पटनाः हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने मंगलवार को दिल्ली में कहा था कि शराबबंदी खराब नहीं है, लेकिन उसे लागू करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी है. फिर चाहे वह बिहार हो या गुजरात बड़े शराब तस्कर बच जा रहे हैं और गरीब लोग पकड़े जा रहे हैं. दिल्ली में हम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सरकार को शराबबंदी कानून की फिर से समीक्षा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग सवा सौ ग्राम या ढाई सौ ग्राम शराब पीते हैं, उनको नहीं पकड़ा जाना चाहिए.
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क्या मांझी जी खुद शराब पीते हैंः कांग्रेस विधायक प्रतीमा दास ने जीतनराम मांझी के इस बयान पर उनको आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस विधायक ने कहा कि मांझी जी कुछ भी बोलते रहते हैं. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री काे इस तरह का बयान नहीं देने की सलाह दी. कांग्रेस विधायक का कहना था कि मांझी के बयान काे दलित समाज के लोग गंभीरता से लेते हैं, ऐसे में शराब पीने देने वाले बयान से उन गरीब लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा. प्रतीमा दास ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या मांझी जी खुद एक पाव शराब पीते हैं.
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शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए: जीतनराम मांझी ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी कानून की फिर से समीक्षा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस ब्रेथ एनेलाइजर लगाकार लोगों की जांच करती है. ब्रेथ एनेलाइजर एक मशीन है और मशीन में कभी कभी गलत भी बता देता है, जिसके कारण निर्दोष लोग भी पकड़े जाते हैं. मांझी ने कहा है कि चाहे बिहार हो या गुजरात शराब पीने के आरोप में गरीब लोग पकड़े जा रहे हैं और शराब के बड़े तस्कर आराम से बच जा रहे हैं. जेलों में ऐसे 70 फीसदी लोग बंद हैं, जो महज आधा लीटर या ढाई सौ ग्राम शराब पीते पकड़े गए हैं. यह गरीबों के साथ अन्याय के समान है, ऐसा नहीं होना चाहिए. मांझी ने यहां तक कह दिया कि जो लोग सवा सौ ग्राम या ढाई सौ ग्राम शराब पीते हैं, उनको नहीं पकड़ा जाना चाहिए.