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तेजी से नहीं हो रहा कोरोना के दूसरे डोज का वैक्सीनेशन, ऐसे जीतेंगे तीसरी लहर से जंग?

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Published : Jul 18, 2021, 4:30 PM IST

corona vaccination
कोरोना वैक्सीनेशन

बिहार में अब तक 14 फीसदी लोगों को ही कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का पहला डोज लगा है. 2.5 फीसदी लोगों को ही दूसरा डोज लगा है. मेडिकल एक्सपर्ट का मानना है कि वैक्सीन का दोनों डोज लेने के बाद ही संक्रमण के तीसरे लहर से लड़ा जा सकता है.

पटना: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के खिलाफ जंग में एकमात्र हथियार वैक्सीनेशन है. प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) के लिए 1438 सेंटर चलाए जा रहे हैं, जिनमें से 1436 सरकारी और 2 प्राइवेट सेंटर हैं. प्रदेश में इसी साल 16 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद अब तक 2,07,08,591 वैक्सीनेशन हुए हैं. इनमें 1,75,90,617 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज लगा है. सिर्फ 31,17,974 लोगों को ही वैक्सीन का दूसरा डोज लगा है.

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चिकित्सा जगत से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का दोनों डोज लेने के बाद ही शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए 70 से 80 फीसदी तक एंटीबॉडी बन पाती है. 2021 में बिहार की अनुमानित आबादी 12.85 करोड़ है. 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या लगभग 8 करोड़ है. ऐसे में बिहार में अब तक जनसंख्या के अनुपात में लगभग 14 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन का पहला डोज लगा है. करीब 2.5 फीसदी लोगों को ही दूसरा डोज लगा है. कोरोना वायरस का जिस प्रकार स्ट्रेन बदल रहा है मेडिकल एक्सपर्ट का मानना है कि वैक्सीन का दोनों डोज लेने के बाद ही संक्रमण के तीसरे लहर से लड़ा जा सकता है. एक्सपर्ट सेकेंड डोज के वैक्सीनेशन को भी गति देने की सरकार से अपील कर रहे हैं.

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पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि यह देखा गया है कि वैक्सीन के एक डोज से अच्छी एंटीबॉडी तैयार नहीं होती है. दोनों डोज के बाद ही संक्रमण से लड़ने लायक एंटीबॉडी शरीर में डेवलप हो पाती है. खासकर डेल्टा और डेल्टा प्लस जैसे अन्य कई म्यूटेंट वैरिएंट आए हैं. उनसे लड़ने के लिए वैक्सीन के दोनों डोज से वैक्सीनेटेड होना आवश्यक है. एक डोज से संक्रमण से बहुत अधिक बचाव होने की संभावना काफी कम है. ऐसे में जो लोग एक डोज ले चुके हैं वे समय आते ही अपना दूसरा डोज भी लगवा लें.

डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा, "विभिन्न मेडिकल जर्नल्स और रिसर्च को अगर देखें तो भारत में भी जरूरत है कि कोविशिल्ड वैक्सीन के 2 डोज के बीच का जो अंतराल है उसे थोड़ा कम करना चाहिए. ब्रिटेन के अंदर जिस कदर संक्रमितों की संख्या बढ़ी थी उस समय वहां जब कोविशिल्ड वैक्सीन के दोनों डोज का अंतराल कम किया गया तब दोनों डोज से वैक्सीनेटेड लोगों के शरीर में एंटीबॉडी जल्दी बनी. यह डेल्टा वैरिएंट से बचाव में भी सहायक साबित हुआ. ऐसे में डाटा के अनुसार भारत में भी इस वैक्सीन के दोनों डोज का अंतराल कम करने की जरूरत है. भारत में हुए अब तक 40 करोड़ वैक्सीनेशन में 35 करोड़ वैक्सीनेशन कोविशिल्ड वैक्सीन के हुए हैं."

डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा, "विश्व के कई देशों में कोरोना के बदलते वैरिएंट को देखते हुए बूस्टर डोज का भी प्रयोग किया जा रहा है. ऐसे में भारत में भी बूस्टर डोज को एक्सप्लोर करने की जरूरत है. खासकर हेल्थ केयर वर्कर को बूस्टर डोज देने की जरूरत है. इन्हें जनवरी-फरवरी के समय वैक्सीनेट किया गया था. ऐसे लोगों को बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए ताकि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट में पूरी सुरक्षा के साथ मरीजों की देखभाल और इलाज स्वास्थ्यकर्मी कर सकें."

"अभी के समय देशभर में वैक्सीनेशन के रफ्तार को बढ़ाने की जरूरत है. इसे प्राथमिकता पर रखते हुए अभियान को और गति देने की जरूरत है. अभी भारत में प्रतिदिन एक्सपेक्टेड वैक्सीनेशन 90 लाख है और वैक्सीनेशन 30-40 लाख हो रहा है. ऐसे में हम लक्ष्य से पीछे हो रहे हैं. अगर तीसरी लहर से डटकर मुकाबला करना है तो वैक्सीनेशन अभियान को और तेज करने की जरूरत है साथ ही दूसरे डोज के वैक्सीनेशन के प्रतिशत को भी तेजी से बढ़ाने की जरूरत है. जिन लोगों ने दोनों डोज का वैक्सीनेशन लिया है वे तीसरे लहर से सुरक्षित मुकाबला कर सकते हैं."- डॉ दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक

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