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भक्ति और आस्था का अटूट समागम है मसौढ़ी का श्री विष्णु सूर्य मंदिर मणिचक धाम, अपनी मन्नतों को लेकर आते हैं लाखों श्रद्धालु

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 17, 2023, 7:37 PM IST

मसौढ़ी में मणिचक श्री विष्णु सूर्य मंदिर छठ धाम की मान्यता
मसौढ़ी में मणिचक श्री विष्णु सूर्य मंदिर छठ धाम की मान्यता

Manichak Sun Temple in Masaurhi Patna: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाए खाए से शुरू हो गया है. इसी को लेकर राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में श्री विष्णु सूर्य मंदिर मणिचक छठ धाम कई महीनों में श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. यह धाम भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है.

पटना: चार दिवसीय महा अनुष्ठान छठ पर्व की धूम देश भर में देखने को मिल रही है. हर ओर भक्ती भाव का माहौल है. छठ पर ऐसे तो सभी घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है लेकिन मसौढ़ी स्थित मणिचक श्री सूर्य मंदिर छठ धाम में श्रद्धा, भक्ति और आस्था का अटूट समागम देखने को मिलता है. यह धाम श्रद्धालुओं के लिए कई मायनों में खास है.

छठ पूजा को लेकर विशेष महत्व: राजधानी पटना से महज 30 किलोमीटर दूर मसौढ़ी नगर मुख्यालय में ख्यातिप्राप्त मणिचक श्री सूर्यमंदिर प्रांगण में साल में दो बार चारदिवसीय छठ पूजा को लेकर विशेष महत्व है. यहां कार्तिक और चैती छठ पूजा पर स्थानीय लोग समेत दूरदराज से लाखों श्रद्धालु व्रत करने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर नहाने और पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति और कुष्ठ निवारण होता है.

श्री विष्णु सूर्य मंदिर मणिचक छठ धाम
श्री विष्णु सूर्य मंदिर मणिचक छठ धाम

दूर-दराज से आते हैं लाखों श्रद्धालु: वैसे लग्न के समय शादी ब्याह करने को लेकर भी यहां लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है. कहा जाता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े पर भगवान भास्कर की कृपादृष्टि बनी रहती है. अपनी मान्यताओं के कारण मणिचक श्री विष्णु सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है, इसको लेकर दूर-दराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु छठ व्रत करने के लिए यहां पर आते हैं.

मंदिर का प्रवेश द्वार
मंदिर का प्रवेश द्वार

मंदिर का पौराणिक इतिहास: कहा जाता है कि सन 1949 में रामखेलावन सिंह के खेत में जुदागी की गोप खेत जुताई कर रहे थे. इस दौरान भगवान श्री विष्णु का अभंग काले रंग की प्रतिमा मिली थी, इसे एक झोपड़ीनुमा मंदिर बनाकर उसकी पूजा अर्चना शुरू की गई थी, जिसके बाद इस मंदिर के पहले महंत प्रयाग रावत ने उसे एक मंदिर का रूप देकर उसमें आराधना शुरू की थी. धीरे-धीरे ख्याति बढ़ाने के बाद आज लाखों श्रद्धालुओं हर वर्ष कार्तिक और चैत महीने में छठ व्रत करने के लिए यहां पर आते हैं.

मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति
मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति

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