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उद्घाटन से पहले ही जर्जर हुआ 243 करोड़ की लागत से बना गंगा रिसर्च सेंटर, गंगा पर होना है शोध

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Published : Jun 8, 2021, 6:17 PM IST

गंगा रिसर्च सेंटर (Ganga Research Center) 2 साल से बनकर तैयार है. इसके जरिए गंगा पर शोध किया जाना है. लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी चेक (Reality Check) में जो तथ्य सामने आये हैं, उसने इसके औचित्य पर ही सवाल उठा दिए हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

patna Ganga Research Center
patna Ganga Research Center

पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक नमामि गंगे (Namami Gange Yojana) है. नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 16 घाट और तीन भवन बन चुके हैं.

उन्हीं में से एक है पटना के कलेक्ट्रेट घाट पर बना गंगा रिसर्च सेंटर. ईटीवी भारत की टीम ने इसका रियालिटी चेक किया तो पता चला कि उद्घाटन से पहले ही इसकी हालत जर्जर हो गयी है.

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गंगा पर शोध के लिए बना सेंटर
नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा को शुद्ध और स्वच्छ रखने के साथ ही गंगा नदी पर अध्ययन भी किया जाना है. इसके लिए देशभर में रिसर्च सेंटर का निर्माण करवाया गया, ताकि गंगा पर अधिक शोध हो सके.

देखें रिपोर्ट

243 करोड़ से अधिक आई लागत
इस रिसर्च सेंटर का नाम गंगा रिसर्च सेंटर दिया गया है. राजधानी पटना में भी गंगा नदी में अध्ययन करने के लिए 243 करोड़ से अधिक की लागत से कलेक्ट्रेट घाट पर गंगा रिसर्च सेंटर का निर्माण करवाया गया है.

patna Ganga Research Center
ईटीवी भारत GFX

रिसर्च सेंटर बदहाल
लगभग इस भवन को बने हुए 2 साल हो गए, लेकिन इस भवन का अभी तक उद्घाटन भी नहीं हो पाया है. उद्घाटन से पहले ही भवन की स्थिति जर्जर होती जा रही है.

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गंगा रिसर्च सेंटर के शीशे चकनाचूर

सिर्फ 2 गार्ड के हवाले भवन
इस भवन की स्थिति जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम कलेक्ट्रेट घाट पहुंची तो वहां दो सुरक्षा गार्डों के सिवा कोई नहीं मिला. भवन की देखरेख को लेकर प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड को यहां पर रखा गया है. सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि यहां पर किसी भी विभाग का कोई अधिकारी या कर्मी अभी तक नहीं आया है.

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2 सुरक्षाकर्मी के हवाले सेंटर

पीएम ने किया था शिलान्यास
पीएम मोदी द्वारा 17 फरवरी 2019 में नमामि गंगे परियोजना के तहत इस भवन के साथ 16 घाटों का शिलान्यास किया गया था. भवन बनकर तैयार हो गया है. लेकिन इसका उद्घाटन अभी तक नहीं हो पाया है. उद्घाटन से पहले ही भवन की स्थिति हो रही है. इसमें लगे शीशे अब धीरे-धीरे टूटकर बिखरने लगे हैं.

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17 फरवरी 2019 को हुआ लोकार्पण

नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हाल
गंगा से जुड़े कार्य को दिखाने और बताने के लिए कलेक्ट्रेट घाट से लेकर राजघाट के बीच नमामि गंगे परियोजना के तहत 16 घाट, 3 बिल्डिंग, एक विद्युत शवदाह गृह का निर्माण करवाया गया है. अभी 3 घाटों का निर्माण बाकी है.

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ईटीवी भारत GFX

हालांकि कलेक्ट्रेट घाट के रिसर्च सेंटर में शोध के लिए अभी तक कोई भी सामग्री नहीं लगाई गई है. सुरक्षाकर्मी और एसी के सिवा इस भवन में कुछ भी देखने को नहीं मिला.

बोलने से बच रहे अधिकारी
बुडको के अधिकारियों से जब हमने संपर्क किया तो वे बचते नजर आए. हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि 'भवन बनाकर हम लोग तैयार कर दिया है. इस भवन को नगर निगम को सौंप दिया गया है. कार्य योजना के संबंध में नगर निगम बेहतर जानकारी देगा.'

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गंगा रिसर्च सेंटर

नगर निगम ने साधी चुप्पी
जब हमने नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. उन्होंने बताया कि इस भवन में क्या होगा, अभी तक विभाग को कोई जानकारी सरकार की तरफ से नहीं मिली है.

अब देखने वाली बात होगी कि केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके इस भवन का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन इसका और यहां कामकाज कब शुरू होता है.

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