BJP ने दिया JDU को जोर का झटका, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा और PM उम्मीदवारी की मुहिम पर संशय

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Published : Sep 3, 2022, 10:14 PM IST

Updated : Sep 3, 2022, 10:54 PM IST

JDU to become national party after Manipur episode

जदयू की सियासत को बड़ा झटका लगा है. मणिपुर में पार्टी के 5 विधायकों ने जदयू छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार के लिए यह बड़ा झटका है और पार्टी को दो मोर्चों पर शिकस्त मिली है. पढ़ें.

पटना: सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) फिलहाल देश के सियासत के केंद्र बिंदु हैं. नीतीश कुमार का अंदाज बदला-बदला है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने के बाद से नीतीश पीएम मोदी से दो-दो हाथ करने के मूड में हैं. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नीतीश और पीएम मोदी आमने-सामने हैं. वहीं मणिपुर में जदयू को बड़ा झटका (Five JDU MLA joining BJP in Manipur) लगा है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलगाव के बाद छह में से पांच विधायकों ने जदयू छोड़ दिया है. इसके पहले अरुणाचल प्रदेश में भी जदयू विधायक ने भाजपा का दामन थामा था.

पढ़ें- 'मणिपुर के हमारे विधायकों ने कहा था बिहार आ रहे हैं, उससे पहले ही पकड़कर ये काम कराया'

अरुणाचल प्रदेश में जदयू को मिला था झटका: 1 सप्ताह पहले जदयू के एकमात्र विधायक तेकी जी अरुणाचल प्रदेश से जनता दल यूनाइटेड के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए. तेकी जी के आने के बाद 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 49 हो गई है. ज्ञात हो कि दिसंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे.

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने से दूर हुई जदयू : मणिपुर में टूट की घटना से जदयू को दो मोर्चों पर करारा झटका लगा है. एक ओर जहां जदयू राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने में एक कदम पीछे हो गई है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पद को लेकर नीतीश कुमार की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े हो गए हैं. जनता दल यूनाइटेड राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा (JDU Aims to Become National Party) हासिल करने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही थी और पार्टी 3 राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के करीब पहुंच चुकी थी. एक राज्य में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के बाद जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता.

भाजपा के चक्रव्यूह में जदयू उलझी : दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नीतीश कुमार का नाम जोर शोर से उठाया जा रहा था. महागठबंधन नेता नीतीश कुमार के पक्ष में खड़े दिख रहे थे. अब नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार जब दल को नहीं संभाल सकते हैं तो देश को कैसे संभालेंगे.

बोले सीएम नीतीश- 'भाजपा ने हमारे विधायकों को तोड़ा': बिहार के मुख्यमंत्री मणिपुर के घटना से हताश और निराश हैं. नीतीश कुमार ने कहा है कि कौन सी परंपरा की शुरुआत की जा रही है जो लोग हमारी टिकट पर चुनाव जीत के आए थे उन्हें तोड़कर भाजपा के लोग अपने साथ मिला रहे हैं. 2024 में जनता जवाब देगी. नीतीश कुमार ने कहा कि विधायकों ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में आने को लेकर सहमति दी थी लेकिन उससे पहले ही भाजपा के लोगों ने हमारे विधायकों को तोड़ दिया.

"मणिपुर का जब रिजल्ट आया था, छह विधायक हमारे जीते थे. तब सभी लोग यहां मिलने आए थे. अब जब एनडीए से अलग होने के बाद तय हो गया था कि अपनी पार्टी के लोग से मिलने के लिए हम सब जगह जाएंगे तो ऐसा किया गया. ये हो क्या रहा है. जरा सोच लीजिए. किस तरह दूसरी पार्टी के जीतने वाले लोग को अपनी तरफ ले रहे हैं. एक नए ढंग का काम किया जा रहा है. वो सभी एमएलए तो कुछ दिन पहले कहा था कि आ रहे हैं यहां मिलने, लेकिन उससे पहले ही सब को पकड़कर अपनी तरफ कर लिया. जो पार्टी का अन्य राज्यों में लोग जीतते हैं, उसको अपनी तरफ कब्जा करना. यही सोचते हैं. यही उनका काम है"- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

"नीतीश कुमार ने जिस तरीके से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ नाता तोड़ा है. वैसे ही मणिपुर के विधायक नाराज हुए और उन्होंने जदयू का साथ छोड़ दिया. नीतीश कुमार का बिहार में भी वही हश्र होने वाला है."- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

"नीतीश कुमार के लिए मणिपुर की घटना झटका है जिस तरीके से नीतीश कुमार के पक्ष में देश के अंदर माहौल बन रहा था उसे झटका लगा है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के मामले में भी नीतीश एक कदम पीछे आ गए. यह तो भविष्य के गर्भ में है कि आगे की सियासत की दिशा और दशा क्या होगी.-" डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

मणिपुर में जेडीयू के पांच विधायक बीजेपी में शामिल: बता दें कि जेडीयू ने इस साल मार्च में मणिपुर विधानसभा चुनाव में 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से छह ने जीत दर्ज की थी. बीजेपी में शामिल होने वाले जेडीयू विधायकों में केएच जॉयकिशन, एन सनाते, मोहम्मद अछबउद्दीन, पूर्व पुलिस महानिदेशक ए एम खाउटे और थांगजाम अरुण कुमार शामिल हैं. अभी तक इन विधायकों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जेडीयू के लिए ये ना सिर्फ एक झटका है बल्कि पूर्वोतर में कमजोर होती पकड़ का एक संकेत है. असल में कुछ समय पहले ही अरुणाचल प्रदेश में भी जेडीयू का एक मात्र विधायक बीजेपी में शामिल हो गया था. ऐसे में उस राज्य से जेडीयू का प्रतिनिधित्व ही समाप्त हो गया.

मणिपुर में टूट के बाद बौखलायी JDU: बिहार जेडीयू के प्रवक्ताओं ने बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार (JDU Leader Neeraj kumar) ने कहा कि फर्जी नैतिकता के कुलाधिपति बनने का बीजेपी दावा करती है, लेकिन इसके मूल्य चरित्र में कैसा बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि अब अटल आडवाणी वाली बीजेपी नहीं है, अब वैचारिक रूप से समाज में वैमनस्य फैलाने और सहयोगियों के साथ विश्वासघात करने का बदलाव बीजेपी में आया है. बिहार ने तो इसको लेकर नजीर पेश कर दी है.


राष्ट्रीय पार्टी बनने के सपने को झटका : नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू बिहार में 2005 से लगातार सत्ता में है, लेकिन पार्टी को अभी तक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं मिला है. दो दशक में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं मिलने से पार्टी के शीर्ष नेताओं को इसकी बड़ी कसक है. जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार अपनी पीड़ा भी बताते रहे हैं. नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की जिम्मेवारी अब सौंपी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार अपने इस अभियान में लगे हुए हैं. मणिपुर में पार्टी को बड़ी सफलता भी मिली थी, वहां जदयू के छह विधायक जीत कर आए थे और वहां जदयू को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल गया था. लेकिन अब मणिपुर प्रकरण के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है.

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Last Updated :Sep 3, 2022, 10:54 PM IST
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