ढहाया जाएगा पटना का ऐतिहासिक 'सुल्तान पैलेस', सरकार के फैसले पर छिड़ा संग्राम

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Published : Jul 3, 2022, 10:06 PM IST

सुल्तान पैलेस को बुलडोज करने के फैसले पर संग्राम

पटना में गिने चुने ऐतिहासिक इमारत (Historical Monuments In Patna) बचे रह गए हैं. बिहार म्यूजियम, दरभंगा हाउस और सुल्तान पैलेस मिश्रित स्थापत्य कला का नायाब नमूना है. इस बीच सरकार ने सुल्तान पैलेस को जमींदोज कर पांच सितारा होटल बनाने का फैसला लिया है. सरकार के फैसले पर इतिहासकार और सिविल सोसाइटी कानूनी लड़ाई छेड़ने की तैयारी कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

पटना: राजधानी पटना के हृदय वीरचंद पटेल पथ की खूबसूरती ऐतिहासिक इमारत सुल्तान पैलेस (Historical Sultan Palace In Patna) के वजह से है. सुल्तान पैलेस 100 साल पुरानी इमारत है. आम जनता ऐतिहासिक इमारत को निहारने दूरदराज से आते रहते हैं. बिहार सरकार ने सुल्तान पैलेस को धवस्त कर वहां पांच सितारा होटल बनाने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले से लोग सकते में है. बता दें कि इमारत को ध्वस्त करने के लिए कैबिनेट से स्वीकृति भी दी जा चुकी है और जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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इमारत धवस्त करने के फैसले से नाराजगी: सरकार के फैसले के बाद से बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों ने चिंता व्यक्त (Controversy On Sultan Palace) की है. राष्ट्रीय स्तर के इतिहासकार इरफान हबीब समेत कई लोगों ने सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. इधर, सिविल सोसायटी की ओर से कानूनी लड़ाई छेड़ने की तैयारी की जा रही है. जल्दी ही पटना उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की जाएगी. फिलहाल सरकार के इस फैसले को लेकर हर कोई स्तब्ध है.

इमारत इंडो सेरसेनिक वास्तुकला का नमूना: 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में ब्रिटिश वास्तु कारों ने राजास्थानी, मुगल, मराठा और प्राचीन उत्कृष्ट भारतीय वास्तु कला को संयोजित कर एक नई और महान वास्तुकला को जन्म दिया था, जो इंडो सेरसेनिक वास्तुकला के नाम से जाना गया. इस कला को मुगल राजपूत स्थापत्य कला के नाम से भी जाना जाता है. ब्रिटिश वास्तु विद ने मिश्रित कला के जरिए कई इमारतों का निर्माण कराया. मिश्रित कला में मुगल वास्तु शैली में गोथिक पुच्छल में हरा गुंबद मीनार और रंगीन शीशों का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया. रॉबर्ट फेलोज चीजम, हेनरी इरविन, चार्ल्स मेंट और गिलबर्ट स्कॉट जैसे ब्रिटिश वास्तु विद को इसमें महारत हासिल था.

1922 में हुआ सुल्तान पैलेस का निर्माण: वर्ष 1922 में सुल्तान पैलेस का निर्माण कराया गया था. उन दिनों यहां के रईसों और जमींदारों में तब यूरोप में प्रचलित गोथिक रिवाइल शैली , आर्ट डेको और नियोक्लासिकल शैली को लेकर खास आकर्षण था. किंतु इसके निर्माता सर सैयद सुल्तान अहमद ने देश की परंपरा का निर्वाह करते हुए इमारत का निर्माण इंडो सेरा सैनिक वास्तुकला शैली में कराया. सुल्तान अहमद पहले भारतीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बाद में सुल्तान अहमद पटना विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे. जानकार बताते हैं कि मोहम्मद अली जिन्ना ने सुल्तान अहमद को पाकिस्तान में मंत्री बनाने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने ऑफर को ठुकरा दिया.

"सुल्तान पैलेस राजधानी पटना की आन-बान-शान है. ऐतिहासिक विरासत को संभालने के बजाय नष्ट करना दुखद है. मैं सरकार के फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहा हूं. जल्दी पटना उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की जाएगी" -अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस

विभिन्न राजनैतिक पार्टियों का क्या है मत: सुल्तान पैलेस को धवस्त करने को लेकर बिहार के राजनैतिक पार्टियों के अपने-अपने विचार है. राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन का कहना है कि सरकार इतिहास को मिटाने पर आमदा है. सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने का फैसला अफसोस जनक है. सरकार के फैसले का विरोध करता हूं. इधर, जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि सरकार जनहित में फैसले लेती है और पांच सितारा होटल बनाने का फैसला जनहित में है. इससे आय में बढ़ोत्तरी होगी और पैसों से विकास के कार्य होंगे. भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि इमारत बहुत पुरानी हो गई थी, जर्जर अवस्था में थी. सरकार का फैसला स्वागत योग्य कदम है.

"सुल्तान पैलेस के अस्तित्व को मिटाने का फैसला समझ से परे है. जिस तरीके से राजस्थान में हेरिटेज इमारत है, उसी इमारत में होटल का संचालन किया जाता है. उसी तरीके से सुल्तान पैलेस में भी निर्माण कराया जा सकता है. इमारत के आगे खाली जमीन में होटल बनाने के विकल्प खुले हैं" -डॉक्टर संजय कुमार, विश्लेषक


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