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शराबबंदी के 6 साल बाद भी जहरीली शराब का तांडव, जानें कब-कब हुई ऐसी बड़ी घटनाएं

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Published : Dec 14, 2022, 6:13 PM IST

शराबबंदी का सख्ती से पालन कराने के लिए बिहार सरकार की ओर से लगाए गए ड्रोन, हेलिकॉप्‍टर, सर्विलांस सब फेल साबित हो रहे हैं. कड़े इंतजामों के बाद भी शराब बनाई और बेची जा रही है. यही कारण है कि एक बार फिर से पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब ने कहर बरपाया है. सारण के छपरा में अबतक 20 लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. (Liquor Ban in Bihar)

Death due to spurious liquor in Bihar
Death due to spurious liquor in Bihar

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद ना ही अवैध रूप से शराब की बिक्री कम हुई है और ना ही जहरीली शराब से होने वाली मौतों में कमी आ रही है. ताजा मामला बिहार के सारण जिले के मशरक और इसुआपुर थाना क्षेत्र का है, जहां जहरीली शराब पीने से अबतक 20 लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. जबकि कई बीमार लोग अस्पताल में इलाजरत हैं. (deaths due to poisonous alcohol) (Bihar Hooch Tragedy) (Many People Died from Poisonous liquor in chapra)

पढ़ें- शराबबंदी वाले बिहार में 20 लोगों की मौत, जहरीली शराब पीने से मौत की आशंका

प्रशासन ने जहरीली शराब से मौत की नहीं की पुष्टि: स्थानीय लोगों का कहना है कि सभी की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. हालांकि प्रशासन जहरीली शराब पीने से मौत की पुष्टि नहीं कर रहा है. हालांकि इस पूरे मामले में बिहार पुलिस मुख्यालय कुछ भी बोलने से बच रही है. मुख्यालय की माने तो फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

पहले भी आ चुके हैं मामले : हालांकि शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब से संदिग्ध मौत का ये कोई पहला मामला नहीं है. शराबबंदी कानून बिहार में लागू होने के बावजूद शराब पीने, बेचने और जहरीली शराब से मौत की कई घटनाएं सामने आ चुकी है. अबतक कई लोगों की जहरीली शराब पीने की वजह से जान जा चुकी है. वहीं कई लोगो की आंखों की रोशनी तक चली गई है. इसके बावजूद भी जहरीली शराब से मौत का सिलसिला जारी है.

1 साल में 200 मौतें: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी जहरीली शराब से हो रही मौत को लेकर पुलिस मुख्यालय के पास ताजा आंकड़ा नहीं है. हालांकि सूत्रों ने बताया कि अगस्त महीने तक बिहार में पिछले 1 साल के अंदर लगभघ 200 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई थी जिसमें बक्सर, सारण, नालंदा जिले में बैक टू बैक घटनाएं घटित हुई थी. जिसमें 36 लोगों की मौत हुई थी. पूर्व आईपीएस अधिकारी की मानें तो लगातार घट रही घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है. लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार करना नहीं चाहती है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार का अपना तर्क है कि जहरीली शराब से हुई मौतों को किसी भी तरह से शराबबंदी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

13 घटनाएं...66 मौत..: बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके बावजूद न ही अवैध रूप से शराब की बिक्री कम हुई है और ना ही जहरीली शराब से होने वाली मौतों में कमी आ रही है. इसी साल अगस्त महीने में सारण जिले के मकेर प्रखंड की फुलवरिया पंचायत के भाषा गांव में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 17 की हालत गंभीर बनी हुई थी. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद सिर्फ पिछले साल तक 13 अलग-अलग घटनाओं में जहरीली शराब से करीब 66 लोगों की मौत हो गई थी. बिहार के मुझपरपुर में 28 अक्टूबर की रात 8 लोगों की जान चली गई. चार अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. ये घटना सरैया थाना इलाके के रूपौली और विशहर पट्टी गांव में हुई थी.

2021 में होली पर हुई करीब 40 मौत: बिहार में होली के मौके पर और फिर उसके बाद भागलपुर, बांका, मधेपुरा, बक्सर, सिवान और शेखपुरा में 40 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. यही नहीं गंभीर अवस्था में कुछ लोग विभिन्न निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था.

अगस्त 2016: गोपालगंज जहरीली शराब कांड : गोपालगंज के खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने की वजह से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.

29 जुलाई 2017: मुंगेर जिले में जहरीली शराब से आठ लोगों की मौत : मुंगेर के असरगंज थाना क्षेत्र के रहमतपुर बासा के मुसहरी टोला में जहरीली शराब के सेवन से आठ लोगों की मौत हुई. घटना के बाद टोले के अधिकतर लोग घर छोड़कर पलायन कर गए. ग्रामीणों की मानें तो पहले दो लोगों की मौत हुई थी लेकिन घटना को छिपाने के चलते मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई थी. हालांकि पुलिस-प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शराब से मौत की किसी घटना से इनकार करते हुए दो लोगों की मौत बीमारी से होने की बात कही थी.

06 फरवरी 2021: कैमूर में जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत : कैमूर जिले में संदिग्ध जहरीली शराब पीने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी. साथ ही, भभुआ पुलिस थाने के अंतर्गत कुरसन गांव में संदिग्ध जहरील शराब पीने के बाद चार लोग बीमार पड़ गए थे.

19 फरवरी 2021: गोपालगंज में शराब पीने से मजदूरों की मौत : गोपालगंज जिले के विजयीपुर थाना क्षेत्र में कथित जहरीली शराब पीने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी. इस मामले में हथुआ के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नरेश कुमार के जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने विजयीपुर थानाध्यक्ष मनोज कुमार और चौकीदार अमरेश यादव को निलंबित कर दिया था.

20 फरवरी 2021: मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की गई जान : मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत होने की खबर आई थी. यहां जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद एसएसपी ने कटरा पुलिस स्टेशन के थानाधिकारी सिकंदर कुमार को निलंबित कर दिया है.

23 मई 2020: मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से अधेड़ की मौत: मुजफ्फरपुर में एक अधेड़ की संदिग्ध स्थितियों में मौत हो गई थी. अधेड़ की मौत होने के बाद आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से मौत होने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थी. घटना सरैया थाने के रेवा सहिलापट्टी गांव में घटी. ग्रामीणों में इस बात की चर्चा जोरों से हो रही थी कि किशोर सहनी पास के गांव स्थित एक शराब भट्ठी पर नशा पान करने गया था। वहां से लौटने के दौरान किशोर सहनी की मौत हो गई.

पुलिस मुख्यालय ने कही ये बात: पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो शराबबंदी कानून को लेकर बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग लगातार कार्रवाई कर रही है. बिहार में मध निषेध कानून के तहत कार्रवाई जारी है. खासतौर पर बिहार के बाहर के शराब माफियाओं की वजह से शराब बिहार तक पहुंच रही है. वैसे लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है.

"इस साल में अब तक लगभग 90 बड़े शराब माफियाओं को बिहार के बाहर पंजाब-हरियाणा बंगाल आसाम झारखंड उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया है. बड़े शराब माफियाओं पर हो रही कार्रवाई से इस पर लगाम लगाया सकता है."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी,पुलिस मुख्यालय

सफेदपोशों पर भी हो चुकी है कार्रवाई: बिहार में मध निषेध कानून लागू होने के बाद शराबबंदी कानून में गड़बड़ी करने वाले सैकड़ों पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की जा चुकी है. यही नहीं जीरो टॉलरेंस नीति के तहत आम इंसान के साथ-साथ इंजीनियर डॉक्टर और पुलिस वालों को भी गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावे राज्य सरकार द्वारा शराबबंदी कानून के तहत बॉर्डर इलाको में चेक पोस्ट भी बढ़ाया गया है ताकि बिहार में शराब की खेप को रोका जा सके. आपको बता दें कि मध निषेध कानून के तहत लगभग 400000 लोग अब तक जेल जा चुके हैं. वहीं नए प्रावधान के तहत पहली बार शराब पीने वाले लोगों को फाइल लेकर छोड़ा जा रहा है.

शराबबंदी कानून के तहत प्रयोग : बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा शराबबंदी कानून के तहत कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. एक ओर जहां एंटी लिकर टास्क फोर्स का गठन किया गया था जिसमें 3000 पुलिसकर्मी तैनात हुए थे तो वहीं मद्य निषेध विभाग के तहत मद्य निषेध विभाग का अपना पुलिस फोर्स का भी गठन हुआ है. करोड़ों रुपए के स्निफर डॉग के अलावे ड्रोन कैमरे हेलीकॉप्टर बोट के माध्यम से शराबियों पर नजर रखी जा रही है. जिन पर करोड़ो रुपए खर्च हो रहे हैं. फिर भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. इसका खामियाजा कहीं ना कहीं राज्य सरकार को राजस्व के घाटे के तहत झेलना पड़ रहा है. मद्य निषेध कानून लागू होने के बाद कई बार अब तक राज्य सरकार द्वारा कानून में प्रावधान किया गया है.

बिहार में 2016 से शराबबंदी : बता दें कि बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून (Bihar Liquor Ban) लागू किया गया था। कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

ऐसे बन जाती है शराब जहरीली: इसे बनाने का तरीका (Poisonous Liquor Making Process) हैरान करने वाला है. दरअसल, कच्ची शराब बनाने में महुए की लहन का इस्तेमाल होता है, जिसे पहले सड़ाना पड़ता है. उसे सड़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जाता है. कई जगहों पर इसमें नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है. सीधे शब्दों में कहें तो कच्ची शराब बनाने वाले उसे ज्यादा नशीला बनाने की कोशिश करते हैं और इसी चक्कर में कच्ची शराब जहरीली हो जाती है.

कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में जहरीली हो जाती है. सामान्यत: इसे बनाने में गुड़, शीरा से लहन तैयार किया जाता है. लहन को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है. इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्ती डाला जाता है. अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है.

कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे केमिल पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोल्हल बन जाता है. इसकी वजह से ही लोगों की मौत हो जाती है. मिथाइल शरीर में जाते ही केमि‍कल रि‍एक्‍शन तेज होता है. इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं. इसकी वजह से कई बार तुरंत मौत हो जाती है.कुछ लोगों में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है.

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