदी संभव हुई.

तलाक-शुदा महिलाओं की मदद
आरसीपी सिंह ने कहा कि अभी तक 6 हजार 137 कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो चुकी है. इसी तरह भागलपुर के दंगा-पीड़ितों को न्याय दिलाकर उन्होंने साबित किया कि शासन आपके व्यक्तित्व और नेतृत्व पर चलता है. उन्होंने तलाक-शुदा महिलाओं तक का ध्यान रखा और पहले 10 हजार और अब 25 हजार रुपये की सहायता राशि देकर सुनिश्चित किया कि वे भी समाज में सम्मान के साथ जी सकें.

7 अगस्त को मुख्यमंत्री की वर्चुअल रैली
आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समाज के उज्ज्वल भविष्य के लिए संकल्पित हैं. विपक्षी दल के डराने और उनके बहकाने में नहीं आएं. कोरोना संकट को देखते हुए सावधानी बरतें और बूथ पर जाकर लोगों से मिलें. यह सुनिश्चित करें कि 2020 में हम पहले से भी ज्यादा सीटों पर जीत कर आएं.

उन्होंने प्रकोष्ठ के सभी साथियों का आह्वान किया कि 9 अगस्त के दिन कम-से-कम दो पेड़ जरूर लगाएं और 7 अगस्त को होने वाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वर्चुअल रैली से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ें.

मुसलमानों की बेहतरी का सपना
इस मौके पर विधान पार्षद और प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष तनवीर अख्तर ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के मुसलमानों की बेहतरी और तरक्की का मदेखा है. 15 साल पहले मुसलमान भाईयों से लाठी में तेल पिलवाने का काम कराया जाता था. जबकि नीतीश कुमार ने हमारे हाथों में कलम दी और उसकी स्याही का इंतजाम भी किया.

मुसलमानों के सच्चे हमदर्द
अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन प्रो. युनूस हकीम ने कहा कि नीतीश कुमार मुसलमानों के सच्चे हमदर्द हैं. आज मुसलमान बिहार में जितने सुरक्षित हैं, उतने कहीं और नहीं हैं. हमारे नेता ने कभी क्राइम, करप्शन और कम्यूनलिज्म से समझौता नहीं किया है. सही मायने में वो दूसरे महात्मा गांधी हैं.

विधानपार्षद और प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष तनवीर अख्तर की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन इरशाद अली अहमद, जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष सरदार जगजीवन सिंह, मुस्तफा कमाल, अतीक अहमद और पटना महानगर के अध्यक्ष शकील अहमद हाशमी मौजूद रहे.

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