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पटना: निगम पार्षदों की राजनीति से विकास कार्य प्रभावित, नये नगर आयुक्त से लोगों की बढ़ी उम्मीद

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Published : Aug 30, 2019, 12:29 PM IST

पटना नगर निगम

कभी निगम की राजनीति तो कभी संसाधनों के अभाव के कारण जनहित की योजना अधर में लटकी हुई है. हाल के दिनों में मेयर पुत्र और पार्षदों के बीच विवाद होने से भी निगम प्रभावित रहा है. पार्षदों का गुट दो खेमे में बंट गया है. मेयर सभी पार्षदों को एक साथ लेकर चलने में असफल साबित हो रही हैं.

पटना: नगर निगम के वार्ड पार्षदों की राजनीति में इन दिनों पटना के विकास का काम प्रभावित दिख रहा है. पार्षदों ने अपने वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर सशक्त स्थाई समिति के आगे सवाल उठाए हैं. ऐसे में जनहित के कार्यों को लेकर कोई सरोकार नहीं है. सभी पार्षद अपने हित को साधने में ज्यादा मशगूल दिख रहे हैं.

सशक्त स्थाई समिति के सभी सदस्यों के लिए गाड़ी का प्रावधान है. सभी सदस्यों को लग्जरी गाड़ी दी गई है, जिसमें हर महीने वह 1000 किलोमीटर तक सफर कर सकते हैं. सशक्त स्थाई समिति के सदस्य अपने विकास को लेकर ज्यादा चिंतिंत दिखाई दे रहे है. जनता के हित को साधने की ललक इनमें कम दिख रही है. निगम पार्षदों को दूसरे शहरों में अनुभव लेने के लिए भी भेजा गया था, जिसका खर्च निगम ने उठाया. तमाम योजनाओं के निष्पादन को लेकर निजी एजेंसियों को भी रखा गया है, जिसका विरोध कई पार्षद भी कर चुके हैं.

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निगम के वार्ड पार्षदों की राजनीति से विकास कार्य प्रभावित

पार्षदों की राजनीति से प्रभावित हो रहा विकास कार्य
कभी निगम की राजनीति तो कभी संसाधनों के अभाव के कारण जनहित की योजना अधर में लटकी हुई है. हाल के दिनों में मेयर पुत्र और पार्षदों के बीच विवाद होने से भी निगम प्रभावित रहा है. पार्षदों का गुट दो खेमे में बंट गया है. मेयर सभी पार्षदों को एक साथ लेकर चलने में असफल साबित हो रही हैं. मेयर के पुत्र भी सवाल के घेरे में हैं. कई पार्षदों ने उनके खिलाफ आवाज भी उठाई थी. इन सबके बीच विकास का कार्य प्रभावित हो रहा है.

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जेसीबी गाड़ियों के लिए ड्राइवर की व्यवस्था नहीं

नगर निगम की अनदेखी
पटना शहरी क्षेत्र में रोशनी के लिए नगर निगम ने एलईडी लाइट तो लगा दिए, लेकिन मेंटेनेंस पर निगम का कोई ध्यान नहीं है. राजधानी में एलईडी लाइट लगाने को लेकर भी कई बार निविदाओं पर बहस भी हुई. एजेंसी के चयन पर भी सवाल खड़े किए गए. हर वार्ड को मिला दें तो लगभग 75,000 के आसपास एलईडी लाइट राजधानी में लग चुका है. मगर मेंटेनेंस को लेकर निगम कोई पहल नहीं कर रहा है.

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अमित कुमार पांडेय ने नगर आयुक्त का संभाला पदभार

मेंटेनेंस पर निगम का नहीं है ध्यान
राजधानी को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए प्रत्येक वार्ड में मॉड्यूलर टॉयलेट बनवाया गया था. इसे ज्यादातर राजधानी के मुख्य सड़कों पर लगाया गया. मगर कई जगहों पर इसमें ताला अभी भी लटका हुआ है. जिसका कोई उपयोग नहीं कर सकता है. मेंटेनेंस के अभाव में यह शो पीस बनकर रह गया है. इसके अलावा सड़कों को धोने के लिए नगर निगम ने स्विफ्ट मशीन भी खरीदा है. लेकिन वह खास जगहों पर सड़क की सफाई करता है. बाकी समय मशीन निगम में पड़ा रहता है क्योंकि उसे चलाने के लिए निगम ने अभी तक कोई ड्राइवर की व्यवस्था नहीं की है.

पेश है रिपोर्ट

जेसीबी गाड़ियों के लिए ड्राइवर की व्यवस्था नहीं
अनूप कुमार सुमन को पटना नगर निगम का नगर आयुक्त बनते ही लगभग 99 करोड़ के ऊपर के उपकरणों की खरीद हो चुकी है. इंप्रैस कंपनी के नाम से निजी एजेंसियों के माध्यम से इन उपकरणों की खरीदारी की गई है. लेकिन कई जेसीबी गाड़ियों के लिए नगर निगम अभी भी ड्राइवर की व्यवस्था नहीं की है. अब देखना है कि नए नगर आयुक्त अमित कुमार पांडे के आने के बाद राजधानीवासियों को कितना लाभ मिलता है.

अमित कुमार पांडेय ने नगर आयुक्त का संभाला पदभार
बता दें कि भारतीय प्रशासनिक सेवा 2014 के अधिकारी अमित कुमार पांडेय गुरुवार को नगर आयुक्त सह पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक का पदभार संभाला. इससे पहले अमित कुमार पांडेय कटिहार में उप विकास आयुक्त-सह- मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर कार्यरत थे. बता दें कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के अनुच्छेद 11.1 एवं कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत नगर आयुक्त अमित कुमार पांडेय की नियुक्ति प्रबंध निदेशक, पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पद पर की गई है.

Intro: दूसरे के भरोसे पटना नगर निगम कई योजनाओं को दीया निजी एजेंसी के हाथों---


Body:पटना--- नगर निगम आजकल संक्रमण के दौर से गुजर रहा है विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं कभी निगम की राजनीति तो कभी संसाधनों के अभाव के कारण जनहित की योजना अधर में लटका हुआ है हालिया दिनों में मेयर पुत्र और पार्षद के बीच विवाद होने से भी निगम प्रभावित हो रहा है पार्षदों का गुट दो खेमे में बटा हुआ है देखा जा रहा है । मेयर सभी पार्षदों को एक साथ लेकर चलने में असफल साबित हो रही है क्योंकि मेयर पुत्र भी सवाल के घेरे में हैं कई पार्षदों ने उनके खिलाफ आवाज भी उठाई थी अब नगर आयुक्त अनूप कुमार सुमन ने भी इस्तीफा दे दिया है उनके कार्यकाल में निगम कुछ सुधार के रास्ते पर चल पड़ा था लेकिन नगर निगम के वार्ड पार्षद की राजनीति में इन दिनों पटना के विकास का काम प्रभावित दिख रहा है। पटना नगर निगम में वार्ड पार्षदों ने अपने वेतन बढ़ोतरी को लेकर सशक्त स्थाई समिति के आगे उठाई है ऐसे में जनहित के कार्यों कार्य कराने को लेकर कोई सरोकार नहीं है क्योंकि सभी पार्षद अपने हित को साधने में ज्यादा मशगूल दिख रहे हैं हालांकि कैमरे के सामने बोलने से भी वह बचते हुए नजर आ रहे हैं। अब कैसे नए नगर आयुक्त निगम के कामों को आगे बढ़ाएंगे क्योंकि सशक्त स्थाई समिति के सभी सदस्यों के लिए गाड़ी का प्रधान को पास करवा दिया गया है सभी सदस्यों को लग्जरी गाड़ी मिल गया है जिसमें हर महीने वह 1000 किलोमीटर तक चल सकते हैं सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों ने अपने विकास को लेकर ज्यादा चिंता इन दिनों जनता भी रहे हैं मगर जनता के हित को साधने की ललक कम दिख रही है निगम पार्षदों को दूसरे शहरों में अनुभव लेने के लिए भी भेजा गया था जिसका खर्च निगम उठाया तमाम योजनाओं के निष्पादन को लेकर निजी एजेंसियों को भी रखा गया है जिसका विरोध कई पार्षद भी कर चुके हैं। अब नगर निगम के नए आयुक्त इस काम को कैसे आगे बढ़ाते हैं वह देखने वाली बात है

कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जो नगर निगम ने एजेंसियों के हाथे करवा रहा है काम

1.नगर निगम ने तो पटना शहरी क्षेत्र में रोशनी के लिए एलईडी लाइट तो लगा दिए लेकिन मेंटेनेंस पर निगम कोई ध्यान नहीं दे रहा है राजधानी में लगे एलईडी लाइट लगाने को लेकर भी कई बार निविदाओं पर बहस भी हुई एजेंसि के चयन पर भी सवाल खड़े किए गए हैं राजधानी में लगभग हर वार्ड को मिला दे तो लगभग 75,000 के आसपास एलईडी लाइट लग चुकी है मगर मेंटेनेंस को लेकर निगम की कोई योजना शक नहीं।
2. राजधानी को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए प्रत्येक वार्ड में मॉड्यूलर टॉयलेट बनवाया गया था ज्यादातर राजधानी के मुख्य सड़कों पर लगाया गया जहां भागमभाग रहती है मगर कई जगहों पर इसमें ताला अभी भी लटका हुआ है जिसका कोई उपयोग नहीं कर सकते हैं मेंटेनेंस के अभाव में यह शोपीस बनकर रह गया है।
3. इसके अलावा नगर निगम के पास करोड़ों के उपकरण की खरीद से भी नहीं हुआ विकास शहर के सड़कों को धोने के लिए नगर निगम ने स्विफ्ट मशीन भी खरीदा है लेकिन वह खासी जगहों पर सड़क की सफाई करता है बाकी समय निगम मैं ही खड़ा रहता है क्योंकि उसको चलाने के लिए निगम ने अभी तक कोई ड्राइवर की अस्थाई व्यवस्था नहीं की है।

अनूप कुमार सुमन को पटना नगर निगम के नगर आयुक्त बनते ही लगभग 99 करोड के ऊपर उपकरणों की खरीद हो चुकी है इंप्रैस कंपनी के नाम से निजी एजेंसियों के माध्यम से इन उपकरणों की खरीद हुई है कई जेसीबी गाड़ियों के लिए भी अभी भी ड्राइवर की व्यवस्था नगर निगम अस्थाई नहीं कर पाई।







Conclusion: अब देखना है नए नगर आयुक्त अमित कुमार पांडे के आने के बाद पटना नगर निगम नगर वासियों के काम को लेकर कितना तत्परता दिखाते हैं और काम में कितना तेजी लाते हैं वह तो समय पर ही पता चलेगा।

ईटीवी भारत के लिए पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
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