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बिहार में रूबेला और खसरा: एक ही वैक्सीन के जरिए 2023 तक रखा गया उन्मूलन का लक्ष्य

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Published : Dec 18, 2022, 1:20 PM IST

Updated : Dec 18, 2022, 2:47 PM IST

रुबेला और खसरा रोग के लिए मुंबई में दो दिवसीय (Two Day meeting On measels And Rubella Dieseases) महामंथन किया गया है. जिसमें देश के कई प्रसिद्ध डॉक्टर पत्रकार और समाजसेवी पहुंचे थे. पढ़ें पूरी खबर...

मुंबई में रूबेला और खसरा को लेकर महामंथन
मुंबई में रूबेला और खसरा को लेकर महामंथन

मुंबई में रूबेला और खसरा पर महामंथन

पटना: पूरे देश में पोलियो और कोरोना पर काबू पा लिया गया है. पिछले 8 महीनों से 5 साल के बच्चों को तेजी से खसरा और रूबेला बीमारी (Measles And Rubella Disease In Bihar) चपेट में ले रही है. इसी कारण मुंबई में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित की गई. जिसमें देशभर से आए पत्रकारों, समाजसेवियों और स्वास्थ्य कर्मियों ने हिस्सा लिया. इस आयोजन में शामिल होकर आए वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी, संजय अभिज्ञान ने इस बीमारी से बचने को लेकर जागरुक किया है. हालांकि 2023 तक खसरा और रूबेला पर काबू पाने के लिए सरकार ने एक्शन प्लान तैयार कर लिया है.

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खसरा और रूबेला बीमारी पर महामंथन: दरअसल रूबेला और खसरा दोनों बीमारी के लक्षण कमोबेश एक ही तरह है. इस बीमारी से ग्रसित लोग 6 महीने से लेकर 5 साल के बच्चों को संक्रमित करती है. बीमारी से संक्रमित होने के बाद पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभरकर आ जाते हैं. इसके साथ ही बच्चों को तेज बुखार भी आता है. डॉक्टरों के द्वारा बताया जाता है कि कम उम्र के बच्चों को निमोनिया और डायरिया बीमारी के लक्षण भी आते हैं. इसके साथ ही आंखें लाल होना, कान में दर्द होना ये सारी शिकायतें आम तरह की होती है.

क्या है खसरा

खसरा एक गंभीर वायरल बीमारी है, जिसे रुबेला के नाम से भी जाना जाता है. इस रोग को लोगों में आने का कारण वायरस को माना जाता है. जो सबसे अधिक बच्चों को अपनी चपेट में लेकर परेशान करता है. छोटे बच्चों के लिए यह बीमारी बहुत ही घातक हो जाती है. इस बीमारी की शुरुआत एक सीरोटाइप वाले आरएनए वायरस से होती है. इससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 10 से 14 दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

खसरा और रुबेला का वैक्सीन जरुरी: वर्तमान समय में देश में लगभग 23000 खसरा के मरीज है. बिहार में मरीजों की संख्या लगभग 31 है. अभी तक बिहार में रूबेला के 1 भी मरीज नहीं मिले हैं. वैक्सीन ही इस बीमारी से बचाव का तरीका है. बच्चों को इससे बचने के लिए वैक्सीन लेने का पहला समय 9 महीना रखा गया हैे. वहीं दूसरा डोज 16 महीने के बाद लगाया जाना चाहिए. जिन बच्चों ने टीका नहीं लगवाया है. उनलोगों को यह टीका 5 साल के भीतर लगवा सकते हैं. इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति इस तरह की बीमारी से बचने के लिए तंत्र मंत्र जादू टोना का सहारा लेते हैं. उनलोगों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है.

2023 तक बच्चों को दिलवाए वैक्सीन: डब्ल्यूएचओ के चिकित्सा सलाहकार डॉ आशीष चौहान ने बताया कि 2023 तक दोनों बीमारियों से देश को निजात दिलाना है. इसके लिए वैक्सीनेशन ही विकल्प है. हालांकि 5 साल तक के बच्चों को वैक्सीन लगवा कर हम अपने बच्चों को खतरे से बचा सकते हैं.

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Last Updated :Dec 18, 2022, 2:47 PM IST
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