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बिहार में अवैध शराब की पैरेलल इकोनामी, 20 हजार करोड़ से भी ज्यादा का चल रहा कारोबार

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Published : Dec 20, 2022, 9:54 PM IST

बिहार में अवैध शराब का कारोबार
बिहार में अवैध शराब का कारोबार

बिहार में शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) लागू है, फिर भी शराब की खरीद-बिक्री का खुला खेल धड़ल्ले से जारी है. विशेषज्ञों की मानें तो सूबे में शराब के अवैध करोबार की एक सामनांतर अर्थव्यवस्था चल रही है. इसे न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर, बल्कि सरकार के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है. सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का चूना लग रहा है. इस मामले में विशेषज्ञों की क्या राय है और उपलब्ध आंकड़े क्या तस्वीर बयां करती है? पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

बिहार में अवैध शराब का कारोबार

पटनाः बिहार में 2016 से पूर्ण शराब बंदी लागू है. छह साल से अधिक शराबबंदी के हो चुके हैं, लेकिन शराबबंदी को लेकर अभी भी कई सवाल खड़े होते रहते हैं. एक तरफ बिहार को शराबबंदी से बड़े राजस्व की हानि हो रही है, वहीं दूसरी तरफ अवैध जहरीली शराब पीकर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. दोनों ही सूरत में नुकसान सरकार का हो रहा है. जब शराबबंदी लागू की गई थी उस वित्तीय वर्ष में 4000 करोड़ राजस्व प्राप्ति की उम्मीद की गई थी और इकोनॉमिस्ट की मानें तो अभी वह बढ़कर 10000 करोड़ हो जाता. शराबबंदी से एक तो बिहार को राजस्व की हानि हो रही है और दूसरी तरफ अवैध शराब के कारोबार की पैरेलल इकोनामी भी खड़ी हो गई है.

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20 हजार करोड़ से अधिक की समानांतर अर्थव्यवस्थाः अर्थशास्त्री की मानें तो अवैध शराब के कारोबार की पैरेलल इकोनाॅमी 20 से 25 हजार करोड़ से कम की नहीं होगी. जब विपक्ष में आरजेडी थी तो इसी तरह का आरोप लगाती थी. अब बीजेपी कह रही है कि बिहार में अवैध शराब कारोबार की पैरेलल इकोनामी चल रही है और यह सत्ता संरक्षण में हो रहा है. वहीं आरजेडी का कहना है कि अवैध कारोबार तो हो रहा है लेकिन इसमें बीजेपी के लोग शामिल हैं.

2007 में शराब दुकान के लिए बांटे थे अंधाधुंध लाइसेंसः नई शराब पॉलिसी के तहत एक्साइज डिपार्टमेंट ने साल 2007 में पूरे राज्य में शराब की दुकानें खोलने के लिए अंधाधुंध लाइसेंस बांटे थे. इस वजह से विभाग के रेवेन्यू कलेक्शन में 10 गुना उछाल दर्ज की गई थी. एक्साइज डिपार्टमेंट को साल 2005-06 में 319 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, जो साल 2014-15 में बढ़कर 3,650 करोड़ रुपये हो गई. 2015-16 में 4000 करोड़ से अधिक की राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद थी, लेकिन बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू हो गई और उसके बाद से राजस्व का बड़ा नुकसान बिहार को हो रहा है.

बिहार में चल रही अवैध शराब की पैरेलल इकोनाॅमीः 2016 के बाद से 6 वर्षों में 2,09,78,787 लीटर शराब जब्त की जा चुकी है. बिहार में रोजाना 10000 लीटर और महीने में 300000 लीटर शराब की बिक्री की जा रही है और इसी को देखते हुए अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है कि कि अवैध शराब कारोबार की पैरेलल इक्नॉमी भी बिहार में शुरू हो गई. बिहार को एक तरफ जहां राज्य से 10 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अवैध शराब कारोबार का 20 से 25000 करोड़ की पैरलल इकोनाॅमी खड़ी हो गई है. इससे सरकार को राजस्व की हानि हुई है और सरकार द्वारा संचालित योजनाओं पर भी असर पड़ रहा है.

जहरीली शराब से मौत के कारण मचा है बवालः छपरा में जहरीली शराब से जिस प्रकार से मौत हुई है, उसके कारण बवाल मचा हुआ है. ऐसे इस साल की शुरुआत में भी बड़ी संख्या में जहरीली शराब से गोपालगंज, मोतिहारी सहित कई जिलों में लोगों की मौत हुई है. शराबबंदी को लेकर जब भी पार्टियां विरोध में रहती हैं तो सरकार पर सवाल खड़ा करती है. आरजेडी जब विरोध में थी तो शराबबंदी को पूरी तरह से फेल बताती रही और शराब के अवैध कारोबार की पैरेलल इकोनामी की बात करती रही. आरजेडी विधायक रामानुज प्रसाद अभी भी कहते हैं कि अवैध शराब कारोबार की पैरेलल इकोनामी चल रही है. आरजेडी के नेता अब सरकार पर हमला करने से बच रहे है.

शराब के मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष लगाता रहा है आरोप-प्रत्यारोपः बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि बिहार में सत्ता संरक्षित अवैध शराब की पैरेलल इकोनाॅमी चल रही है. शराबबंदी के बावजूद सूबे में शराब की अवैध बिक्री होती रही है. करीब 30 हजार करोड़ की शराब की परैलल इकाॅनोमी चल रही है. इस तरह से इस कारोबार का पैसा सरकार में बैठे लोगों तक चल पहुंच रहा है. वहीं आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव सरकार पर सीधा हमला करने से बचते दिखे, लेकिन यह जरूर कह रहे हैं कि बिहार में अवैध शराब का कारोबार बीजेपी के लोग चला रहे हैं. बीजेपी अवैध शराब के कारोबारियों का समर्थक है. बीजेपी के नेता शराब पीते और बेचते पकड़े गए हैं.

"बिहार में सत्ता संरक्षित अवैध शराब की पैरेलल इकोनाॅमी चल रही है. शराबबंदी के बावजूद सूबे में शराब की अवैध बिक्री होती रही है. करीब 30 हजार करोड़ की शराब की परैलल इकाॅनोमी चल रही है. इस तरह से इस कारोबार का पैसा सरकार में बैठे लोगों तक चल पहुंच रहा है"- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी

"बिहार में अवैध शराब का कारोबार बीजेपी के लोग चला रहे हैं. बीजेपी अवैध शराब के कारोबारियों का समर्थक है. बीजेपी के नेता शराब पीते और बेचते पकड़े गए हैं"- शक्ति यादव, प्रवक्ता, आरजेडी

सरकार का दावा अन्य स्रोत से हो रही आमदनी: ऐसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कहते रहे हैं कि 2016 में पूर्ण शराब बंदी लागू होने के बाद कुछ साल राजस्व का नुकसान जरूर हुआ है लेकिन उसके बाद लोगों ने अपनी राशि दूध, सब्जी, कपड़ा और शिक्षा के क्षेत्र के साथ अन्य क्षेत्रों में खर्च की है. उससे सरकार को राजस्व प्राप्त हो रहा है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि बिहार में प्रतिवर्ष शराबबंदी के बाद जितने बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी हो रही है. साफ पता चलता है कि बिहार में अवैध शराब कारोबार फल-फूल रहा है. एक तरफ बिहार को जहां राजस्व का नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ अवैध कारोबार के कारण भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

लाखों लोग शराब के कारण जेल में बंदः शराब के कारण लाखों की संख्या में लोग जेल भी गए हैं और बड़ी संख्या में लोगों की जहरीली शराब से मौत भी हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी का कहना है कि 600000 लोग अब तक बिहार में 6 सालों में शराब बंदी के कारण जेल जा चुके हैं. वहीं 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है. सुशील मोदी का तो यह भी कहना है कि शराबबंदी से बिहार में 10 हजार करोड़ पुलिस प्रशासन ने अवैध कमाई की है.

"अवैध शराब कारोबार की पैरेलल इक्नॉमी भी बिहार में शुरू हो गई. बिहार को एक तरफ जहां राज्य से 10 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अवैध शराब कारोबार का 20 से 25000 करोड़ की पैरलल इकोनाॅमी खड़ी हो गई है. इससे सरकार को राजस्व की हानि हुई है और सरकार द्वारा संचालित योजनाओं पर भी असर पड़ रहा है"- एनके चौधरी, अर्थशास्त्री

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