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Bihar Politics: जदयू को लग रहा झटके पे झटका, पार्टी को एकजुट रखना चुनौती

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Published : Mar 10, 2023, 7:41 PM IST

जदयू को एकजुट रखना पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती है. कई राज्यों में पार्टी में टूट (split in JDU) हो चुकी है. अरुणाचल, मणिपुर में जदयू के विधायक टूट गये. इस बार भी नागालैंड में एक विधायक ने चुनाव जीता था, जो बीजेपी गठबंधन वाली सरकार का समर्थन कर रहे हैं. बिहार में पहले आरसीपी सिंह ने जदयू को छोड़ा और पिछले महीने उपेंद्र कुशवाहा अपने समर्थकों के साथ जदयू को अलविदा कह दिया. पढ़ें, विस्तार से.

जदयू
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जदयू को एकजुट रखना पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती.

पटना: बिहार में नीतीश कुमार पिछले 17-18 सालों से लगातार सत्ता के केंद्र में (JDU in power) रहे हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं, लेकिन पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू केवल 43 सीट जीत पाई और तीसरे नंबर पर पहुंच गयी. तो, वहीं बिहार से बाहर भी पार्टी के विस्तार का मंसूबा पूरा नहीं हो रहा है. अरुणाचल प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2020 में 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और 2022 में बचे एक विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए.

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जदयू को अलविदा कह दियाः मणिपुर विधानसभा चुनाव में भी जदयू के विधायक चुनाव जीते थे उसमें से 5 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. जदयू के लिए दोनों राज्यों में बड़ा झटका लगा था. इसके बाद नागालैंड विधानसभा चुनाव में भी जदयू के जीते एक विधायक ने बीजेपी गठबंधन वाली सरकार का समर्थन कर दिया है. जदयू को राज्य इकाई को भंग करना पड़ा. बिहार से बाहर जदयू को बड़ा झटका लग रहा है, वहीं बिहार में भी जदयू के बड़े नेता पार्टी छोड़े रहे हैं. पहले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी ने जदयू को छोड़ा और पिछले महीने फरवरी में संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी जदयू को अलविदा कह दिया.

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पार्टी नेतृत्व कमजोर हुआः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि 2025 में नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की है, उससे पार्टी में अनिश्चितता बनी हुई है. क्योंकि, जदयू का मतलब नीतीश कुमार ही है. जहां तक दूसरे राज्यों की बात है तो जब बिहार में ही पार्टी कमजोर हो रही है तो दूसरे राज्यों का क्या हाल होगा, आसानी से समझा सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में आपको बड़ा लीडर बचा नहीं है. कुछ राज्यों में पार्टी सीट जरूर जीत रही है लेकिन उसे अपने साथ बना कर रख नहीं पा रही है. इसका साफ मतलब है कि पार्टी नेतृत्व कमजोर हुआ है.

आने वाले चुनाव पर नजरः पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अफाक खान का कहना है हम लोग बिहार से बाहर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. यह अलग बात है कि विधायक छोड़कर चले जा रहे हैं. लेकिन, हम लोग मजबूती से दूसरे राज्यों में आगे भी चुनाव लड़ेंगे. अरुणाचल और मणिपुर में विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर बीजेपी पर निशाना भी साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी तोड़फोड़ में ही लगी रहती है. जहां तक नागालैंड की बात है हम लोगों की नाराजगी इस बात पर है कि वहां के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक ने बिना हम लोगों की अनुमति से सरकार का समर्थन कर दिया था. ऐसे हम लोगों की नजर अब आगे आने वाले चुनाव पर है.

विधायकों को तोड़ा जा रहाः जदयू प्रवक्ता परिमल राज का भी कहना है दूसरे राज्यों में विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं तो इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी की साजिश है. पैसे के बल पर विधायकों को तोड़ा जा रहा है. लेकिन, हमारी पार्टी लोकतंत्र पर विश्वास करती है. नेता नीति और सिद्धांत पर चलती है. कुछ चुनाव के आधार पर आंकलन नहीं किया जा सकता है. सहयोगी कांग्रेस भी जदयू के टूट के लिए बीजेपी पर निशाना साध रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता समीर सिंह का कहना है बीजेपी जब से केंद्र में आई है तब से तोड़फोड़ की राजनीति कर रही है. पैसे के बल पर विधायकों को खरीद फरोख्त कर रही है. एक तरह से लोकतंत्र की हत्या कर रही है.

राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना अधूरा: एक तरफ जदयू दूसरे राज्यों में अपने विधायकों को पार्टी के साथ एकजुट रख नहीं पा रही है, वहीं बिहार में भी पार्टी के कई बड़े नेता साथ छोड़ रहे हैं. यह पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है. ऐसे तो 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी महागठबंधन के साथ मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की बात कह रही है लेकिन, अभी जदयू के 16 सांसद हैं और फिर से 16 सीट महागठबंधन में लेना और उस पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. ऐसे में पार्टी के लिए राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना फिलहाल अधूरा है. बिहार में भी पार्टी को फिर से संख्या बल के हिसाब से एक नंबर की पार्टी बनाना एक बड़ी चुनौती है.

"दूसरे राज्यों में विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं तो इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी की साजिश है. पैसे के बल पर विधायकों को तोड़ा जा रहा है. लेकिन, हमारी पार्टी लोकतंत्र पर विश्वास करती है. नीति और सिद्धांत पर चलती है"- परिमल राज, जदयू प्रवक्ता

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