बिहार विधान परिषद चुनाव: आरजेडी और कांग्रेस में तनातनी तय, सभी 24 सीटों पर 'हाथ' को झटका देने की तैयारी में 'लालटेन'

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Published : Jan 11, 2022, 6:01 PM IST

आरजेडी और कांग्रेस में तनातनी तय

बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, लेकिन सियासी तापमान चरम पर है. दरअसल सूबे में बहुत जल्द विधान परिषद के स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. खबर है कि आरजेडी इस बार भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देने वाला है. ऐसे में आरजेडी और कांग्रेस में तनातनी (Dispute Between Congress and RJD) तय मानी जा रही है. पढ़ें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

पटना: बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) को लेकर एक बार फिर आरजेडी और कांग्रेस में तनातनी (Dispute Between Congress and RJD) बढ़ती दिख रही है. तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव की तरह ही आरजेडी इस बार भी कांग्रेस को भाव देने के मूड में नहीं दिख रहा है. माना जा रहा है कि विधान परिषद की 24 में से 23 सीटों पर आरजेडी अपना उम्मीदवार उतारेगा, जबकि एक सीट सीट सीपीआई के खाते में जा सकती है.

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विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक आरजेडी बिहार विधानसभा चुनाव की तरह एक बार फिर कांग्रेस को अधिक सीट देकर नुकसान उठाने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि पार्टी में यह लगभग तय हो चुका है कि अब सभी 24 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे. इसमें 23 सीटों पर आरजेडी अपना उम्मीदवार उतारेगा, जबकि एक सीट सीपीआई के खाते में जा सकती है. बांका सीट सीपीआई को देने की चर्चा है.

देखें रिपोर्ट

हालांकि इस मामले में आरजेडी का कोई नेता कैमरे के सामने खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि जमीनी हकीकत को देखते हुए महागठबंधन अपना उम्मीदवार तय करेगा. उन्होंने कहा कि सभी सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे, इतना तय है.

"जहां तक सीट शेयरिंग का सवाल है तो महागठबंधन के सभी घटक दल जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं. इसलिए सीट शेयरिंग में कोई परेशानी नहीं होगी. हमलोगों का मकसद है कि चौबीसों सीट पर महागठबंधन उम्मीदवार जीते, हम एकता के साथ मजबूती से लड़ेंगे"- चितरंजन गगन, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

इस बारे में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने ईटीवी भारत को बताया कि 24 सीटों पर स्थानीय निकाय कोटे से होने वाले चुनाव को लेकर फिलहाल कोई औपचारिक बातचीत आरजेडी के साथ नहीं हुई है. जब तक कोई औपचारिक बातचीत नहीं होगी, तब तक कुछ भी स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि पिछली बार आरजेडी और कांग्रेस जब जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, तब 10-10 सीटों पर आरजेडी और जेडीयू जबकि कांग्रेस 4 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.

कांग्रेस कितनी सीटों की उम्मीद कर रही है, इस पर उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना फिलहाल उचित नहीं है. हालांकि उन्होंने इस बात का संकेत जरूर दिया कि पिछले दिनों लालू यादव ने एक बयान दिया था और उन्होंने कहा था कि छह-सात सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं. विधानसभा उपचुनाव की तरह एकतरफा फैसले की आशंका पर उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन में सभी दल एक साथ हैं तो जाहिर तौर पर कोई फैसला भी मिलजुल कर ही लेना चाहिए और कांग्रेस के पास अगर आरजेडी की तरफ से कोई प्रस्ताव आता है तो इस पर आलाकमान से चर्चा के बाद ही कांग्रेस कोई बात कह सकेगी.

वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने भी कहा है कि फिलहाल कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है. इसलिए कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन लालू यादव ने जो बयान दिया था, उससे हम उम्मीद करते हैं कि पिछले चुनाव में अलग-अलग लड़ने का खामियाजा देखते हुए सभी दल निर्णय लेंगे. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अलग-अलग चुनाव लड़ने से सीधा फायदा एनडीए को होगा और इस बात का ख्याल सबको होना चाहिए.

"फिलहाल कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है. इसलिए कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन लालू यादव ने जो बयान दिया था, उससे हम उम्मीद करते हैं कि पिछले चुनाव में अलग-अलग लड़ने का खामियाजा देखते हुए सभी दल निर्णय लेंगे. अलग-अलग चुनाव लड़ने से सीधा फायदा एनडीए को होगा और इस बात का ख्याल सबको होना चाहिए"- राजेश राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस


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कुल मिलाकर देखें तो राष्ट्रीय जनता दल इस बार पूरी तरह से अकेले लड़ने की तैयारी कर चुका है. सूत्रों के मुताबिक लालू यादव ने इसके लिए पार्टी को हरी झंडी भी दे दी है. अब आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह. दरअसल आरजेडी नेताओं की मानें तो चाहे बिहार विधानसभा चुनाव 2020 हो या वर्ष 2021 में हुए उपचुनाव. दोनों बार कांग्रेस का परफॉर्मेंस बेहद खराब रहा है. उनके पास ना तो मजबूत उम्मीदवार है और ना ही पर्याप्त समर्थक. ऐसे में कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना आरजेडी के लिए एक बार फिर नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसके अलावा, स्थानीय निकाय कोटे से जिन 24 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें वोटर्स पंचायत प्रतिनिधि होते हैं. इस बार पंचायत चुनाव में 80 फीसदी से ज्यादा आरजेडी और इसके समर्थित उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. इसकी पूरी रिपोर्ट राष्ट्रीय जनता दल को मिल चुकी है और यही वजह है कि पार्टी ने अकेले चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी कर ली है. हालांकि औपचारिक एलान का इंतजार अभी करना होगा. यह तय है कि अगर आरजेडी की तरफ से अकेले तमाम उम्मीदवारों की घोषणा हो जाती है तो फिर कांग्रेस भी अकेले मैदान में उतरने को तैयार है.

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